भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्क देशों के लिए मुद्रा विनिमय सुविधा के तहत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के साथ मुद्रा अदला-बदली के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण, आरबीआई से अधिकतम 200 मिलियन डॉलर तक की राशि किस्तों में निकाल सकता है। यह समझौता अल्पावधि के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने में मददगार होगा।
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मुद्रा विनिमय ढाँचा:
- करेंसी स्वैप अथवा मुद्रा विनिमय का आशय दो देशों के बीच पूर्व निर्धारित नियमों और शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान हेतु किये गए समझौते या अनुबंध से है।
- वर्तमान संदर्भ में, यह सुविधा अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं के लिये वित्त पोषण के वैकल्पिक स्रोत के रूप में स्वैप सुविधा प्रदान करता है।
- वर्ष 2020 में, RBI ने श्रीलंका के साथ 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये।
- जब तक कि एक स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती है, केंद्रीय बैंक और सरकारों ने अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अथवा भुगतान संतुलन संकट से बचने के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुनिश्चित करने हेतु विदेशी समकक्षों के साथ मुद्रा विनिमय का निर्णय लिया है।
- इन विनिमय समझौतों में विनिमय दर या अन्य बाज़ार संबंधी जोखिमों का कोई खतरा नहीं रहता है क्योंकि लेनदेन की शर्तें अग्रिम रूप से निर्धारित होती हैं।
- विनिमय दर जोखिम, जिसे मुद्रा जोखिम के रूप में भी जाना जाता है, का आशय विदेशी मुद्रा के विरुद्ध मूल मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से है।
सार्क के लिये स्वैप सुविधाओं हेतु रिज़र्व बैंक की रूपरेखा:
- सार्क मुद्रा विनिमय सुविधा 15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी।
- भारतीय रिज़र्व बैंक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र कोष के भीतर एक स्वैप व्यवस्था की पेशकश करता है।
- स्वैप व्यवस्था का उपयोग अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किया जा सकता है। यह रूपरेखा भारतीय रुपए में स्वैप निकासी के लिये कुछ रियायत भी प्रदान करती है।
- यह सुविधा सभी सार्क सदस्य देशों के लिये उपलब्ध होगी, बशर्ते उन्हें द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करना होगा।
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