भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने चालू वित्त वर्ष में ब्याज दरों को स्थिर रखा है। तीन दिनों तक चली बैठक में समिति ने रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है। आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर 4 फीसदी से ऊपर ही बनी रहेगी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल 2023 में 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर पर आ गई थी।
मुख्य बिंदु
- आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि सप्लाई में सुधार होने और मॉनेटरी पॉलिसी सख्त करने से महंगाई पर अंकुश लगा है। लेकिन, अभी यह निर्धारित सीमा के अंदर नहीं आई है। 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को 5.2% से घटाकर 5.1% किया गया।
- आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून 2023 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1% से घटाकर 4.6% किया गया है। इसी तरह जुलाई-सितंबर 2023 में महंगाई के अनुमान को 5.4% से घटाकर 5.2% किया गया है।
- आरबीआई ने अक्टूबर-दिसंबर 2023 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 5.4 फीसदी पर और जनवरी-मार्च 2024 के लिए सीपीआई महंगाई पूर्वानुमान 5.2 फीसदी पर बरकरार रखा है।
- केंद्रीय बैंक ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। नीतिगत ब्याज 6.50 फीसदी बनी रहेगी।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि निवेश में सुधार हुआ है और मानसून के भी सामान्य रहने का अनुमान है।
क्या है रेपो रेट
आरबीआई रेपो रेट वह दर होती है, जिसपर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कमर्शियल बैकों को लोन देता है। जब आरबीआई का रेपो रेट बढ़ती है, तो बैकों को आरबीआई से महंगा लोन मिलता है। बैंक को महंगा लोन मिलेगा तो बैंक अपने ग्राहकों को भी महंगा लोन बांटेगी। यानी रेपो रेट बढ़ने का बोझ बैंक से होते हुए ग्राहकों तक पहुंच जाता है।
Find More News Related to Banking