भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) के केंद्रीय निदेशक मंडल ने पहली बार सरकार को लाभांश के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 22 मई को बैठक में वित्त वर्ष 2024 के लिए केंद्र सरकार के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश (dividend) को मंजूरी दी, जो वित्त वर्ष 23 की तुलना में लगभग 141 प्रतिशत अधिक है।
भारत सरकार के पास आरबीआई का सम्पूर्ण स्वामित्व है। 2023-24 के लिए आकस्मिक बफर जोखिम को 6.5% तक बढ़ाए जाने के बावजूद यह आरबीआई द्वारा घोषित शायद अब तक का सबसे बड़ा लाभांश है। लाभांश किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरधारक को वितरित लाभ का हिस्सा होता है।
वित्तीय वर्ष 2023 में केंद्रीय बैंक ने केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में ₹87,416 करोड़ ट्रांसफर किए थे। मुंबई में आयोजित केंद्रीय बोर्ड की 608वीं बैठक के दौरान केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने दृष्टिकोण के जोखिम सहित वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया। इस दौरान बोर्ड ने सरकार को 2,10,874 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित करने का फैसला किया।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के अब तक के सर्वाधिक लाभांश भुगतान को मंजूरी दी। आरबीआई की ओर से केंद्र को लाभांश या अधिशेष हस्तांतरण के तौर पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 87,416 करोड़ रुपये दिए गए गए थे। इससे पहले 2018-19 में सबसे अधिक 1.76 लाख करोड़ रुपये की राशि आरबीआई की ओर से केंद्र को लाभांश के तौर पर दी गई थी।
केंद्र सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे या व्यय और राजस्व के बीच अंतर को 17.34 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 5.1 प्रतिशत) पर रखना है। 2024-25 के अंतरिम बजट में, सरकार ने RBI और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 1.02 लाख करोड़ रुपए की लाभांश आय का अनुमान लगाया है।
आकस्मिक बफर जोखिम से तात्पर्य उस धनराशि से है जो आरबीआई को अपनी वर्तमान देनदारियों (जैसे दिन-प्रतिदिन की लागत, कर्मचारी वेतन, आदि) को पूरा करने और मौद्रिक और विदेशी मुद्रा कार्यों जैसे अपने वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए बनाए रखना होता है। आकस्मिक बफर जोखिम आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे का हिस्सा है।
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