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रिलायंस डिफेंस ने कोस्टल मैकेनिक्स के साथ समझौता किया

भारत के रक्षा क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देते हुए रिलायंस डिफेंस (Reliance Defence)—जो रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी है—ने अमेरिका स्थित रक्षा ठेकेदार कोस्टल मेकैनिक्स इंक. (Coastal Mechanics Inc. – CMI) के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत महाराष्ट्र के नागपुर स्थित MIHAN (मल्टी-मॉडल इंटरनेशनल कार्गो हब एंड एयरपोर्ट) में एक अत्याधुनिक MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) सुविधा की स्थापना की जाएगी। यह संयुक्त उपक्रम भारतीय सशस्त्र बलों और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए वायु और थल रक्षा प्लेटफार्मों के उन्नयन पर केंद्रित होगा, जो “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के अनुरूप है।

क्यों है यह खबर में?

  • यह संयुक्त उपक्रम भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में तेजी से बढ़ती प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

  • भारत में रक्षा MRO और अपग्रेड बाज़ार में लगभग ₹20,000 करोड़ की संभावनाएँ हैं।

  • यह पहल पुराने रक्षा प्लेटफार्मों के संपूर्ण जीवनचक्र (lifecycle) को बेहतर बनाकर किफायती आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगी।

  • CMI की U.S. डिफेंस डिपार्टमेंट के साथ मज़बूत साझेदारी भविष्य में FMS (Foreign Military Sales) अनुबंधों के लिए द्वार खोल सकती है।

संयुक्त उपक्रम की प्रमुख विशेषताएं

  • स्थान: MIHAN, नागपुर, महाराष्ट्र

  • साझेदार: रिलायंस डिफेंस (भारत) और कोस्टल मेकैनिक्स इंक. (अमेरिका)

  • क्षेत्र: रक्षा उपकरणों की मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO)

  • लक्ष्य ग्राहक: भारतीय सशस्त्र बल + निर्यात बाजार

फोकस क्षेत्रों में शामिल होंगे

  • 100 जगुआर लड़ाकू विमान

  • 100 मिग-29 फाइटर जेट्स

  • 20 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स

  • L-70 एयर डिफेंस गन

  • उद्देश्य: पुराने प्लेटफार्मों को पूरी तरह बदलने के बजाय जीवनचक्र उन्नयन द्वारा उनकी क्षमता को बढ़ाना।

कोस्टल मेकैनिक्स इंक. (CMI) के बारे में

  • स्थापना: 1975

  • अमेरिका के रक्षा विभाग के लिए अनुबंधित

  • अमेरिकी वायु सेना और थल सेना को उपकरण की आपूर्ति

  • रक्षा अनुबंधों और निर्यात में समृद्ध अनुभव

भारत की रक्षा उत्पादन स्थिति (FY25)

  • कुल रक्षा उत्पादन: ₹1.46 लाख करोड़ (15% वार्षिक वृद्धि)

  • रक्षा निर्यात: ₹24,000 करोड़

  • MRO खंड: तेजी से विकासशील, दीर्घकालिक परिसंपत्तियों के लिए देशीय समर्थन की आवश्यकता बढ़ रही है।

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