भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पूनम गुप्ता को नया डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है। वह माइकल पात्रा का स्थान लेंगी। उनकी नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब 7-9 अप्रैल 2025 को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होने जा रही है। मौद्रिक और वित्तीय नीतियों को आकार देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
मुख्य बिंदु
नियुक्ति और पृष्ठभूमि
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नियुक्तिकर्ता: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
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पद: डिप्टी गवर्नर
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पूर्ववर्ती: माइकल पात्रा
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नियुक्ति तिथि: 2 अप्रैल 2025
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महत्व: MPC की बैठक से पहले यह घोषणा की गई
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कार्यकाल: संभावित रूप से तीन वर्ष (RBI के नियमों के अनुसार)
पेशेवर अनुभव
पूनम गुप्ता एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में कार्य किया है:
- नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की महानिदेशक
- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की सदस्य
- 16वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद की संयोजक
उन्होंने लगभग दो दशकों तक निम्नलिखित संगठनों में कार्य किया:
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
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विश्व बैंक, वाशिंगटन डी.सी.
इसके अलावा, वे राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP), वैश्विक विकास नेटवर्क (GDN) और विश्व बैंक के सलाहकार समूहों से भी जुड़ी रही हैं।
भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान “मैक्रोइकॉनॉमिक्स एंड ट्रेड” कार्यबल की अध्यक्ष
शैक्षणिक योग्यता
- पीएचडी और मास्टर डिग्री – यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, यूएसए
- मास्टर डिग्री – दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय
- 1998 में EXIM बैंक अवार्ड (अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र में उत्कृष्ट शोध के लिए)
RBI में उनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ
- समष्टि आर्थिक स्थिरता: मुद्रास्फीति, विकास और वित्तीय अनुशासन की निगरानी
- मौद्रिक नीति कार्यान्वयन: आरबीआई की मौद्रिक नीतियों में सहयोग
- सार्वजनिक ऋण प्रबंधन: वित्तीय बाजार संचालन को प्रभावी बनाना
- वित्तीय बाजार पर्यवेक्षण: बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता और सुशासन को बढ़ाना
- अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियाँ: वैश्विक वित्तीय व्यवस्थाओं में भारत की भूमिका को मजबूत करना
निष्कर्ष
पूनम गुप्ता की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारत आर्थिक सुधारों और स्थिर मुद्रास्फीति को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उनके गहन अनुभव और नीतिगत विशेषज्ञता से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत मौद्रिक ढांचा, वित्तीय स्थिरता और वैश्विक आर्थिक सहभागिता में लाभ मिलेगा।