अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) दो लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलनों (Summits for Democracy) में से पहले की मेजबानी कर रहे हैं, जो लगभग 9-10 दिसंबर के बीच हुआ है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी रूप से शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीयों में ‘लोकतांत्रिक भावना (democratic spirit)’ और ‘बहुलवादी लोकाचार (pluralistic ethos)’ निहित हैं। इस ‘लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन (Summit for Democracy)’ में कुल 100 देशों ने भाग लिया।
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यहां तक कि यूक्रेन और ताइवान को भी शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था लेकिन रूस और चीन को नहीं। इन दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका “शीत-युद्ध की मानसिकता” प्रदर्शित कर रहा है जो “वैचारिक टकराव और दुनिया में दरार को भड़काएगा”।
पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन में प्रकाश डाला :
- अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने लोकतंत्र के मूल स्रोतों में से एक के रूप में भारत के सभ्यतागत लोकाचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय लोकतांत्रिक शासन के चार स्तंभों के रूप में संवेदनशीलता, जवाबदेही, भागीदारी और सुधार अभिविन्यास को रेखांकित किया, इस बात पर बल दिया कि लोकतंत्र के सिद्धांतों को वैश्विक शासन का भी मार्गदर्शन करना चाहिए।
- भारत के प्रधान मंत्री ने यह भी याद किया कि 75 साल पहले, भारत की संविधान सभा ने अपना पहला सत्र आयोजित किया था। उन्होंने कहा कि कैसे लोकतांत्रिक देशों को अपने-अपने संविधानों में निहित मूल्यों पर काम करना चाहिए।