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Retail Inflation: जुलाई में खुदरा महंगाई घटकर 3.5 प्रतिशत पर आई

जुलाई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित महंगाई में सालाना आधार पर बड़ी गिरावट आई है। यह जुलाई में 3.54 फीसदी रही, जो पिछले 59 महीनों यानी करीब 5 साल में सबसे कम है। अगर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महंगाई की बात करें, तो यह क्रमश: 4.10 फीसदी और 2.98 फीसदी रही। CPI पर आधारित रिटेल इंफ्लेशन जून 2024 में 5.08 फीसदी थी। वहीं, जुलाई 2023 में 7.44 फीसदी थी। जनवरी में रिटेल महंगाई 5.01 फीसदी थी। वहीं, फरवरी में 5.09, मार्च में 4.85, अप्रैल में 4.83, मई में 4.75 और जून में 5.08 रही थी।

मासिक आधार पर महंगाई

मासिक आधार (MoM) पर, जुलाई में ग्रामीण इलाकों में महंगाई 4.1 फीसदी रही। यह जून में 5.66 फीसदी थी। शहरी इलाकों में जून में महंगाई 4.39 फीसदी थी, जो जुलाई में घटकर 2.98 फीसदी पर आ गई। जुलाई में खाद्य महंगाई दर 5.42 फीसदी रही। यह जून में 9.36 फीसदी के ऊंचे स्तर पर थी।

खाद्य मुद्रास्फीति

खाद्य मुद्रास्फीति जून में 9.36% से जुलाई में काफी कम होकर 5.42% हो गई। इस गिरावट में मुख्य योगदान देने वालों में सब्ज़ियों (6.83%), अनाज (8.14%), फलों (3.84%), दूध (2.99%) और चीनी (5.22%) की कीमतों में कमी शामिल है। हालांकि, दालों में 14.8% की दोहरे अंकों की वृद्धि देखी गई, और अंडे (6.76%) और मांस और मछली (5.97%) जैसी प्रोटीन युक्त वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति देखी गई।

आरबीआई और नीतिगत दृष्टिकोण

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति ने पहले हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि में योगदान दिया था, लेकिन कोर मुद्रास्फीति 3% पर स्थिर बनी हुई है। मौजूदा कम मुद्रास्फीति दर के बावजूद, आरबीआई अपनी आगामी बैठकों में रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने की संभावना है। भारत और अमेरिका दोनों के भविष्य के आंकड़ों के आधार पर दिसंबर से एक उथले दर सहजता चक्र पर विचार किया जा सकता है।

आर्थिक निहितार्थ

विनिर्माण और बिजली क्षेत्रों में धीमी वृद्धि ने खनन में तेजी को संतुलित किया। समग्र औद्योगिक प्रदर्शन से पता चलता है कि औद्योगिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए बेहतर खपत और निजी निवेश की आवश्यकता है।