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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपालों के 52वें सम्मेलन की अध्यक्षता की

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 02 अगस्त 2024 को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 52वें सम्मेलन की अध्यक्षता की। राज्यपालों का 51वां सम्मेलन 2021 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था, और इसकी अध्यक्षता तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की थी। यह पहली बार था कि राष्ट्रपति मुर्मू राज्यपालों के सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही हैं।

राज्यपालों का पहला सम्मेलन साल 1949 में राष्ट्रपति भवन जिसे उस समय गवर्नमेंट हाउस कहा जाता था, में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने की थी। भारत में, राष्ट्रपति के पास राज्य के राज्यपालों, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों और प्रशासकों को नियुक्त करने और बर्खास्त करने की शक्ति है।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उपराज्यपाल हैं। केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में प्रशासक हैं।

राज्यपालों के सम्मेलन में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्ति

बता दें, 2 और 3 अगस्त को आयोजित होने वाले राज्यपालों के दो दिवसीय 52वें सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मोदी सरकार के कई अन्य कैबिनेट मंत्री भाग लेंगे। सम्मेलन में राज्यों के राज्यपाल, उपराज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक भी भाग लेते हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर सुब्रमण्यम के साथ-साथ पीएमओ और गृह मंत्रालय में कैबिनेट सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।

सम्मेलन का मुख्य एजेंडा

राज्यपालों के इस सम्मेलन के एजेंडे में कई विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों जैसे उच्च शिक्षा में सुधार और विश्वविद्यालयों की मान्यता; तीन आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन; जनजातीय क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों और सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे फोकस क्षेत्रों का विकास; एक वृक्ष मां के नाम’, ‘माईभारत’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसे अभियानों में राज्यपालों की भूमिका पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन में राज्य में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देने एवं प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने और सार्वजनिक संपर्क बढ़ाने में राज्यपालों की भूमिका पर भी चर्चा होगी।

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