भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वर्किंग पेपर के अनुसार, भारत में फर्मों द्वारा उठाए गए बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings – ECBs) के लिए इष्टतम बचाव अनुपात (optimal hedge ratio) विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा / एफएक्स) बाजार में उच्च अस्थिरता की अवधि के लिए 63 प्रतिशत अनुमानित है। एक इष्टतम बचाव अनुपात एक अनुपात है जो कुल परिसंपत्ति या देयता जोखिम का प्रतिशत दर्शाता है जिसे एक इकाई को विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव करना चाहिए।
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पेपर के अनुसार, घरेलू आर्थिक गतिविधि और भारतीय रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव ईसीबी जारी करने को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक हैं। भारतीय रुपये के मूल्यह्रास का लघु और दीर्घावधि में बाह्य वाणिज्यिक उधार जारी करने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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