प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) भारत की प्रमुख फसल बीमा योजना है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 18 फरवरी 2016 को लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य भारतीय किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों जैसी विभिन्न जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करना है। पिछले नौ वर्षों में, यह योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन साबित हुई है, जिसमें ₹1.75 लाख करोड़ से अधिक का दावा भुगतान 23.22 करोड़ से अधिक किसानों को किया गया है। इसने न केवल किसानों की आय को स्थिर करने में मदद की है, बल्कि नवाचार और सतत कृषि पद्धतियों को भी प्रोत्साहित किया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभ
PMFBY की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी सस्ती प्रीमियम दरें हैं। किसानों को न्यूनतम प्रीमियम का भुगतान करना होता है, जिससे यह योजना व्यापक रूप से उपलब्ध हो पाती है:
- खरीफ फसलों के लिए 2% प्रीमियम
- रबी फसलों के लिए 1.5% प्रीमियम
- वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम
बाकी प्रीमियम का भुगतान सरकार करती है, जिससे यह किसानों के लिए किफायती समाधान बन जाता है। इसके अलावा, दावों का निपटान फसल कटाई के दो महीने के भीतर किया जाता है, जिससे किसानों को समय पर वित्तीय सहायता मिलती है।
PMFBY में तकनीकी नवाचार
वर्षों में PMFBY ने सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन और रिमोट सेंसिंग तकनीक को अपनाया है, जिससे फसल क्षति के आकलन में सटीकता और पारदर्शिता आई है। खासतौर पर खरीफ 2023 में लॉन्च किया गया YES-TECH (यील्ड एस्टीमेशन सिस्टम बेस्ड ऑन टेक्नोलॉजी) किसानों को सही मुआवजा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
भविष्य की योजना और सरकार की प्रतिबद्धता
PMFBY को 2025-26 तक जारी रखने के लिए ₹69,515.71 करोड़ के बजट के साथ मंजूरी दी गई है। यह निर्णय सरकार की दीर्घकालिक कृषि जोखिम सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कृषि में सकारात्मक परिवर्तन
PMFBY अब दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन गई है, जिसे 23 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। 2023-24 में गैर-ऋणी किसानों की भागीदारी 55% तक पहुंच गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किसान अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और स्वेच्छा से बीमा कवर अपना रहे हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केवल एक बीमा योजना नहीं, बल्कि लाखों भारतीय किसानों के लिए जीवन रेखा बन गई है। यह योजना किसानों को अचानक आने वाले जोखिमों से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे भारत में एक अधिक सतत और मजबूत कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो रहा है। अपनी नवाचार-आधारित रणनीति, त्वरित दावों की प्रक्रिया और तकनीकी उन्नति के कारण, PMFBY भारतीय कृषि के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
मुख्य पहलू | विवरण | समाचार में क्यों? |
लॉन्च तिथि | 18 फरवरी 2016 | PMFBY के कार्यान्वयन के नौ वर्ष पूरे |
कुल दावा भुगतान | ₹1.75 लाख करोड़ | 23.22 करोड़ से अधिक किसानों को महत्वपूर्ण दावों का भुगतान |
किसानों द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम | खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5%, वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5% | योजना किसानों को किफायती बीमा प्रदान करना जारी रखती है |
तकनीकी एकीकरण | सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन, YES-TECH (यील्ड एस्टीमेशन सिस्टम) | फसल हानि आकलन में सटीकता बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग |
किसानों पर प्रभाव | 23 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कवर; 2023-24 में 55% गैर-ऋणी किसानों की भागीदारी | PMFBY व्यापक किसान आधार तक पहुंच रही है, जिससे स्वैच्छिक भागीदारी बढ़ रही है |
सरकारी समर्थन | PMFBY और RWBCIS को 2025-26 तक जारी रखने के लिए ₹69,515.71 करोड़ आवंटित | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने योजना की निरंतरता को मंजूरी दी |