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सरोजिनी नायडू जयंती: 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?

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भारतीय राष्ट्रीय महिला दिवस (Indian National Women’s Day) हर साल 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवयित्री हैं। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वह आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। वह हर महिला के लिए प्रेरणा है।

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क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय महिला दिवस

 

राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह बचपन से बुद्धिमान थीं। जब सरोजिनी नायडू 12 साल की थीं, तब से उन्हें कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आजादी और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आजादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का भी मौका मिला। उनके कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

 

राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत

 

जब देश को 1947 में आजादी मिली तो उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने का गौरव एक महिला को प्राप्त हुआ। वह महिला सरोजिनी नायडू थी। बाद में साल 2014 में सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की गई।

 

सरोजिनी नायडू को क्यों कहते हैं भारत कोकिला

 

वैसे तो सरोजिनी नायडू के नाम कई उपलब्धियां हैं लेकिन साहित्यिक योगदान पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने कई कविताएं लिखी, कुछ कविताएं तो पाठ्यक्रम में शामिल की गईं। क्योंकि वह बहुत ही मधुर स्वर में अपनी कविताओं का पाठ किया करती थीं, इसी कारण सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला कहा जाता था।

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