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रिलायंस सिंगापुर से तीन गुना बड़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बनाएगी

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने गुजरात के जामनगर और कच्छ को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के वैश्विक केंद्र बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। कंपनी के 48वें वार्षिक आम बैठक (AGM) में रिलायंस न्यू एनर्जी के निदेशक अनंत अंबानी ने सौर ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज और हाइड्रोजन तकनीक में कंपनी के विशाल निवेश और अवसंरचना निर्माण का खाका प्रस्तुत किया। यह पहल भारत की स्थिति को वैश्विक ग्रीन एनर्जी इकोनॉमी में पुनर्परिभाषित करेगी।

जामनगर: विश्व का सबसे बड़ा एकीकृत ऊर्जा कॉम्प्लेक्स

धीरुभाई अंबानी गीगा एनर्जी कॉम्प्लेक्स

जामनगर में बन रहा यह कॉम्प्लेक्स विश्वस्तर पर अनूठा होगा। इसमें सौर पैनल, ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन के लिए गीगाफैक्ट्रियाँ एक ही जगह पर स्थापित की जा रही हैं।

मुख्य तथ्य:

  • 4.4 करोड़ वर्ग फुट निर्माण क्षेत्र

  • 7 लाख टन स्टील (100 एफिल टॉवर जितना)

  • 34 लाख घन मीटर कंक्रीट

  • 1 लाख किमी केबल (चाँद तक जाकर वापस आने जितना)

  • चरम समय पर 50,000 कार्यबल

बैटरी और हाइड्रोजन गीगाफैक्ट्री

  • बैटरी गीगाफैक्ट्री – 2026 से 40 GWh/वर्ष क्षमता से शुरू होगी, बाद में 100 GWh/वर्ष तक बढ़ेगी।

  • इलेक्ट्रोलाइज़र गीगाफैक्ट्री – 2026 के अंत तक 3 GW/वर्ष क्षमता के साथ शुरू होगी, जिससे बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संभव होगा।

कच्छ: भारत का सबसे बड़ा सौर प्रोजेक्ट

एकल-स्थल विश्व की सबसे बड़ी सौर परियोजना

कच्छ में रिलायंस 5.5 लाख एकड़ (सिंगापुर से तीन गुना बड़ा क्षेत्र) में सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित कर रहा है।

क्षमताएँ:

  • प्रतिदिन 55 मेगावाट सौर मॉड्यूल की स्थापना

  • प्रतिदिन 150 MWh बैटरी कंटेनर की स्थापना

भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति

यह विशाल सुविधा अगले एक दशक में भारत की लगभग 10% बिजली की मांग पूरी कर सकती है। कच्छ को यह परियोजना राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सौर एवं स्टोरेज हब बना देगी।

एकीकृत ग्रीन एनर्जी एक्सपोर्ट हब

रिलायंस जामनगर, कच्छ और कांडला की परियोजनाओं को आपस में जोड़कर एक एकीकृत हरित ऊर्जा सप्लाई चेन बनाने की योजना बना रहा है। इसके माध्यम से निम्न उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्यात किया जाएगा:

  • ग्रीन हाइड्रोजन

  • ग्रीन अमोनिया

  • ग्रीन मेथनॉल

  • सतत विमानन ईंधन (SAF)

यह पहल भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके उत्पादों का किफायती वैश्विक केंद्र स्थापित करेगी।

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