मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित विश्व धरोहर स्थल सांची भारत का पहला सौर शहर बन गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी औपचारिक शुरुआत की। सांची के पास नागौरी में इसकी क्षमता 3 मेगावाट है, जो वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 13,747 टन तक कम कर देगा। यह 2,38,000 से अधिक पेड़ों के बराबर है। सांची भारत का पहला सोलर सिटी बन गया है। कोयले और अन्य संसाधनों से बिजली का उत्पादन पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।सांची के नागरिकों, अक्षय ऊर्जा विभाग और सभी वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा विकल्प का सहारा लेकर सराहनीय कार्य किया है।
आईआईटी कानपुर के सहयोग से सांची को नेट-जीरो शहर बनाने का संकल्प सराहनीय कदम है। यह शहर दुनिया के सामने एक मिसाल होगा। पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से पूरा करना होगा। जल्द ही सोलर पंप से खेती में भी मदद मिलेगी।
यह संयंत्र सांची को बिजली व्यय पर ₹ 7.68 करोड़ की वार्षिक बचत में मदद करेगा। सांची के नागरिकों ने हर घर में सौर ऊर्जा का विचार अपनाया है। गुलगांव में जल्द ही पांच मेगावाट की सौर परियोजना स्थापित की जाएगी, जो सांची के पास कृषि क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी। सांची में लगभग 7,000 नागरिकों ने अपने घरों में सौर स्टैंड लैंप, सौर अध्ययन लैंप और सौर लालटेन का उपयोग करके बिजली बचाने का संकल्प लिया है।घरेलू छतों पर लगभग 63 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए हैं।
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