छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारत के उच्चतम पुलिस नेतृत्व ने एक ही मंच पर उपस्थिति दर्ज की, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2025 को 60वें अखिल भारतीय डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन का उद्घाटन किया और उसका नेतृत्व किया। नया रायपुर स्थित आईआईएम परिसर में आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को “विकसित भारत, सुरक्षित भारत” की व्यापक दृष्टि के अनुरूप नए सिरे से तैयार करना था — अर्थात विकास को आधार बनाकर एक सुरक्षित और सशक्त भारत का निर्माण।
डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन के बारे में
डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन एक वार्षिक राष्ट्रीय-स्तरीय आंतरिक सुरक्षा बैठक है, जिसका आयोजन इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा किया जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अधीन कार्य करता है।
यह सम्मेलन भारत में आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विचार-विमर्श के लिए सर्वोच्च मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक (DGs) और पुलिस महानिरीक्षक (IGs) शामिल होते हैं।
इस सम्मेलन में प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों — जैसे रॉ (RAW), राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), एनटीआरओ (NTRO), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), तथा विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) — की भी भागीदारी होती है। ये सभी मिलकर नीतिगत निर्माण, उभरते सुरक्षा खतरों, और अंतर-एजेंसी समन्वय पर महत्वपूर्ण चर्चाएँ करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और दृष्टि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए इसे ऐसा महत्वपूर्ण मंच बताया, जहाँ विभिन्न राज्यों की पुलिस सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ साझा करती हैं, सुरक्षा नवाचारों पर चर्चा करती हैं और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के बीच राष्ट्रीय एकजुटता को मजबूत करती हैं।
उन्होंने आंतरिक सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और राज्य व केंद्र की पुलिस बलों से नवाचारी पुलिसिंग तरीकों, बेहतर समन्वय, तथा नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
सम्मेलन के प्रमुख विषय
1. आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था
विभिन्न राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने कानून-व्यवस्था, पूर्व सिफारिशों के क्रियान्वयन, तथा संगठित अपराध, आतंकवाद और उग्रवाद से उत्पन्न खतरों पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दीं। सम्मेलन में अपराध जाँच क्षमता सुधारने, बेहतर डेटा-विश्लेषण अपनाने और एजेंसियों के बीच समन्वय मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया।
2. फॉरेंसिक और तकनीक-आधारित पुलिसिंग पर फोकस
सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा फॉरेंसिक तकनीक और अपराध जाँच में उसकी बढ़ती भूमिका पर केंद्रित रहा। इस दौरान निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई —
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फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं और विशेषज्ञ कर्मियों का विस्तार
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डिजिटल सबूत तथा एआई टूल्स का उपयोग कर अपराध समाधान
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राज्यों के बीच निर्बाध डेटा-शेयरिंग तंत्र विकसित करना
3. महिलाओं की सुरक्षा
महिला सुरक्षा को पारंपरिक और तकनीक-आधारित दोनों तरीकों से मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई। प्रस्तावित प्रमुख कदम —
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सीसीटीवी निगरानी में वृद्धि
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पैनिक अलर्ट ऐप्स और 24×7 आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियाँ
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स्मार्ट मॉनिटरिंग के माध्यम से सुरक्षित शहरी स्थानों का विकास
बस्तर 2.0: छत्तीसगढ़ में पोस्ट-नक्सल रणनीति
छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने “बस्तर 2.0” नामक प्रस्तुति दी — जो मार्च 2026 तक नक्सलवाद की समाप्ति के लक्ष्य के बाद बस्तर क्षेत्र के विकास का रोडमैप है।
“बस्तर 2.0” के मुख्य बिंदु —
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उग्रवाद-मुक्ति के बाद सुरक्षा उपलब्धियों को स्थिर रखना
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आदिवासी क्षेत्रों में सड़क तथा बुनियादी ढाँचे का विस्तार
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स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी सरकारी सेवाएँ पहुँचाना
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स्थानीय शासन व जनभागीदारी को प्रोत्साहन
यह योजना संघर्ष-नियंत्रण से विकास-केंद्रित बस्तर की ओर ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत है।
विजन 2047: भविष्य की पुलिसिंग का रोडमैप
सम्मेलन में वर्ष 2047 तक की दीर्घकालिक पुलिसिंग दृष्टि भी प्रस्तुत की गई, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा। प्रमुख लक्ष्य —
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आधुनिक, डिजिटाइज्ड और सेवा-उन्मुख पुलिस बल
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प्रशिक्षण, जनविश्वास और जवाबदेही पर अधिक ध्यान
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फॉरेंसिक, साइबर और एआई-सक्षम जाँच क्षमताओं का विस्तार
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ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में नागरिक-अनुकूल पुलिसिंग सिस्टम का निर्माण
यह दूरदर्शी योजना भारत को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने पर केंद्रित है।
मुख्य तथ्य
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सम्मेलन का नाम: 60वाँ अखिल भारतीय डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन
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तारीख: 29 नवंबर 2025
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स्थान: आईआईएम परिसर, नया रायपुर, छत्तीसगढ़
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थीम: विकसित भारत, सुरक्षित भारत
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आयोजक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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मुख्य एजेंडा: आंतरिक सुरक्षा, फॉरेंसिक तकनीक, कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा


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