सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आरईसी (REC Ltd.) को ‘महारत्न’ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (CPSE) का दर्जा मिल गया है। यह दर्जा मिलने से कंपनी को ज्यादा ऑपरेशनल और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी मिलेगी। आरईसी महारत्न का खिताब पाने वाली 12वीं कंपनी है। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले लोक उपक्रम विभाग ने इस बारे में आदेश जारी किया। आरईसी का गठन साल 1969 में हुआ था। यह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है जो देशभर में पावर सेक्टर के फाइनेंस और डेवलपमेंट पर केंद्रित है।
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कंपनी ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने उसे महारत्न का दर्जा दिया है। यह किसी सरकारी कंपनी को दिया जाने वाला सबसे बड़ा दर्जा है। इससे आरआईसी बोर्ड को वित्तीय फैसले लेने में ज्यादा अधिकार मिलेंगे। इससे पहले महारत्न का दर्जा पा चुकी कंपनियों में पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया, गेल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
यह दर्जा किसे मिलता है?
महारत्न का दर्जा ऐसी कंपनियों को मिलता हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हो और जिसका सालाना टर्नओवर पिछले तीन साल में 25,000 करोड़ से अधिक हो। साथ ही पिछले तीन साल में इसकी औसत नेटवर्थ 15000 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए और औसत नेट प्रॉफिट 5000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। महारत्न का दर्जा मिलने के बाद आरईसी अब 5000 करोड़ रुपये या अपनी नेटवर्थ का 15 फीसदी तक किसी सिंगल प्रोजेक्ट में निवेश कर सकती है।
कंपनी को महारत्न का दर्जा ऐसे समय मिला है जब सरकार उसे डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) का दर्जा देने पर विचार कर रही है। इससे कंपनी देश में ग्लोबल क्लाइमेंट फंडिंग और नेट जीरो इनवेस्टमेंट पर फोकस कर सकती है। अभी यह कंपनी राज्य बिजली बोर्डों, राज्य सरकारों, केंद्र और राज्यों की बिजली कंपनियों, इंडिपेंडेंट पावर प्रॉड्यूसर्स, रूरल इलेक्ट्रिक कोऑपरेटिव्स और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को वित्तीय सहायता देती है।