संसद ने 26 मार्च 2025 को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। यह विधेयक दिसंबर 2024 में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था और अब इसे राज्यसभा में ध्वनि मत से मंजूरी मिली। इस संशोधन के तहत, बैंक खाता धारक अब चार नामांकित व्यक्ति (नोमिनी) जोड़ सकते हैं, जिससे वित्तीय योजना में अधिक लचीलापन आएगा। इसके अलावा, ‘महत्वपूर्ण हित’ (Substantial Interest) की परिभाषा को संशोधित कर इसकी सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी गई, जो लगभग छह दशकों के बाद हुआ बड़ा बदलाव है। विधेयक में सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल, वैधानिक लेखा परीक्षक (Auditor) के पारिश्रमिक, तथा नियामक अनुपालन रिपोर्टिंग तिथियों को भी संशोधित किया गया है।
मुख्य प्रावधान
1. चार नामांकित व्यक्ति (Nominee) जोड़ने की सुविधा
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अब बैंक खाता धारक चार नामांकित व्यक्ति जोड़ सकते हैं, जबकि पहले केवल एक ही नोमिनी की अनुमति थी।
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यह नियम कैश और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों पर लागू होगा।
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लॉकर खातों के लिए सिर्फ संयुक्त नामांकन (Simultaneous Nomination) की अनुमति दी गई है।
2. ‘महत्वपूर्ण हित’ की नई परिभाषा
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बैंक में ‘Substantial Interest’ की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी गई है।
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यह बदलाव 60 वर्षों के बाद किया गया, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में बड़े निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
3. सहकारी बैंकों में सुधार
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निदेशकों का कार्यकाल (चेयरमैन और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर) 8 साल से बढ़ाकर 10 साल किया गया।
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अब राज्य सहकारी बैंकों के बोर्ड में केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशक भी शामिल हो सकते हैं।
4. बैंकिंग क्षेत्र में निगरानी और अनुपालन सुधार
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बैंकों को लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक (Auditor Remuneration) तय करने में अधिक लचीलापन दिया गया।
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नियामक रिपोर्टिंग की तिथियां अब हर महीने की 15वीं और अंतिम तिथि होंगी, पहले यह दूसरे और चौथे शुक्रवार को होती थी।
5. जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों (Wilful Defaulters) पर कड़ी कार्रवाई
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनपीए (Non-Performing Assets) को कम करने और जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
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पिछले 5 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 112 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की गई।
6. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन
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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में ₹1.41 लाख करोड़ का रिकॉर्ड मुनाफा अर्जित किया।
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वित्तीय वर्ष 2025-26 में और अधिक लाभ वृद्धि की उम्मीद है।
7. व्यापक बैंकिंग सुधार
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यह संशोधन पांच अलग-अलग बैंकिंग कानूनों को प्रभावित करता है, जिससे यह बैंकिंग इतिहास में एक ऐतिहासिक सुधार माना जा रहा है।
यह विधेयक भारत के बैंकिंग क्षेत्र को अधिक पारदर्शी, लचीला और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।