भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये को और गिरने से रोकने के लिए अगस्त में स्पॉट मार्केट में करीब 13 अरब डॉलर की बिक्री की है (RBI sells 13 billion dollars). आरबीआई ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को देखते हुए ये कदम उठाया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में आरबीआई की ओर से करेंसी मार्केट में किया गया सबसे बड़ा हस्तक्षेप है। आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 29 जुलाई से 2 सितंबर के बीच लगातार पांच हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 21 बिलियन डॉलर गिरकर 553.1 डॉलर हो गया है।
भारत वापस आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए एक स्थिर विनिमय दर जरूरी है, जो कि फिलहाल भारतीय बाजारों से तेजी से निवेश कम कर रहे हैं। 29 अगस्त को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर 80.13 पर पहुंच गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत विदेशी निवेशकों के लिए पसंद का गंतव्य बनना चाहता है, तो हमें स्थिर विनिमय दर की आवश्यकता है। इसके उलट उच्च आर्थिक विकास का लक्ष्य रखने वाले देश के लिए तेल की बढ़ती कीमतें और गिरता हुआ रुपया केवल मुद्रास्फीति का डर पैदा करेगा।