भारत हर वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस या ‘समविधान दिवस’ मनाता है, जो 1949 में भारतीय संविधान के अंगीकरण की याद में है। यह ऐतिहासिक दिन न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के उन मूल्यों को सम्मानित करने का अवसर है, जो भारत के लोकतंत्र की नींव हैं। 2024 में भारत 75वां संविधान दिवस मना रहा है, जो राष्ट्र के मार्गदर्शन करने वाली उन परिवर्तनकारी यात्रा और आदर्शों को सम्मानित करता है।
तारीख और ऐतिहासिक संदर्भ
संविधान दिवस 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान के अंगीकरण की याद में मनाया जाता है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ—जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2015 में इस दिन को ‘समविधान दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था, जो डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती के साथ मेल खाता है।
संविधान का महत्व
संविधान दिवस का उद्देश्य संविधान के मूल्यों को समझने और उन्हें कायम रखने का महत्व बताना है, जिसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व शामिल हैं। यह नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है, साथ ही एकता और नागरिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि
डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का “जनक” माना जाता है। उनके दृष्टिकोण से संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं था, बल्कि यह भारत के सामाजिक-राजनीतिक आकांक्षाओं का प्रतिबिंब था। उनका प्रसिद्ध कथन, “संविधान केवल एक वकील का दस्तावेज़ नहीं है; यह जीवन का एक वाहन है, और इसका आत्मा हमेशा उस युग की आत्मा होती है”, इसके स्थायी प्रासंगिकता को उजागर करता है।
राष्ट्रीय आत्मनिरीक्षण
संविधान दिवस नागरिकों को भारत की लोकतांत्रिक यात्रा पर विचार करने और समावेशी, प्रगतिशील और समान समाज बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकरण करने के लिए प्रेरित करता है। यह सक्रिय नागरिक भागीदारी के महत्व को भी रेखांकित करता है।
भारतीय संविधान का निर्माण यात्रा
आवश्यकता का ढांचा
भारत की स्वतंत्रता संग्राम ने यह स्पष्ट किया कि एक सशक्त ढांचे की आवश्यकता है, जो सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करे। 1935 का भारत सरकार अधिनियम एक आधार के रूप में था, लेकिन इसमें एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए आवश्यक प्रावधान नहीं थे।
संविधान सभा का गठन
संविधान सभा का गठन दिसंबर 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुआ, जिसमें 389 सदस्य थे, जिन्हें विभाजन के बाद घटाकर 299 कर दिया गया। प्रमुख सदस्य थे डॉ. बी.आर. अंबेडकर, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
संविधान का मसौदा तैयार करना
मसौदा समिति, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अंबेडकर ने की, ने प्रारंभिक मसौदा तैयार किया। संविधान सभा ने इस मसौदे पर 11 सत्रों में विचार किया, जो 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन तक चला। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अंगीकार किया, और भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
कठोरता और लचीलापन का मिश्रण
भारतीय संविधान में कठोरता और लचीलापन दोनों के तत्व हैं, जो इसे अनोखा बनाता है। इसे ब्रिटिश, अमेरिकी और आयरिश संविधान से प्रेरणा मिली है।
व्यापक और समावेशी
संविधान के प्रारंभ में इसमें शामिल थे:
प्रगतिशील दृष्टिकोण
संविधान भारत के समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके कर्तव्यों को भी महत्व देता है।
संविधान दिवस 2024 का उत्सव और अवलोकन
देशभर में आयोजन
संविधान दिवस को मनाने के लिए निम्नलिखित आयोजनों का आयोजन किया जाता है:
75वाँ संविधान दिवस
यह महत्वपूर्ण अवसर भारत की संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में प्रगति को उजागर करता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर पुनः बल दिया जाता है।
भारतीय संविधान की धरोहर
भारतीय संविधान एक जीवित दस्तावेज़ है, जिसे 105 संशोधनों के माध्यम से समय-समय पर राष्ट्र की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपडेट किया गया है। यह भारत के लोकतंत्र, विविधता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो पीढ़ियों को इसके सिद्धांतों को अपनाने और सम्मानित करने के लिए प्रेरित करता है।
संविधान दिवस 2024: भारत का 75वां संविधान दिवस
आधार | विवरण |
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खबर में क्यों है | भारत 26 नवम्बर 2024 को 75वां संविधान दिवस मना रहा है, जो 1949 में संविधान की अंगीकरण के दिन को स्मरण करता है। |
अवधि | 26 नवम्बर, हर वर्ष संविधान दिवस (सम्विधान दिवस) के रूप में मनाया जाता है। |
ऐतिहासिक संदर्भ | संविधान को 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकार किया गया, और 26 जनवरी 1950 को यह प्रभावी हुआ (गणतंत्र दिवस)। |
संविधान दिवस का घोषणा | 2015 में इसे औपचारिक रूप से संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया था, ताकि डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को सम्मानित किया जा सके और उनकी 125वीं जयंती के साथ मेल खा सके। |
महत्व | – संविधानिक मूल्यों, अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना। – भारत के लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में यात्रा पर विचार करना। – डॉ. भीमराव अंबेडकर, भारतीय संविधान के “पिता” के दृष्टिकोण को सम्मानित करना। |
संविधान की प्रमुख विशेषताएँ | – यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें शुरू में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। – कठोरता और लचीलापन का संगम। – वैश्विक ढाँचों से प्रेरणा लिया गया। |
संविधान निर्माण यात्रा | – संविधान सभा का गठन दिसंबर 1946 में हुआ। – डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा अध्यक्षता की गई और मसौदा समिति की अध्यक्षता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की। – इसे अंतिम रूप देने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। |
2024 में उत्सव | – संविधान की उद्देशिका का सार्वजनिक पाठ। – स्कूलों और कॉलेजों में शैक्षिक कार्यक्रम। – संसद में विशेष सत्र। – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को बढ़ावा देने के लिए देशभर में विशेष ध्यान। |
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