15 अगस्त 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय सुरक्षा पहल — ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की। यह महत्वाकांक्षी दस वर्षीय मिशन भारत की महत्वपूर्ण संस्थाओं और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा स्वदेशी तकनीक से सुनिश्चित करेगा, जो रक्षा और सामरिक अवसंरचना संरक्षण में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
दृष्टि और उद्देश्य
पीएम मोदी ने कहा, “हर नागरिक को सुरक्षित महसूस होना चाहिए”, और यह भी स्पष्ट किया कि यह मिशन शोध-आधारित होगा तथा पूरी तरह भारत में विकसित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य है:
विकसित होते खतरों के खिलाफ बहु-स्तरीय सुरक्षा ढांचा स्थापित करना।
विदेशी सुरक्षा प्रणालियों पर निर्भरता कम करना।
निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा को एक व्यापक कवच में एकीकृत करना।
खतरों का सामना करने से पहले उन्हें भांपकर रोकने की तैयारी करना।
सांस्कृतिक प्रेरणा
पीएम मोदी ने महाभारत का उदाहरण देते हुए वह प्रसंग याद किया जब भगवान कृष्ण ने जयद्रथ को पराजित करने में अर्जुन की मदद के लिए सूर्य को ढक लिया था।
उन्होंने कहा, “उस दैवीय हस्तक्षेप ने युद्ध की दिशा बदल दी। आज हमें भी अपने महत्वपूर्ण संस्थानों को उभरते खतरों से उसी तरह ढालना है”, इस प्रकार भारत की प्राचीन संस्कृति को आधुनिक सामरिक नवाचार से जोड़ा।
मिशन सुदर्शन चक्र की प्रमुख विशेषताएं
हालांकि पूर्ण परिचालन विवरण गोपनीय हैं, शुरुआती संकेत बताते हैं कि इसमें शामिल होंगे —
उन्नत निगरानी प्रणाली – संवेदनशील स्थलों की एआई-सक्षम निगरानी।
साइबर सुरक्षा ढांचा – साइबर युद्ध और हाइब्रिड खतरों से रक्षा।
भौतिक सुरक्षा सुदृढ़ीकरण – मजबूत अवसंरचना और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणालियां।
एकीकृत खतरा प्रतिक्रिया नेटवर्क – सुरक्षा बलों, खुफिया एजेंसियों और शोध संस्थानों के बीच वास्तविक समय समन्वय।
जन-निजी सहयोग – प्रमुख भारतीय अनुसंधान संस्थानों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों और निजी नवाचारकर्ताओं के साथ भागीदारी।
रणनीतिक संदर्भ
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक स्तर पर साइबर युद्ध, तोड़फोड़ और महत्वपूर्ण अवसंरचना पर हाइब्रिड हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
2008 के मुंबई हमलों जैसी घटनाओं से यह सीख मिली है कि सक्रिय और एकीकृत सुरक्षा की आवश्यकता है।
यह मिशन आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के बड़े अभियान का हिस्सा है।
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