भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने थोक सावधि जमा की सीमा मौजूदा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने की घोषणा की। थोक सावधि जमा पर खुदरा सावधि जमा की तुलना में थोड़ा अधिक ब्याज मिलता है, क्योंकि बैंक अपनी नकदी प्रबंधन प्रक्रिया के तहत अलग-अलग दरें प्रदान करते हैं। अब अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के पास दो करोड़ रुपये तक की एकल रुपया सावधि जमा, खुदरा सावधि जमा का हिस्सा होगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि थोक जमा सीमा की समीक्षा के संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) और एसएफबी के लिए तीन करोड़ रुपये और उससे ज्यादा की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में थोक जमा की परिभाषा को संशोधित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिए थोक जमा सीमा को एक करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में परिभाषित करने का भी प्रस्ताव है, जैसा कि आरआरबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) के मामले में लागू है।
व्यवसाय करने में आसानी
आरबीआई ने कारोबार को आसान बनाने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के तहत वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात के लिए दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव भी किया है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बदलती स्थिति को देखते हुए और विदेशी मुद्रा विनियमन के प्रगतिशील उदारीकरण के मुताबिक वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात पर मौजूदा फेमा गाइडलाइंस को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि इससे कारोबार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
डिजिटल भुगतान
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के संबंध में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डिजिटल भुगतान परिवेश में नेटवर्क स्तर की खुफिया जानकारी और तत्काल आधार पर आंकड़ों को साझा करने के लिए एक डिजिटल पेमेंट इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म स्थापित करने का प्रस्ताव है। हालांकि, उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर एक एक प्रणाली-व्यापी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।