कोपरगांव में भारत की पहली सहकारी संचालित सीबीजी और पोटाश परियोजना का शुभारंभ

भारत के सहकारी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के कोपरगांव स्थित सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना में देश की पहली सहकारी-संस्था द्वारा संचालित संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) और स्प्रे ड्रायर पोटाश ग्रैन्यूल परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना ऊर्जा, उर्वरक और कृषि अपशिष्ट उपयोग को एकीकृत करने वाली पहली पहल है, जो सहकारी मॉडल पर आधारित है।

परियोजना के प्रमुख विवरण

  • इस संयंत्र में गन्ना प्रसंस्करण और अन्य जैविक अपशिष्ट से स्वच्छ ईंधन (CBG) तथा पोटाश ग्रैन्यूल उर्वरक दोनों का उत्पादन किया जाएगा।

  • परियोजना का संचालन सहकारी मॉडल पर होगा, जिससे किसानों और स्थानीय हितधारकों को स्वामित्व और लाभ दोनों प्राप्त होंगे।

  • उद्देश्य केवल एथेनॉल उत्पादन तक सीमित न रहकर, कृषि-आधारित उद्योगों में परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को बढ़ावा देना है।

परियोजना का महत्व

  • इस मॉडल को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) का वित्तीय सहयोग प्राप्त है, जो देशभर में इसी प्रकार की परियोजनाओं को दोहराने में मदद करेगा।

  • सरकार का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारी संस्थाओं, महिला स्वयं-सहायता समूहों और क्रेडिट सोसाइटियों को मजबूत करना है।

  • साथ ही, सरकार ने प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए 1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाई है।

प्रमुख लाभ

  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता: CBG जीवाश्म ईंधन का विकल्प बनेगा, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी।

  • मूल्य संवर्धन: कृषि अपशिष्ट को उर्वरक में बदलकर उत्पादन शृंखला को पूर्ण किया जाएगा।

  • किसान आय में वृद्धि: स्थानीय किसानों को बायोमास आपूर्ति से अतिरिक्त आमदनी होगी।

  • विस्तार योग्यता: सफल होने पर यह मॉडल देश के अन्य सहकारी शर्करा कारखानों में लागू किया जा सकेगा।

  • पर्यावरण-अनुकूलता: अपशिष्ट प्रबंधन, उत्सर्जन में कमी और हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान।

चुनौतियाँ और सावधानियाँ

  • एकीकृत संयंत्र की तकनीकी विश्वसनीयता और क्षमता उपयोग सुनिश्चित करना।

  • कृषि अपशिष्ट की निरंतर और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति शृंखला बनाए रखना।

  • किसानों, श्रमिकों और सहकारी सदस्यों के बीच लाभ का निष्पक्ष वितरण।

  • संचालन एवं रखरखाव लागत तथा लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान।

  • पर्यावरणीय स्वीकृतियों और उत्सर्जन मानकों का पालन।

महत्वपूर्ण तथ्य (Static Facts)

  • परियोजना का प्रकार: भारत की पहली सहकारी-संस्था द्वारा संचालित CBG + पोटाश ग्रैन्यूल परियोजना

  • स्थान: कोपरगांव, महाराष्ट्र

  • संस्था: सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना

  • मॉडल विस्तार: 15 सहकारी शर्करा कारखानों में दोहराया जाएगा

  • सहयोगी संस्था: राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)

  • मुख्य फोकस: परिपत्र अर्थव्यवस्था, ऊर्जा विविधीकरण, ग्रामीण आय सशक्तिकरण

फिलीपींस ने दक्षिण पूर्व एशिया का पहला कोरल क्रायोबैंक लॉन्च किया

फिलीपींस ने 2025 में दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला कोरल लार्वा क्रायोबैंक (Coral Larvae Cryobank) शुरू किया, जिसका उद्देश्य कोरल की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करना और समुद्री रीफ पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करना है। यह पहल उस समय की गई है जब वैश्विक कोरल आबादी जलवायु परिवर्तन, ब्लीचिंग और मानवीय गतिविधियों के कारण गंभीर खतरे में है।

कोरल क्रायोबैंक पहल क्या है? 

  • यह पहल फिलीपींस, ताइवान, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड के वैज्ञानिक संस्थानों के बहुराष्ट्रीय सहयोग का हिस्सा है।

  • मुख्य उद्देश्य:

    • कोरल के लार्वा (Larvae) को फ्रीज और संग्रहित करना।

    • भविष्य में इन्हें रीफ में पुनर्स्थापन (Reintroduction) के लिए सुरक्षित रखना।

    • समुद्री जैव विविधता की सुरक्षा और रीफ बहाली (Coral Reef Restoration) में योगदान।

क्रायोप्रिज़र्वेशन कैसे काम करता है? 

  • क्रायोप्रिज़र्वेशन: जीवित कोशिकाओं या ऊतकों को अत्यधिक निम्न तापमान (~–196°C) पर लिक्विड नाइट्रोजन में संरक्षित करना।

  • कोरल लार्वा के लिए:

    • लार्वा को क्रायोप्रोटेक्टेंट्स जैसे ग्लिसरॉल, एथिलीन ग्लाइकोल या DMSO के साथ तैयार किया जाता है।

    • विट्रीफिकेशन प्रक्रिया: कोशिकाओं के अंदर पानी को बदलकर तेजी से ठंडा किया जाता है, जिससे आइस क्रिस्टल का नुकसान नहीं होता

    • संरक्षित लार्वा को अनिश्चितकाल तक संग्रहित किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर रीफ पुनर्स्थापन या शोध के लिए पुनर्जीवित किया जा सकता है।

कोरल त्रिभुज (Coral Triangle) — समुद्र का अमेज़न

  • यह क्षेत्र लगभग 6 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसमें शामिल हैं:

    • इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप और तिमोर-लेस्ते

  • विशेषताएँ:

    • दुनिया की 75% से अधिक कोरल प्रजातियाँ

    • वैश्विक रीफ मछली प्रजातियों का लगभग एक तिहाई

    • विस्तृत मैंग्रोव वन और

    • सात में से छह समुद्री कछुआ प्रजातियाँ

  • यह क्षेत्र वैश्विक समुद्री जैव विविधता, क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा, और तटीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

कोरल पारिस्थितिकी पर खतरे 

  • वैश्विक स्तर पर कोरल रीफ संकट में हैं।

  • Status of Coral Reefs of the World 2020 रिपोर्ट के अनुसार, 2009–2018 में 14% कोरल खो गए

  • मुख्य कारण:

    • जलवायु परिवर्तन और कोरल ब्लीचिंग

    • समुद्र के बढ़ते तापमान

    • प्रदूषण और विनाशकारी मछली पकड़ना

    • अनियंत्रित तटीय विकास और पर्यटन

कोरल क्या हैं और क्यों महत्वपूर्ण हैं? 

  • कोरल: समुद्री अस्थि विहीन जीव (Marine Invertebrates) जो बड़े कॉलोनियों (Polyps) में रहते हैं।

  • ये कैल्शियम कार्बोनेट का उत्सर्जन कर कठोर ढांचा (Exoskeleton) बनाते हैं।

  • कोरल रीफ समुद्री जीवन का 25% हिस्सा हैं और प्रजनन, भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं।

कोरल रीफ के प्रकार (Types of Coral Reefs)

  • फ्रिंजिंग रीफ्स (Fringing Reefs): तटीय क्षेत्रों के पास

  • बैरीयर रीफ्स (Barrier Reefs): तट से दूर, लैगून से अलग

  • एटोल्स (Atolls): डूबे ज्वालामुखी द्वीपों के चारों ओर वृत्ताकार

कोरल ब्लीचिंग (Coral Bleaching)

  • उच्च तापमान या प्रदूषण से कोरल सिम्बायोटिक शैवाल (Zooxanthellae) को बाहर निकाल देते हैं।

  • इससे कोरल सफेद दिखते हैं और यदि परिस्थितियाँ बेहतर न हों, तो मृत्यु हो सकती है।

स्थायी तथ्य (Static Facts)

विषय विवरण
देश फिलीपींस
लॉन्च वर्ष 2025
तकनीक क्रायोप्रिज़र्वेशन (विट्रीफिकेशन)
क्रायोबैंक उद्देश्य कोरल लार्वा और आनुवंशिक विविधता संरक्षित करना
तापमान लगभग –196°C (लिक्विड नाइट्रोजन में)
कोरल त्रिभुज क्षेत्र इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, PNG, सोलोमन द्वीप, तिमोर-लेस्ते
वैश्विक कोरल हानि (2009–2018) 14%

अरुणाचल प्रदेश ने नामचिक में पहली वाणिज्यिक कोयला खदान शुरू की

केन्द्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी और मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू ने 6 अक्तूबर 2025 को अरुणाचल प्रदेश की पहली वाणिज्यिक कोयला खदान का उद्घाटन किया। यह खदान चांगलांग जिले के नमचिक-नमफुक क्षेत्र में स्थित है और क्षेत्र के आर्थिक विकास और भारत के ऊर्जा मानचित्र में एक नया अध्याय जोड़ती है।

पृष्ठभूमि (Background)

  • नमचिक-नमफुक कोयला क्षेत्र लंबे समय से अपनी अविकसित संभावनाओं के लिए जाना जाता था।

  • प्रारंभ में 2000 के दशक की शुरुआत में इसे अरुणाचल प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट एंड ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (APMDTCL) को आवंटित किया गया था।

  • वर्षों तक नियामक, पर्यावरणीय और कानूनी अड़चनों के कारण प्रगति रुकी रही।

  • 2022 में, यह खदान कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड (CPPL) को पारदर्शी वाणिज्यिक नीलामी प्रक्रिया के तहत सौंपी गई।

  • सभी आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त होने के बाद, खदान अक्टूबर 2025 में औपचारिक रूप से संचालन में आई।

आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में महत्व (Boost to Economy and Energy)

  • खदान में लगभग 1.5 करोड़ टन कोयला भंडार होने का अनुमान।

  • राज्य को ₹100 करोड़ से अधिक वार्षिक राजस्व की संभावना।

  • भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती, विशेषकर उत्तर-पूर्व क्षेत्र में।

  • रोजगार सृजन, स्थानीय आर्थिक प्रोत्साहन और भविष्य के औद्योगिक निवेश की संभावनाएँ।

  • यह खदान अरुणाचल प्रदेश में आत्मनिर्भर विकास (Aatmanirbhar Development) की दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती है।

क्षेत्रीय महत्व (Regional Significance)

  • उत्तर-पूर्व भारत पारंपरिक रूप से औद्योगिक अर्थव्यवस्था में कम प्रतिनिधित्व वाला क्षेत्र रहा है।

  • इस खदान के सफल संचालन से क्षेत्र को राष्ट्रीय ऊर्जा और खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में शामिल किया गया।

  • यह कदम उत्तर-पूर्व में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और भारत की तकनीकी और अवसंरचनात्मक जरूरतों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Takeaways)

विषय विवरण
स्थान नमचिक-नमफुक, चांगलांग जिला, अरुणाचल प्रदेश
कोयला भंडार लगभग 1.5 करोड़ टन
कंपनी कोल पल्ज प्राइवेट लिमिटेड (CPPL)
अपेक्षित वार्षिक राजस्व ₹100 करोड़+
महत्त्व अरुणाचल का पहला वाणिज्यिक कोयला खदान; ऊर्जा सुरक्षा; रोजगार सृजन

आईएनएस एंड्रोथ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में 6 अक्तूबर 2025 को भारतीय नौसेना ने आईएनएस अन्द्रोथ (INS Androth) को औपचारिक रूप से शामिल किया। यह अत्याधुनिक एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) है और अर्नाला श्रेणी (Arnala-class) का दूसरा जहाज़ है। यह भारत की स्वदेशी नौसैनिक रक्षा क्षमता (Indigenous Naval Defence Capability) की दिशा में एक और सशक्त कदम है।

पृष्ठभूमि एवं निर्माण (Background and Build)

  • INS अन्द्रोथ का संबंध अर्नाला-श्रेणी के जहाजों से है, जिन्हें विशेष रूप से कम गहराई वाले जल क्षेत्रों (Shallow Waters) में पनडुब्बी रोधी अभियानों (Anti-Submarine Missions) के लिए विकसित किया गया है।

  • इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा किया गया है।

  • जहाज में 80% से अधिक स्वदेशी उपकरण एवं प्रणालियाँ शामिल हैं — ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण।

  • इसका नाम “अन्द्रोथ”, लक्षद्वीप समूह के उत्तरीतम द्वीप पर आधारित है, जो भारत के रणनीतिक द्वीपीय क्षेत्रों के महत्व का प्रतीक है।

डिज़ाइन एवं क्षमताएँ (Design and Capabilities)

  • लंबाई: लगभग 77 मीटर

  • विस्थापन (Displacement): लगभग 1,500 टन

  • प्रणोदन (Propulsion): तीन वॉटरजेट प्रणालियाँ, जो मरीन डीज़ल इंजनों से संचालित हैं।
    → इससे जहाज़ को तेज़ी से दिशा बदलनेकम गहराई वाले क्षेत्रों में संचालन की विशेष क्षमता मिलती है।

मुख्य परिचालन भूमिकाएँ (Mission Profile):

  • तटीय पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare – ASW)

  • समुद्री निगरानी (Maritime Surveillance)

  • खोज एवं बचाव अभियान (Search and Rescue Operations)

  • तटीय सुरक्षा (Coastal Defence)

  • कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (Low Intensity Maritime Operations – LIMO)

प्रमुख प्रणालियाँ:

  • उन्नत सोनार सिस्टम

  • अत्याधुनिक संचार एवं अंडरवाटर डिटेक्शन उपकरण

  • जलमग्न खतरों को पहचानने और निष्क्रिय करने की आधुनिक क्षमता

रणनीतिक महत्त्व (Strategic Significance)

  • INS अन्द्रोथ का सम्मिलन भारत की तटीय एवं निकटवर्ती समुद्री सीमाओं की निगरानी क्षमता को सुदृढ़ करता है।

  • जैसे-जैसे पनडुब्बी खतरे तटवर्ती क्षेत्रों के निकट बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे इस प्रकार के शैलो वॉटर क्राफ्ट्स की आवश्यकता बढ़ती जा रही है।

  • यह जहाज़ भारत के “अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस (UDA)” को और मज़बूत बनाता है।

  • यह परियोजना भारत की आत्मनिर्भर नौसैनिक निर्माण क्षमता, क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के लक्ष्यों के अनुरूप है।

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Takeaways)

विषय विवरण
सम्मिलन की तिथि 6 अक्तूबर 2025
जहाज की श्रेणी अर्नाला-श्रेणी (Arnala-class) ASW Shallow Water Craft
निर्माता गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता
नाम आधारित अन्द्रोथ द्वीप, लक्षद्वीप
लंबाई 77 मीटर
विस्थापन लगभग 1,500 टन
प्रणोदन प्रणाली तीन वॉटरजेट प्रणालियाँ (मरीन डीज़ल इंजनों द्वारा संचालित)

प्रधानमंत्री 8 अक्टूबर को दिल्ली में आईएमसी 2025 का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 अक्टूबर, 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 का उद्घाटन करेंगे। यह आयोजन 11 अक्टूबर तक चलेगा और एशिया के प्रमुख दूरसंचार और तकनीकी सम्मेलनों में से एक होगा, जिसका विषय “नवाचार से परिवर्तन” होगा।

थीम एवं प्रमुख क्षेत्र (Theme & Focus Areas)

IMC 2025 का उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ को सशक्त बनाना है, विशेष रूप से दूरसंचार (Telecom) और डिजिटल प्रौद्योगिकी (Digital Technologies) के क्षेत्र में।

मुख्य विषय-वस्तु (Thematic Domains):

  • 6G इकोसिस्टम और भारत 6G एलायंस (Bharat 6G Alliance)

  • साइबर सुरक्षा (Cybersecurity)

  • सैटेलाइट कम्युनिकेशन (Satcom)

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)

  • टेलीकॉम निर्माण (Telecom Manufacturing) एवं स्वदेशी नवाचार (Indigenous Innovation)

पैमाना एवं भागीदारी (Scale & Participation)

  • 1.5 लाख से अधिक आगंतुकों की उम्मीद

  • 150+ देशों से 7,000 से अधिक वैश्विक प्रतिनिधि

  • 4.5 लाख वर्गफुट क्षेत्र में 400 प्रदर्शक

  • 1,600+ नई तकनीकी उपयोगिकाएँ (Use-cases) — 5G, AI, साइबर सुरक्षा आदि क्षेत्रों में प्रदर्शन

  • 100 से अधिक सत्र, जिनमें 800+ वक्ता शामिल — परिवर्तनकारी तकनीकों पर चर्चा

प्रमुख सम्मेलन एवं कार्यक्रम (Flagship Summits & Programs)

IMC 2025 में छह प्रमुख वैश्विक सम्मेलन एवं कार्यक्रम आयोजित होंगे —

  1. अंतरराष्ट्रीय भारत 6G संगोष्ठी (International Bharat 6G Symposium) — भारत के 6G अनुसंधान पर केंद्रित

  2. अंतरराष्ट्रीय AI सम्मेलन (International AI Summit) — संचार नेटवर्क में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग पर चर्चा

  3. साइबर सुरक्षा सम्मेलन (Cyber Security Summit) — भारत के विस्तृत टेलीकॉम नेटवर्क की सुरक्षा पर बल

  4. सैटकॉम सम्मेलन (Satcom Summit) — सैटेलाइट आधारित संचार के भविष्य पर विचार

  5. IMC Aspire Programme — स्टार्टअप्स, निवेशकों और वेंचर कैपिटलिस्ट्स को जोड़ने वाला मंच

  6. ग्लोबल स्टार्टअप वर्ल्ड कप – इंडिया संस्करण (Global Startup World Cup – India Edition)

    • 15 फाइनलिस्ट, 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे

तैयारियाँ एवं सरकारी सहयोग (Preparations & Government Support)

  • आयोजन का संयोजन दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications – DoT) एवं सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) द्वारा किया जा रहा है।

  • यह आयोजन भारत के टेलीकॉम एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी परिदृश्य का फ्लैगशिप प्लेटफ़ॉर्म है।

  • भारत की डिजिटल प्रगति:

    • 1.2 अरब मोबाइल ग्राहक

    • 97 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता

    • सिर्फ 22 महीनों में विश्व का सबसे तेज़ 5G रोलआउट

स्थायी तथ्य (Static Facts)

विषय विवरण
कार्यक्रम का नाम इंडिया मोबाइल कांग्रेस (India Mobile Congress – IMC)
संस्करण (Edition) 9वाँ संस्करण (2025)
तिथियाँ 8 से 11 अक्तूबर 2025
स्थान यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली
थीम (2025) “Innovate to Transform” / “परिवर्तन हेतु नवाचार”
आयोजक दूरसंचार विभाग (DoT) एवं सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI)

भारत के राष्ट्रपति ने 2022-23 के लिए “मेरा भारत – एनएसएस” पुरस्कार प्रदान किए

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 6 अक्टूबर, 2025 को, राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2022-23 के लिए मेरा भारत – राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार प्रदान किए। इस समारोह में स्वैच्छिक सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके असाधारण योगदान के लिए छात्रों, कार्यक्रम अधिकारियों और संस्थानों को सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) एवं “माय भारत” पुरस्कार — पृष्ठभूमि

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की उत्पत्ति और उद्देश्य

  • स्थापना वर्ष: 1969 (महात्मा गांधी की जन्मशताब्दी के अवसर पर)

  • उद्देश्य: युवाओं को सामुदायिक सेवा, राष्ट्र निर्माण, तथा व्यक्तित्व विकास के कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।

  • सूत्र (Motto): “Not Me, But You”“स्वयं से पहले आप”, जो निःस्वार्थ सेवा और सहयोग की भावना को दर्शाता है।

  • कार्यक्षेत्र: NSS कार्यक्रम विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में संचालित होते हैं।

    • प्रत्येक NSS इकाई किसी गाँव या शहरी झुग्गी क्षेत्र को गोद लेकर नियमित गतिविधियाँ संचालित करती है।

    • प्रत्येक स्वयंसेवक को प्रति वर्ष 120 घंटे की सेवा तथा 7-दिवसीय विशेष शिविर में भाग लेना अनिवार्य होता है।

    • दो वर्षों में कुल 240 घंटे सेवा पूर्ण करनी होती है।

“माय भारत – NSS पुरस्कार” की स्थापना

  • आरंभ: वर्ष 1993-94, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा।

  • उद्देश्य: NSS स्वयंसेवकों, कार्यक्रम अधिकारियों, इकाइयों एवं विश्वविद्यालयों को
    सामाजिक सेवा, नवाचार और सामुदायिक विकास में उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित करना।

  • पुरस्कार श्रेणियाँ:

    • NSS स्वयंसेवक

    • NSS कार्यक्रम अधिकारी

    • NSS इकाई

    • NSS संस्था / विश्वविद्यालय

2022–23 पुरस्कार समारोह की प्रमुख बातें

  • तारीख: 6 अक्तूबर 2025

  • स्थान: राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली

  • मुख्य अतिथि: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, जिन्होंने स्वयं पुरस्कार प्रदान किए।

  • यद्यपि आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में अब तक सभी पुरस्कार विजेताओं की सूची जारी नहीं की गई है,
    पर यह समारोह NSS की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाता है।

  • पुष्ट विजेता:

    • श्री सागर रॉय, NSS स्वयंसेवक, डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़,
      जिन्हें राष्ट्रीय NSS पुरस्कार 2022-23 से सम्मानित किया गया।

पात्रता एवं चयन मानदंड

  • आयु सीमा:

    • सामान्य श्रेणी के लिए अधिकतम 25 वर्ष,

    • अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) के लिए अधिकतम 28 वर्ष (वित्तीय वर्ष की समाप्ति तिथि तक)।

  • नामांकन प्रक्रिया:

    1. संस्था स्तर पर चयन

    2. राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर अनुशंसा

    3. राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम चयन

  • मूल्यांकन के आधार:

    • सेवा कार्य की निरंतरता

    • सामुदायिक प्रभाव एवं नवाचार

    • NSS के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता

स्थायी तथ्य 

विषय विवरण
NSS का शुभारंभ 1969 (महात्मा गांधी की जन्मशताब्दी)
सूत्र (Motto) “Not Me, But You” / “स्वयं से पहले आप”
प्रशासक मंत्रालय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय
पुरस्कार की शुरुआत 1993-94
न्यूनतम सेवा अवधि दो वर्षों में 240 घंटे
अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष (SC/ST के लिए 28 वर्ष)

GST सुधारों से त्योहारी खर्च बढ़ने से नवरात्रि 2025 की बिक्री दशक के उच्चतम स्तर पर

नवरात्रि 2025 के दौरान भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था ने अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की। ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और रिटेल सेक्टर में बिक्री पिछले एक दशक में सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंची। Business Standard (3 अक्टूबर 2025) के अनुसार, इस उछाल का मुख्य कारण GST सुधार (GST Rationalisation) था, जिसने प्रमुख श्रेणियों की कीमतों को कम कर उपभोक्ता आत्मविश्वास और खरीद क्षमता को बढ़ाया।

यह प्रदर्शन भारत की उपभोक्ता-आधारित विकास कहानी को और मजबूत करता है और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच देश को सर्वाधिक लचीला उपभोक्ता बाजार होने की स्थिति में स्थापित करता है।

नवरात्रि 2025 में रिकॉर्ड-ब्रेकिंग बिक्री

नवरात्रि के पहले आठ दिनों में विभिन्न उद्योगों में ऐतिहासिक बिक्री वृद्धि देखी गई। यह उत्सव अवधि (ओणम से दिवाली) भारत के मुख्य त्योहारों के मौसम की शुरुआत को दर्शाती है। कई सेक्टर में डबल और ट्रिपल डिजिट ग्रोथ दर्ज हुई।

ऑटोमोबाइल सेक्टर का प्रदर्शन

  • ऑटोमोबाइल उद्योग उपभोक्ता खर्च का सबसे मजबूत चालक बना।

  • दो-पहिया वाहन:

    • Hero MotoCorp के शोरूम में पैर जमने वाले ग्राहक दोगुने हुए।

    • Bajaj Auto ने कमीटर और प्रीमियम मॉडल्स में मजबूत बिक्री दर्ज की।

  • ग्रामीण मांग में सुधार और कम ब्याज दरों तथा बढ़ते ग्रामीण आय ने भी बिक्री में योगदान दिया।

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और रिटेल बूम

  • Haier India: बिक्री में 85% की वृद्धि, दिवाली टीवी इन्वेंट्री लगभग समाप्त।

  • LG Electronics India: प्रमुख उपकरण श्रेणियों में “गणनात्मक वृद्धि”।

  • Reliance Retail: स्मार्टफोन और उपभोक्ता उपकरणों में 20–25% की वृद्धि।

  • Vijay Sales & Godrej Appliances: पिछले वर्ष की तुलना में 20–30% वृद्धि।

  • प्रीमियम टीवी मॉडल्स (85–100 इंच) तेजी से बिक गए, जिससे शहरी उपभोक्ताओं में बढ़ती क्रय क्षमता और आकांक्षात्मक खर्च का संकेत मिलता है।

बड़े उपकरण और हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर रुझान दर्शाता है कि GST दरों में कमी और उपभोक्ता वित्तपोषण की आसान पहुँच ने खरीद क्षमता बढ़ाई है।

उत्सवी वृद्धि में GST सुधार की भूमिका

GST 2.0 सुधारों के हिस्से के रूप में GST दरों का समायोजन इस उपभोक्ता उछाल का मुख्य कारक रहा।

प्रमुख प्रभाव

  • कर बोझ में कमी: आवश्यक और आकांक्षात्मक उत्पाद अधिक किफायती हुए।

  • सप्लाई चेन दक्षता: लॉजिस्टिक्स और इनपुट टैक्स क्रेडिट में सुधार, संचालन लागत कम हुई।

  • मूल्य पारदर्शिता: मानकीकृत कर दरों ने उपभोक्ताओं को ब्रांडेड उत्पादों की ओर बढ़ाया

  • बाजारों का औपचारिकीकरण: अधिक छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेता GST नेटवर्क में शामिल हुए, जिससे उपभोक्ता आधार बढ़ा

इन सुधारों ने उपभोक्ता आत्मविश्वास बढ़ाया और उत्सव के दौरान खर्च में वृद्धि को प्रेरित किया।

मुख्य आर्थिक निष्कर्ष

  • रिटेल वृद्धि: बिक्री वृद्धि 25%–100% तक, उपभोक्ता मनोबल मजबूत।

  • ग्रामीण लचीलापन: ग्रामीण बाजारों ने शहरी मांग को पीछे छोड़ा, स्थिर कृषि आय और बढ़ती ग्रामीण विद्युतीकरण के कारण।

  • रोजगार एवं उत्पादन: उच्च मांग के कारण उत्पादन और अस्थायी रोजगार में वृद्धि, विशेष रूप से रिटेल और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में।

  • उपभोक्ता खर्च का हिस्सा: भारत के उत्सवी मौसम के पहले हिस्से (ओणम–दशहरा) में वार्षिक उत्सवी खर्च का 40–45% शामिल।

विकसित भारत बिल्डथॉन 2025: भारत का स्कूल इनोवेशन ड्राइव

विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025 को भारत का सबसे बड़ा स्कूल-स्तरीय नवाचार चुनौती (School-Level Innovation Challenge) कहा जा रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को राष्ट्र निर्माण और विकास लक्ष्यों के अनुरूप विचार करने और समाधान विकसित करने के लिए प्रेरित करना है। यह पहल देशभर के युवाओं में सृजनशीलता, डिज़ाइन थिंकिंग और समस्या-समाधान (Problem-Solving) की संस्कृति को प्रोत्साहित करती है।

संक्षिप्त अवलोकन और हितधारक

  • प्रारंभ तिथि: 23 सितंबर 2025

  • प्रारंभ किया: शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) ने, अटल इनोवेशन मिशन (AIM), नीति आयोग (NITI Aayog) और AICTE के सहयोग से।

  • लक्ष्य समूह: कक्षा VI से XII तक के छात्र

  • भाग लेने वाले स्कूल: 1.5 लाख से अधिक

  • भाग लेने वाले छात्र: 1 करोड़ से अधिक

  • दृष्टि: Viksit Bharat @ 2047 – आत्मनिर्भरता, नवाचार और समावेशी समृद्धि

थीम और उद्देश्य

मुख्य थीम

  1. आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) – स्वदेशी और आत्मनिर्भर तकनीकी समाधान

  2. स्वदेशी (Swadeshi) – पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय कौशल को पुनर्जीवित करना

  3. वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) – स्थानीय शिल्प, उत्पाद और सप्लाई चेन का समर्थन

  4. समृद्धि (Samriddhi) – सतत और समान समृद्धि सुनिश्चित करना

प्रमुख उद्देश्य

  • स्कूलों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना

  • स्थानीय स्तर पर समस्या-समाधान को प्रोत्साहित करना

  • शिक्षा को राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों से जोड़ना

  • ग्रामीण, आदिवासी और आकांक्षी जिलों के छात्रों को समान अवसर प्रदान करना

पात्रता और भागीदारी का प्रारूप

  • टीम आकार: 5–7 छात्र, सभी एक ही स्कूल के

  • टीम संख्या: प्रत्येक स्कूल कई टीमें दर्ज़ कर सकता है

  • शिक्षक मार्गदर्शन: शिक्षक मेंटर टीमों को नवाचार प्रक्रिया में मार्गदर्शन देंगे

  • प्रस्तुति स्वरूप: कॉन्सेप्ट, प्रोटोटाइप या कार्यशील मॉडल, फोटो, वीडियो या व्याख्या के साथ

  • मूल्यांकन: राष्ट्रीय विशेषज्ञ पैनल – नवाचार, व्यवहार्यता, प्रभाव और स्थिरता के आधार पर

मुख्य तिथियाँ

चरण गतिविधि तिथियाँ
पंजीकरण खुला छात्र और स्कूल पंजीकरण 23 सितंबर – 6 अक्टूबर 2025
तैयारी और मार्गदर्शन शिक्षक टीमों को मार्गदर्शन, कॉन्सेप्ट विकास 6 – 12 अक्टूबर 2025
लाइव नवाचार दिवस पूरे देश में समन्वित कार्यक्रम 13 अक्टूबर 2025
अंतिम प्रविष्टि सबमिशन टीमों द्वारा अंतिम आइडिया/प्रोटोटाइप जमा 14 – 31 अक्टूबर 2025
मूल्यांकन अवधि विशेषज्ञ पैनल द्वारा आकलन नवम्बर – दिसम्बर 2025
परिणाम और सम्मान शीर्ष 1,000+ टीमों को सम्मानित किया जाएगा जनवरी 2026

स्थिर तथ्य 

  • लॉन्च तिथि: 23 सितंबर 2025

  • लॉन्च द्वारा: केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान

  • पात्र छात्र: कक्षा VI से XII

  • थीम: आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी, वोकल फॉर लोकल, समृद्धि

  • पंजीकरण अंतिम तिथि: 6 अक्टूबर 2025

  • लाइव नवाचार दिवस: 13 अक्टूबर 2025

  • प्रविष्टि जमा करने की अवधि: 14 – 31 अक्टूबर 2025

  • मूल्यांकन: नवम्बर – दिसम्बर 2025

  • विजेता घोषणा: जनवरी 2026

भारत और ब्रिटेन की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास ‘कोंकण-2025’ शुरू

भारतीय नौसेना और ब्रिटेन की रॉयल नेवी के बीच द्विपक्षीय अभ्यास कोंकण-2025 आज भारत के पश्चिमी तट पर शुरू हुआ। ये अभ्यास सुरक्षित, खुले और समावेशी समुद्र के लिए दोनो देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और भारत-ब्रिटेन दृष्टिकोण-2035 में निहित रणनीतिक साझेदारी का उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह अभ्यास 5 से 12 अक्टूबर 2025 तक दो चरणों में आयोजित किया जाएगा। इसके बंदरगाह चरण में नौसेना कर्मियों के बीच पेशेवर बातचीत, क्रॉस-डेक दौरे, खेल कार्यक्रम और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल होंगे। इसके अलावा, संयुक्त कार्य समूह की बैठकें और विषय विशेषज्ञों के बीच चर्चा का भी कार्यक्रम है। समुद्री चरण में वायु, सतह और पनडुब्बी-रोधी युद्ध, उड़ान संचालन और अन्य नौसैन्य कौशल विकास पर केंद्रित जटिल समुद्री परिचालन अभ्यास शामिल होंगे।

कोंकण नौसैनिक अभ्यास 2025

हार्बर चरण: सहभागिता और समन्वय

5 से 7 अक्टूबर तक आयोजित हार्बर चरण में शामिल हैं:

  • पेशेवर वार्ता और क्रॉस-डेक विज़िट

  • खेल प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक आदान-प्रदान

  • संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group) की बैठकें

  • विशेषज्ञों के अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान

यह चरण सैनिकों के बीच बेहतर समझ, सामरिक समन्वय और ज्ञान साझा करने की नींव रखता है।

सी चरण: उन्नत समुद्री संचालन

8 से 12 अक्टूबर तक आयोजित समुद्री चरण में जटिल नौसैनिक अभ्यास होंगे:

  • एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-पनडुब्बी युद्ध संचालन

  • उड़ान संचालन (Flying Operations)

  • समुद्री संचालन कौशल जैसे रिप्लेनिशमेंट-एट-सी (Replenishment-at-Sea) और संयोजित नौसैनिक गति नियंत्रण

दोनों नौसेनाएँ फ्रंटलाइन युद्धक क्षमता वाले पोत और विमान तैनात कर रही हैं, जो अभ्यास की सामरिक गहराई और वास्तविकता को दर्शाता है।

प्रमुख प्रतिभागी और नौसैनिक संपत्ति

भारतीय नौसेना से:

  • INS विक्रांत – भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत

  • इसके साथ डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, पनडुब्बियाँ और नौसैनिक विमान

यूके से:

  • HMS प्रिंस ऑफ वेल्स – UK Carrier Strike Group (UK CSG 25) का प्रमुख पोत

  • इस वर्ष नॉर्वे और जापान का भी समर्थन, जो अभ्यास की बहुपक्षीय महत्वता बढ़ाता है

रणनीतिक महत्व

  • अभ्यास कॉन्कन भारत–यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी (India–UK Comprehensive Strategic Partnership) को मजबूत करता है।

  • मुख्य उद्देश्य:

    • दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता (Interoperability) बढ़ाना

    • मुक्त, खुली और सुरक्षित समुद्री क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता को प्रबल करना

    • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना

इस अभ्यास की व्यापकता इसे भारतीय महासागर क्षेत्र में इस वर्ष की एक महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा घटना बनाती है।

आगे का कार्यक्रम: UK CSG–IAF अभ्यास

  • कोंकण 2025 के समापन के बाद, UK Carrier Strike Group 14 अक्टूबर 2025 को भारतीय वायु सेना (IAF) के साथ एक-दिन का संयुक्त अभ्यास आयोजित करेगा।

  • यह द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को नौसैनिक सीमाओं से परे और मजबूत करेगा।

मुख्य बिंदु

विवरण जानकारी
इवेंट Exercise Konkan 2025
तारीखें 5–12 अक्टूबर 2025
प्रतिभागी भारतीय नौसेना और रॉयल नेवी (UK); नॉर्वे और जापान का समर्थन
संपत्ति INS विक्रांत, HMS प्रिंस ऑफ वेल्स, पनडुब्बियाँ, फ्रिगेट, विमान
उद्देश्य अंतर-संचालन क्षमता, समुद्री सुरक्षा, भारत–यूके रणनीतिक साझेदारी
दृष्टि दस्तावेज़ India–UK Vision 2035 के अनुरूप
अनुवर्ती अभ्यास UK Carrier Strike Group + भारतीय वायु सेना, 14 अक्टूबर 2025

आईसीजीएस अक्षर का जलावतरण: तटरक्षक बेड़े को बढ़ावा

भारतीय तटरक्षक बल के जहाज (आईसीजीएस) 4 अक्टूबर, 2025 को अक्षर का पुडुचेरी के कराईकल में आधिकारिक रूप से जलावतरण किया गया, जो समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा डिज़ाइन और निर्मित, यह पोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहलों के तहत भारत के रक्षा क्षेत्र की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करता है।

आईसीजीएस अक्षर के बारे में

आईसीजीएस अक्षरआदम्य-श्रेणी (Adamya-class)” के तेज गश्ती पोतों (Fast Patrol Vessels – FPVs) में दूसरा पोत है। यह श्रृंखला कुल आठ जहाजों की है, जिन्हें समुद्री तटों पर तेज गति से गश्त और निगरानी अभियानों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इस पोत में 60% से अधिक स्वदेशी घटक शामिल हैं, जो भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्थानीयकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को दर्शाते हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की भावना को सशक्त रूप से प्रतिबिंबित करता है।

डिज़ाइन और क्षमताएँ

आईसीजीएस अक्षर की लंबाई 51 मीटर है और इसका विस्थापन लगभग 320 टन है। इसे दो 3,000 kW डीज़ल इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है, जो इसे अधिकतम 27 नॉट्स की गति प्रदान करते हैं। आर्थिक गति पर यह पोत लगभग 1,500 नौटिकल मील तक की यात्रा कर सकता है, जिससे लंबी समुद्री गश्त और संचालन की क्षमता सुनिश्चित होती है।

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ

  • Controllable Pitch Propellers (CPP) और स्वदेशी गियरबॉक्स – बेहतर संचालन और दिशा नियंत्रण के लिए।

  • हथियार:

    • 30 मिमी CRN 91 तोप

    • दो 12.7 मिमी Stabilized Remote-Controlled Guns (SRCGs)

  • स्वचालन प्रणालियाँ:

    • एकीकृत ब्रिज सिस्टम (आईबीएस)

    • एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली (आईपीएमएस)

    • स्वचालित विद्युत प्रबंधन प्रणाली (एपीएमएस)

इन प्रणालियों के माध्यम से पोत कम कर्मीदल में भी कुशलता से संचालन कर सकता है और मिशन की प्रभावशीलता बढ़ा सकता है।

संचालन भूमिका और तैनाती

आईसीजीएस अक्षर कारैकल (पुदुचेरी) में तैनात होगा और यह कोस्ट गार्ड रीजन (पूर्व) के अंतर्गत, जिला मुख्यालय संख्या 13 के माध्यम से कार्य करेगा। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • भारत के समुद्री क्षेत्रों में गश्त और निगरानी

  • खोज एवं बचाव (Search and Rescue) अभियान

  • तस्करी और अवैध मछली पकड़ने की रोकथाम

  • तटीय और विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) में पर्यावरण संरक्षण

इस बहुमुखी भूमिका के कारण यह पोत भारत की तटीय सुरक्षा प्रणाली को विशेष रूप से पूर्वी तट पर मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण संसाधन है।

आत्मनिर्भर भारत में महत्व

आईसीजीएस अक्षर भारत की स्वदेशी नौसैनिक निर्माण क्षमता का स्पष्ट उदाहरण है। इसे पूरी तरह से भारतीय शिपयार्ड में बनाया गया है और भारतीय निर्मित प्रणालियों से लैस किया गया है। इसके माध्यम से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • रक्षा निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना

  • समुद्री स्वचालन और प्लेटफ़ॉर्म एकीकरण में उन्नति

  • विदेशी रक्षा आयात पर निर्भरता में कमी

  • पोत घटकों की आपूर्ति में स्थानीय MSMEs और कुशल रोजगार को प्रोत्साहन

ये प्रयास न केवल रणनीतिक क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा निर्यातक बनने की दिशा में भी अग्रसर करते हैं।

स्थिर तथ्य 

विवरण जानकारी
नाम आईसीजीएस अक्षर (ICGS Akshar)
श्रेणी आदम्य-श्रेणी तेज गश्ती पोत (Adamya-class FPV)
लंबाई 51 मीटर
गति 27 नॉट्स
संचालन दूरी 1,500 नौटिकल मील
निर्माता गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL)
कमीशन तिथि 4 अक्टूबर 2025
स्थान कारैकल, पुदुचेरी
प्रणोदन प्रणाली दो 3,000 kW डीज़ल इंजन, CPP गियरबॉक्स

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