पूर्वोत्तर भारत में रेल संपर्क को मज़बूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रेल मंत्रालय ने अगरतला (त्रिपुरा) और गुवाहाटी (असम) के बीच नई रेल सेवा शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है। इस संबंध में जानकारी त्रिपुरा पश्चिम से सांसद बिप्लब कुमार देब ने 24 मई 2025 को साझा की। यह निर्णय पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुलभता और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र सरकार की निरंतर कोशिशों का हिस्सा है।
क्यों है यह ख़बरों में?
यह नई ट्रेन सेवा पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतर्राज्यीय परिवहन को सशक्त बनाने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों का प्रतीक है। यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब कुछ महीने पहले त्रिपुरा को पहली इलेक्ट्रिक इंजन वाली रेल सेवा प्राप्त हुई थी, और पूरे पूर्वोत्तर में विद्युतीकरण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।
मुख्य विशेषताएं
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मंज़ूरी की पुष्टि: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 19 मई 2025 को सांसद बिप्लब देब को पत्र लिखकर अगरतला-गुवाहाटी (नारंगी) रेल सेवा की मंज़ूरी की पुष्टि की।
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जनता की मांग पूरी: यह ट्रेन लंबे समय से मांग की जा रही थी, ताकि त्रिपुरा और असम की राजधानियों के बीच सीधी और बेहतर कनेक्टिविटी मिल सके।
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विद्युतीकरण की उपलब्धि: फरवरी 2025 में त्रिपुरा को पहली बार इलेक्ट्रिक इंजन मिला—पूर्वोत्तर में हरित और आधुनिक रेलवे नेटवर्क की दिशा में बड़ी पहल।
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पहला कदम: 2023 की शुरुआत में मेघालय पूर्वोत्तर का पहला राज्य बना जहाँ इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवाएं शुरू हुईं।
उद्देश्य और महत्व
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राज्यों के बीच आवागमन को बेहतर बनाना और यात्रियों को अधिक सुविधा देना।
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यात्रा का समय कम करना और डीज़ल पर निर्भरता घटाकर सतत, पर्यावरण-अनुकूल ट्रेनों को बढ़ावा देना।
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आर्थिक विकास को गति देना, विशेषकर माल और यात्रियों की आसान आवाजाही से।
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सरकार की “एक्ट ईस्ट नीति” के तहत क्षेत्रीय एकता और राष्ट्रीय संपर्क को मजबूत करना।
पृष्ठभूमि
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त्रिपुरा की रेल कनेक्टिविटी कोलकाता, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से जुड़ी हुई है।
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अब तक बदरपुर (असम) तक ही इलेक्ट्रिक इंजन जाते थे; उसके बाद डीज़ल इंजन जोड़ा जाता था।
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अगरतला तक इलेक्ट्रिक ट्रेनों की अनुपस्थिति लॉजिस्टिक्स में बाधाएं और यात्रा में देरी का कारण बनती थी।