सब्जी, खाद्य तेल जैसे खाद्य उत्पादों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में नरम होकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सब्जी और खाद्य तेल तथा अन्य जिंसों के दामों में गिरावट आने के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। ऐसी स्थिति में आरबीआई सितंबर के अंत में प्रस्तावित मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि कर सकता है।
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आंकड़ों के मुताबिक खाद्य मुद्रास्फीति भी जुलाई महीने में नरम पड़कर 6.75 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि जून में यह 7.75 प्रतिशत थी। यह चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान सात प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
मुख्य बिंदु
- यह लगातार सातवां महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
- आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा महंगाई में नरमी आने का मुख्य कारण सब्जी और खाद्य तेल के दामों में कमी है। ईंधन और बिजली के संदर्भ में कीमतें ऊंची बनी हुई है।
- केंद्रीय बैंक ने लगातार तीन बार नीतिगत दर रेपो में वृद्धि की है और फिलहाल यह 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
- आंकड़ों के अनुसार सब्जी और तेल एवं वसा खंड में मुद्रास्फीति जुलाई में नरम होकर क्रमश: 10.90 प्रतिशत और 7.52 प्रतिशत रही। जून महीने में यह क्रमश: 17.37 प्रतिशत और 9.36 प्रतिशत थी।
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