भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ‘बैंकों द्वारा कैश क्रेडिट खाते, चालू खाते और ओवरड्राफ्ट खातों के संधारण’ से संबंधित अपने अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में कुछ महत्वपूर्ण रियायतें प्रदान की गई हैं, साथ ही सिद्धांत-आधारित नियामक ढाँचे को बरकरार रखा गया है, जिसका उद्देश्य ऋण अनुशासन और पारदर्शिता को मजबूत करना है। ये निर्देश बैंकिंग जागरूकता, वित्तीय विनियमन तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये स्पष्ट करते हैं कि विनियमित संस्थाओं की सात विभिन्न श्रेणियों में लेन–देन से जुड़े विभिन्न प्रकार के खातों का संधारण किस प्रकार किया जाएगा।
पहले, RBI ने 1 अक्टूबर, 2025 को स्टेकहोल्डर से फीडबैक लेने के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए थे। ये ड्राफ्ट नियम फंड के गलत इस्तेमाल को रोकने और कर्ज लेने वालों पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए ट्रांजैक्शन अकाउंट – खासकर करंट अकाउंट (CA) और ओवरड्राफ्ट अकाउंट (OD) – को रेगुलेट करने पर केंद्रित थे।
फीडबैक की समीक्षा करने के बाद, RBI ने कुछ छूटों के साथ नियमों को अंतिम रूप दिया, खासकर कैश क्रेडिट (CC) अकाउंट के संबंध में।
आरबीआई के अंतिम दिशा-निर्देश निम्नलिखित सात श्रेणियों की विनियमित संस्थाओं पर लागू होंगे—
ये सभी मिलकर भारत की बैंकिंग प्रणाली की रीढ़ बनाते हैं।
1. कैश क्रेडिट (CC) खातों में बड़ी राहत
यह बदलाव क्यों?
CC खाते कार्यशील पूंजी (Working Capital) सुविधा होते हैं।
नया नियम
महत्त्व
आरबीआई ने उधारकर्ता पर पूरे बैंकिंग तंत्र के कुल एक्सपोज़र के आधार पर CA और OD खातों के लिए नियमों को वर्गीकृत किया है, ताकि ऋण अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
आरबीआई ने उधारकर्ता पर पूरे बैंकिंग तंत्र के कुल एक्सपोज़र के आधार पर चालू खाता (CA) और ओवरड्राफ्ट (OD) खातों से जुड़े नियमों को वर्गीकृत किया है।
A. ₹10 करोड़ से कम एक्सपोज़र
यदि किसी ग्राहक पर पूरे बैंकिंग सिस्टम का कुल एक्सपोज़र ₹10 करोड़ से कम है, तो—
B. ₹10 करोड़ या उससे अधिक एक्सपोज़र
जिन उधारकर्ताओं पर कुल एक्सपोज़र ₹10 करोड़ या उससे अधिक है, उनके लिए कड़े मानदंड लागू होंगे।
ऐसे मामलों में कोई बैंक तभी CA या OD खाता संचालित कर सकता है, जब वह निम्न में से किसी एक शर्त को पूरा करता हो—
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वे बैंक, जिनकी वास्तविक और सार्थक हिस्सेदारी हो, लेन–देन प्रवाह को नियंत्रित करें, जिससे ऋण निगरानी और जोखिम नियंत्रण बेहतर हो।
रेमिटेंस विंडो – कोई बदलाव नहीं
हितधारकों द्वारा छूट की मांग के बावजूद, आरबीआई ने मौजूदा नियम को बरकरार रखा है—
यह प्रावधान समय पर फंड ट्रांसफर और पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।
सरकारी एवं बैंकिंग परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए ये मानदंड विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जैसे—
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