रूस 2022-23 वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में चीन की जगह भारत के लिए उर्वरकों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वैश्विक उर्वरक कीमतों में उछाल और पश्चिमी देशों द्वारा रूसी उर्वरक खरीदने से इनकार करने के बाद रूसियों ने भारत को भारी छूट पर अपने उर्वरकों की पेशकश की थी ,जिससे कारण भारत ने रुसी उर्वरकों की खरीद बढ़ा दी थी।
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साल के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर 2022) में रूस से भारत का उर्वरक आयात 371% बढ़कर रिकॉर्ड 2.15 मिलियन टन हो गया। रूसी आपूर्ति में वृद्धि के कारण चीन जॉर्डन, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात जैसे पारंपरिक स्रोतों से भारत के आयात में गिरावट आई है। 2021-22 वित्तीय वर्ष में भारतीय आयात में रूस की हिस्सेदारी लगभग 6% थी, जबकि चीन की हिस्सेदारी लगभग 24% थी।
2022-23 की पहली छमाही में भारत का कुल उर्वरक आयात एक साल पहले की तुलना में 2.4% गिरकर 10.27 मिलियन टन हो गया, हालांकि मूल्य के लिहाज से इस अवधि के दौरान आयात 59% से बढ़कर 7.4 बिलियन डॉलर हो गया। भारत, जो यूरिया का एक प्रमुख आयातक है, 2024 तक आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है और भारत ने अपने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश है।
रूस और बेलारूस दुनिया में उर्वरकों के प्रमुख निर्यातक हैं। पिछले साल पोटाश के वैश्विक निर्यात में दोनों का हिस्सा 40% से अधिक था।रूस अमोनिया के वैश्विक निर्यात का लगभग 22%, विश्व के यूरिया निर्यात का 14% और मोनोअमोनियम फॉस्फेट (एमएपी) निर्यात का लगभग 14% है। हालांकि यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण विश्व बाजार में उर्वरकों की आपूर्ति बाधित हो गई, जिससे इसकी बाज़ार में कमी और कीमतों में वृद्धि हुई।
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