एक महत्वपूर्ण नियामकीय कदम के तहत, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ओवरनाइट और लिक्विड म्यूचुअल फंड योजनाओं में रिडेम्पशन (निकासी) की कट-ऑफ समय सीमा में संशोधन किया है, जो 1 जून 2025 से प्रभावी होगी। यह बदलाव SEBI की उस व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों के पास रखे गए ग्राहक निधियों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाना है। संशोधित समय-सीमा, दिसंबर 2023 में पेश किए गए SEBI के अपस्ट्रीमिंग फ्रेमवर्क को समर्थन देती है, जिससे फंड की सुरक्षा और पूरे वित्तीय इकोसिस्टम में संचालन की एकरूपता सुनिश्चित हो सके।
मुख्य बिंदु
क्या बदला गया है?
SEBI ने ओवरनाइट म्यूचुअल फंड योजनाओं में रिडेम्पशन (निकासी) के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड के कट-ऑफ समय में अंतर किया है:
ऑफलाइन (भौतिक) मोड के लिए:
-
3:00 बजे से पहले सबमिट की गई रिडेम्पशन रिक्वेस्ट्स को अगले कारोबारी दिन के पहले दिन की क्लोज़िंग NAV प्राप्त होगी।
-
3:00 बजे के बाद की गई रिक्वेस्ट्स को अगले कारोबारी दिन की NAV मिलेगी।
ऑनलाइन मोड के लिए (केवल ओवरनाइट फंड्स):
-
7:00 बजे से पहले की गई रिडेम्पशन रिक्वेस्ट्स को उसी दिन की NAV मिलेगी।
-
7:00 बजे के बाद की गई रिक्वेस्ट्स को अगले कारोबारी दिन की NAV प्राप्त होगी।
ध्यान दें: “कारोबारी दिन” का मतलब उन दिनों से है जब बाजार खुले हों – इसमें अवकाश और मनी मार्केट बंद रहने के दिन शामिल नहीं होते।
SEBI ने यह बदलाव क्यों किया?
अपस्ट्रीमिंग फ्रेमवर्क से जुड़ाव (दिसंबर 2023):
-
अब ब्रोकर और क्लियरिंग सदस्य हर दिन ग्राहकों की फंडिंग को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को ट्रांसफर करने के लिए बाध्य हैं।
-
यह “अपस्ट्रीमिंग” प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि फंड का दुरुपयोग न हो और वह पूरी तरह सुरक्षित रहे।
अपस्ट्रीमिंग के लिए स्वीकृत माध्यम:
-
नकद (Cash)
-
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लियन
-
ओवरनाइट म्यूचुअल फंड योजनाओं की गिरवी (Pledged) यूनिट्स
रिडेम्पशन की समयसीमा में बदलाव इसलिए किया गया ताकि ओवरनाइट फंड यूनिट्स को अपस्ट्रीमिंग प्रक्रिया में प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सके।
यह निर्णय AMFI, म्यूचुअल फंड एडवाइजरी कमेटी और जन परामर्श के आधार पर लिया गया।
निवेशकों पर प्रभाव:
-
ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा: अब रात 7:00 बजे तक रिडेम्पशन करके उसी दिन की NAV प्राप्त की जा सकती है।
-
ऑफलाइन मोड में समय सीमित: 3:00 बजे से पहले रिडेम्पशन जरूरी, वरना एक दिन की देरी से NAV लागू होगी।
-
रिटर्न पर प्रभाव: कट-ऑफ समय चूकने पर अगले दिन की NAV लागू हो सकती है, जिससे रिटर्न प्रभावित हो सकता है।
-
ट्रेडर्स और संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण: जो ओवरनाइट फंड्स को कोलैटरल या फंड मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए यह समय सीमा बेहद अहम है।