पिंक सहेली कार्ड: दिल्ली की महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाने वाला मुफ्त स्मार्ट ट्रैवल पास

दिल्ली सरकार ने 2025 के अंत में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के दूरदर्शी नेतृत्व में “पिंक सहेली कार्ड” योजना की शुरुआत की, जिसने राजधानी में महिलाओं और ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए शहरी यात्रा को नई दिशा दी है। 12 वर्ष या उससे अधिक आयु के लिए जारी यह स्मार्ट ट्रैवल पास दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और क्लस्टर बसों में असीमित मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान करता है। यह पहल सुरक्षा, समानता और किफ़ायत पर आधारित एक समावेशी परिवहन व्यवस्था की ओर बड़ा कदम है।

पिंक सहेली कार्ड क्यों है गेम-चेंजर?

इस योजना का मूल उद्देश्य उन दो समूहों को सशक्त बनाना है जिन्हें सार्वजनिक परिवहन में अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है — महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति। मुफ्त यात्रा की सुविधा से दैनिक आवागमन का आर्थिक बोझ समाप्त हो जाता है, जिससे बेटियां, बहनें और माताएं बिना चिंता के सफर कर सकती हैं।

पहले के कागज़ आधारित पासों की जगह यह डिजिटल स्मार्ट कार्ड सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित करता है। इसमें धारक का नाम और फ़ोटो अंकित होता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना कम होती है।

तकनीकी दृष्टि से, यह कार्ड नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है — यानी भविष्य में इसे दिल्ली मेट्रो और अन्य सार्वजनिक परिवहन से जोड़कर एकीकृत यात्रा अनुभव प्रदान किया जाएगा।

सरकार ने यह योजना क्यों शुरू की?

दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और सुरक्षा चिंताओं ने लंबे समय से नागरिकों की यात्रा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
पिंक सहेली योजना इन तीनों समस्याओं को एक साथ संबोधित करती है —

  • महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सार्वजनिक परिवहन की ओर आकर्षित करती है,

  • निजी वाहनों पर निर्भरता कम करती है,

  • और प्रदूषण में कमी लाती है।

साथ ही, यह योजना सुरक्षा और सम्मान के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होने वाली छेड़छाड़ और असुविधाओं के कारण जो महिलाएं यात्रा से कतराती थीं, अब वे निश्चिंत होकर बसों में सफर कर सकेंगी।

पिंक सहेली कार्ड कैसे प्राप्त करें?

इसका आवेदन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है।

  • दिल्ली की निवासी महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (12 वर्ष या उससे अधिक आयु) ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

  • इसके अलावा, यह सुविधा चयनित DTC कार्यालयों में भी उपलब्ध है।

  • आवेदन के लिए पहचान और निवास का प्रमाण आवश्यक है। सत्यापन के बाद व्यक्तिगत फोटो और नाम वाला कार्ड जारी किया जाता है, जो सभी DTC और क्लस्टर बसों में मान्य है।

दिल्ली के भविष्य के लिए इसका क्या अर्थ है?

“पिंक सहेली कार्ड” दिल्ली के स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी शहरी विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाता है, बल्कि पर्यावरणीय और यातायात प्रबंधन के लिए भी नई राह खोलता है।

यह योजना दर्शाती है कि सार्वजनिक नीति (Public Policy) जब समानता और प्रौद्योगिकी दोनों पर आधारित हो, तो वह सामाजिक परिवर्तन की वास्तविक शक्ति बन सकती है।

भविष्य में जब यह कार्ड मेट्रो और अन्य यातायात सेवाओं से जुड़ जाएगा, तो दिल्ली के लाखों नागरिकों को सुविधा, सुरक्षा और स्वतंत्रता का नया अनुभव मिलेगा।

निष्कर्ष: सशक्तिकरण का प्रतीक

“पिंक सहेली कार्ड” केवल एक यात्रा पास नहीं — बल्कि यह एक घोषणा है कि महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति इस शहर के बराबर अधिकारों वाले नागरिक हैं। यह योजना न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत के लिए समानता, सुरक्षा और संवेदनशील शहरी विकास का एक उदाहरण बन सकती है।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025 – महत्व, इतिहास और निवारक उपाय

हर साल 7 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना, समय पर जांच करवाने के महत्व को समझाना, और जीवनशैली में सुधार के माध्यम से कैंसर के जोखिम को कम करना है।

इस दिवस की शुरुआत साल 2014 में डॉ. हर्षवर्धन (तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री) ने की थी।
यह दिन मैरी क्यूरी (Marie Curie) — नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक — की जयंती पर मनाया जाता है, जिनकी रेडियोएक्टिविटी में खोजों ने आधुनिक कैंसर उपचार (रेडिएशन थेरेपी) की नींव रखी।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?

कैंसर विश्वभर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। साल 2020 में विश्व में 1 करोड़ से अधिक लोगों की मृत्यु कैंसर से हुई, और भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं — मुख्य कारण हैं अनियमित जीवनशैली, प्रदूषण, और तंबाकू सेवन

इस दिवस को मनाने के उद्देश्य हैं:

  • आम जनता को कैंसर के लक्षणों और प्रकारों के बारे में जानकारी देना।

  • प्रारंभिक जांच और समय पर उपचार को बढ़ावा देना।

  • स्वस्थ जीवनशैली और रोकथाम के उपायों को प्रोत्साहित करना।

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में कैंसर रोकथाम को सुदृढ़ बनाना।

इस अवसर पर देशभर में सरकारी संस्थान, अस्पताल, और एनजीओ मुफ्त स्क्रीनिंग कैंप, सेमिनार, और जागरूकता रैलियाँ आयोजित करते हैं।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025 की थीम

2025 में भारत के जागरूकता प्रयास विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) की वैश्विक थीम “United by Unique” के अनुरूप हैं। यह थीम हर व्यक्ति की कैंसर से लड़ाई की विशिष्टता को सम्मान देती है और साथ ही इस रोग के खिलाफ सामूहिक एकता और साझे संकल्प को दर्शाती है।

2025 के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • व्यक्तिगत देखभाल (Personalised Care): रोगी-केंद्रित उपचार और भावनात्मक सहयोग को बढ़ावा देना।

  • सर्वाइवर कहानियाँ साझा करना: कैंसर विजेताओं की प्रेरणादायक कहानियाँ सामने लाना।

  • सामुदायिक सहभागिता: स्कूलों, अस्पतालों, और एनजीओ के माध्यम से जागरूकता अभियान।

  • शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण: रोकथाम, शुरुआती पहचान और उपचार की जानकारी फैलाना।

इतिहास

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा सितंबर 2014 में की गई थी। 7 नवंबर की तिथि मैरी क्यूरी की जयंती (1867) के सम्मान में चुनी गई, जिन्होंने रेडियोधर्मिता (Radioactivity) की खोज से कैंसर के आधुनिक उपचार में क्रांति ला दी।

भारत में कैंसर की स्थिति (GLOBCAN 2020 रिपोर्ट के अनुसार):

  • नए मामले: 13.24 लाख

  • मौतें: 8.51 लाख

  • पुरुषों में सामान्य कैंसर:

    • मुखगुहा (16.2%), फेफड़े (8%), पेट (6.3%)

  • महिलाओं में सामान्य कैंसर:

    • स्तन (26.3%), गर्भाशय ग्रीवा (18.3%), डिम्बग्रंथि (6.7%)

भारत में 20–25 लाख सक्रिय कैंसर रोगी हैं और हर साल लगभग 7 लाख नए मामले दर्ज होते हैं। दुर्भाग्यवश, दो-तिहाई मामलों में कैंसर अंतिम चरण में पहचाना जाता है, जिससे उपचार की संभावना कम हो जाती है।

कैंसर से बचाव के सरल उपाय

  1. तंबाकू से पूरी तरह बचें — चाहे धूम्रपान हो या गुटखा।

  2. शराब का सेवन सीमित करें।

  3. फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज से भरपूर आहार लें।

  4. स्वस्थ वजन बनाए रखें और नियमित व्यायाम करें।

  5. सूर्य की हानिकारक किरणों (UV rays) से बचें, सनस्क्रीन का उपयोग करें।

  6. HPV और हेपेटाइटिस-B के टीके लगवाएं (गर्भाशय ग्रीवा और यकृत कैंसर से बचाव)।

  7. स्तन, मुख, गर्भाशय ग्रीवा और बड़ी आंत के कैंसर की समय-समय पर जांच कराएँ।

  8. कार्यस्थलों और वातावरण में कार्सिनोजेन्स (कैंसर पैदा करने वाले रसायन) से बचाव करें।

सरकारी और संस्थागत पहल

भारत सरकार हर वर्ष निम्न संस्थाओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय अभियान चलाती है:

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW)

  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)

  • राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, झज्जर (NCI)

  • अस्पताल एवं संगठन: AIIMS, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, PACE आदि

इनके तहत आयोजित होते हैं:

  • ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मुफ्त कैंसर स्क्रीनिंग शिविर

  • स्वस्थ जीवनशैली पर कार्यशालाएँ और व्याख्यान

  • डिजिटल एवं सोशल मीडिया जागरूकता अभियान

  • मुफ्त परामर्श एवं प्रारंभिक जांच सेवाएँ

त्वरित तथ्य 

विषय विवरण
तिथि 7 नवंबर 2025
शुरुआत डॉ. हर्षवर्धन (2014)
समर्पित मैरी क्यूरी की जयंती
उद्देश्य कैंसर की रोकथाम, पहचान और उपचार पर जन-जागरूकता
भारत का कैंसर बोझ 13.24 लाख नए मामले, 8.51 लाख मौतें
जागरूकता संदेश (2025) समय पर पहचान, जीवन की सुरक्षा” / “Early Detection Saves Lives

October 2025 Most Important One Liners & Hindu Review PDF: करेंट अफेयर्स की सबसे जरूरी PDF फ्री में डाउनलोड करें

अक्टूबर 2025 वन लाइनर्स और हिंदू रिव्यू PDF: करेंट अफेयर्स की तैयारी का पावर पैक कॉम्बो

अगर आप SBI Clerk Mains, IBPS PO, RRB, SSC, या किसी अन्य सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो करेंट अफेयर्स आपका सबसे मजबूत हथियार होना चाहिए। बैंकर्सअड्डा टीम ने अक्टूबर 2025 के सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को एक जगह समेटकर “October 2025 Most Important One Liners PDF in Hindi” तैयार किया है।

इसके साथ ही, “Hindu October September 2025 PDF” में आपको पूरे महीने के करेंट अफेयर्स का गहन विश्लेषण, वित्तीय अपडेट्स, बैंकिंग न्यूज़, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय घटनाएं और परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य मिलेंगे।

दोनों PDFs फ्री डाउनलोड करें:

क्यों जरूरी हैं ये PDFs?

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    दोनों PDFs में वही जानकारी दी गई है जो आगामी बैंकिंग, SSC, रेलवे, और अन्य सरकारी परीक्षाओं में सबसे अधिक पूछी जा सकती है।
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    परीक्षा से पहले रिवीजन के लिए यह One Liner PDF और Hindu Review PDF सबसे उपयोगी टूल हैं।

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इन PDFs में क्या मिलेगा?

October 2025 One Liners PDF में शामिल विषय:

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, बैंकिंग और फाइनेंस, सरकार की नई योजनाएं, महत्वपूर्ण नियुक्तियां, पुरस्कार, और समझौते, स्पोर्ट्स, डिफेंस और विज्ञान-तकनीक की खबरों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

October Review September 2025 PDF में शामिल प्रमुख टॉपिक्स:

  • RBI और वित्त मंत्रालय से जुड़ी अपडेट्स
  • बैंकिंग परीक्षाओं के लिए करेंट डेटा
  • समसामयिक घटनाएं और सरकारी नीतियां
  • अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और रिपोर्ट्स

3I/ATLAS Interstellar Comet Brightening: सूरज के पास पहुंचते ही क्यों चमका यह रहस्यमयी धूमकेतु? जानें वैज्ञानिकों की राय

क्या यह पृथ्वी के लिए खतरा है 3I/ATLAS इंटरस्टेलर धूमकेतु?: क्या पृथ्वी से टकरा सकता है? जानिए वैज्ञानिकों ने क्या कहा

 

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भारतीय हॉकी के 100 साल: आज से शुरू होगा भव्य शताब्दी समारोह

भारत अपने खेल इतिहास के एक ऐतिहासिक पड़ाव का जश्न मनाने जा रहा है — भारतीय हॉकी की शताब्दी वर्षगांठ का शुभारंभ 7 नवंबर 2025 को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में होगा। यह वही तारीख है जब 7 नवंबर 1925 को इंडियन हॉकी फेडरेशन (IHF) — देश की पहली हॉकी शासी संस्था — की स्थापना हुई थी। यह आयोजन हॉकी इंडिया (HI) और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। यह उत्सव उस खेल को समर्पित है जिसने भारत की पहचान गढ़ी, पीढ़ियों को प्रेरित किया और देश को 13 ओलंपिक पदक (8 स्वर्ण सहित) दिलाए।

शुभारंभ समारोह और प्रमुख हस्तियाँ

उद्घाटन समारोह में देश के नामचीन हॉकी दिग्गज और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे —

  • दिलीप तिर्की – हॉकी इंडिया अध्यक्ष व पूर्व भारतीय कप्तान

  • जफर इकबाल, जगबीर सिंह, अशोक कुमार – ओलंपियन और वरिष्ठ खिलाड़ी

  • डॉ. मनसुख मांडविया – केंद्रीय खेल मंत्री, जिन्होंने इस पहल की आधिकारिक घोषणा की

दिलीप तिर्की ने कहा —

“भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होना हमारे लिए गर्व और भावनाओं का क्षण है। यह उत्सव हमारे गौरवशाली अतीत का सम्मान करता है और नई पीढ़ी को इस विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।”

राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव योजना

  • शताब्दी समारोह के अंतर्गत 500 जिलों में एकसाथ 1,000 से अधिक हॉकी मैच आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 36,000 से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे।
  • प्रत्येक जिले में एक पुरुष और एक महिला मैच आयोजित होगा — खेल में लैंगिक समानता और समावेशन का प्रतीक।

अन्य प्रमुख पहलें —

  • स्मारक ग्रंथ “100 Years of Indian Hockey” – भारतीय हॉकी की यात्रा और ऐतिहासिक क्षणों का दस्तावेज़।

  • फोटो प्रदर्शनी (ध्यानचंद स्टेडियम) – 1928 एम्स्टर्डम से लेकर टोक्यो 2020 तक के ओलंपिक पलों का संग्रह।

  • ट्रॉफी यात्रा (Trophy Tour)FIH जूनियर पुरुष हॉकी विश्वकप 2025 की ट्रॉफी पूरे देश में प्रदर्शित की जाएगी।
    यह टूर्नामेंट पहली बार तमिलनाडु (28 नव.–11 दिस.) में आयोजित होगा, जिसमें 24 टीमें भाग लेंगी।

भारतीय हॉकी – स्वर्ण अक्षरों में अंकित विरासत

भारत की विश्व हॉकी पर प्रभुत्व की मिसाल बेजोड़ है —

  • पहला ओलंपिक स्वर्ण: 1928 (एम्स्टर्डम)

  • कुल ओलंपिक स्वर्ण: 8

  • अंतिम ओलंपिक पदक: कांस्य (टोक्यो 2020)

  • अंतिम विश्वकप विजय: 1975 (कुआलालंपुर)

  • प्रमुख खिलाड़ी: मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर, धनराज पिल्लै, सरदार सिंह

भारत में दर्ज पहला प्रतिस्पर्धी हॉकी मैच 1905 में बंगाल में खेला गया था, जिसने आने वाले स्वर्ण युग की नींव रखी।

सरकारी समर्थन और जमीनी स्तर पर प्रोत्साहन

भारत में हॉकी को “प्राथमिक खेल” का दर्जा प्राप्त है, जिसे कई राष्ट्रीय योजनाओं से सशक्त बनाया गया है —

  • TOPS (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम)

  • TAGG (टारगेट एशियन गेम्स ग्रुप)

  • ASMITA हॉकी लीग – जूनियर और सब-जूनियर लड़कियों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना

खेल मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण, विदेशी दौरों और उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए नकद प्रोत्साहन की भी व्यवस्था की गई है। इस सक्रिय सरकारी सहयोग से भारत की पुरुष और महिला हॉकी दोनों टीमों ने विश्व स्तर पर नई पहचान बनाई है।

कंचनजंगा भारत का एकमात्र ‘अच्छी’ श्रेणी का विरासत स्थल क्यों है?

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के नवीनतम वैश्विक आकलन में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (Khangchendzonga National Park) ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है — यह भारत का एकमात्र प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल है जिसे “Good” रेटिंग प्राप्त हुई है। जबकि पश्चिमी घाट, सुंदरबन और मानस वन्यजीव अभयारण्य जैसे अन्य भारतीय स्थलों को चिंता या खतरे की श्रेणी में रखा गया है, कंचनजंगा ने संरक्षण का एक नया मानक स्थापित किया है।

एक अद्वितीय धरोहर

यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 2016 में इसे भारत का पहला “मिश्रित विश्व धरोहर स्थल (Mixed World Heritage Site)” घोषित किया — जो इसकी जैव-विविधता के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व दोनों को मान्यता देता है।

  • क्षेत्रफल: 1,784 वर्ग किमी

  • विस्तार: उपोष्णकटिबंधीय जंगलों से लेकर विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी माउंट खांचेंदजोंगा (8,586 मीटर) तक

  • 280 ग्लेशियर और 70 से अधिक हिमनद झीलें

  • दुर्लभ जीव-जंतु: हिम तेंदुआ, लाल पांडा, बादली तेंदुआ, हिमालयी थार

  • पक्षी विविधता: 550 से अधिक प्रजातियाँ, जिनमें इम्पीयन तीतर और सत्यर ट्रैगोफन प्रमुख हैं

एक पवित्र परिदृश्य

यह उद्यान स्थानीय समुदायों के लिए मात्र एक वन क्षेत्र नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का जीवंत केंद्र है।

  • लेपचा समुदाय इसे मायेल लयांग (देवताओं द्वारा प्रदत्त छिपा हुआ स्वर्ग) कहते हैं।

  • तिब्बती बौद्धों के लिए यह एक बेयुल (गुप्त तीर्थ घाटी) है।

  • थोलुंग मठ जैसे प्राचीन मठ आज भी सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।

इस आध्यात्मिक श्रद्धा ने लोगों में प्रकृति के प्रति सम्मान और संयम की संस्कृति विकसित की है — जो संरक्षण की सबसे बड़ी शक्ति बन गई है।

“Good” रेटिंग के कारण

IUCN की सकारात्मक रेटिंग कई ठोस कारणों पर आधारित है —

  • मानव हस्तक्षेप न्यूनतम: दुर्गम स्थान होने के कारण शहरी या व्यावसायिक दबाव सीमित हैं।

  • सामुदायिक सहभागिता: वन अधिकारी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर जैव-विविधता और आजीविका दोनों की रक्षा करते हैं।

  • सतत विकास: 2018 में बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित होने के बाद बफर जोन में टिकाऊ खेती और संसाधन उपयोग की अनुमति दी गई।

  • सीमापार संरक्षण: नेपाल के कांचनजंघा संरक्षण क्षेत्र के साथ समन्वय से सीमा-पार पारिस्थितिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

  • आपदा सहनशीलता: 2024 की हिमनदी झील फटने की घटना में पूर्व-निर्धारित आपदा मानचित्रण के कारण न्यूनतम नुकसान हुआ।

भारत के लिए प्रेरणा

कंचनजंगा यह दर्शाता है कि संरक्षण और संस्कृति साथ-साथ फल-फूल सकते हैं। जब देश के कई संरक्षित क्षेत्र अतिक्रमण, प्रदूषण और संसाधन दोहन से जूझ रहे हैं, यह उद्यान पर्यावरणीय संतुलन और सामुदायिक सहयोग का आदर्श उदाहरण बन गया है।

अंतिम विचार

भारत जैसी जैव-विविधता सम्पन्न भूमि को कंचनजंगा को एक “पुरस्कार” नहीं, बल्कि “प्रेरणा” के रूप में देखना चाहिए। सोच-समझकर की गई योजना, स्थानीय सहभागिता और परंपराओं के प्रति सम्मान से अन्य धरोहर स्थल भी “Good” रेटिंग प्राप्त कर सकते हैं — और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत सुरक्षित रख सकते हैं।

क्या आप जानते हैं?

  • कंचनजंगा दुनिया के केवल 12 स्थलों में से एक है जिसे प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त है।

  • यह पूर्वी हिमालयीय जैव-विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है, जहाँ 10,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

वंदे मातरम के 150 वर्ष: एक राग जो एक आंदोलन बन गया

भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” 7 नवम्बर 2025 को अपनी 150वीं वर्षगाँठ मना रहा है। “वंदे मातरम्” का अर्थ है — “माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ।” यह अमर गीत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है, जिसने पीढ़ियों से भारतीयों में एकता, भक्ति और देशभक्ति की भावना जागृत की है।

यह गीत पहली बार 7 नवम्बर 1875 को बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, और बाद में “आनंदमठ” (1882) उपन्यास में सम्मिलित किया गया। इस पर संगीत रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। समय के साथ, वंदे मातरम् एक साहित्यिक रचना से आगे बढ़कर स्वाधीनता संग्राम का घोषवाक्य बन गया — भारत की सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रीय आत्मा का प्रतीक।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

“वंदे मातरम्” की यात्रा भारतीय राष्ट्रवाद के उदय की कहानी कहती है। शुरू में यह मातृभूमि के प्रति काव्यात्मक श्रद्धांजलि था, जो बाद में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध प्रतिकार का प्रतीक बन गया।

  • पहला प्रकाशन: बंगदर्शन, 7 नवम्बर 1875

  • साहित्य में समावेश: आनंदमठ (1882)

  • पहली सार्वजनिक प्रस्तुति: रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा, 1896 के कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में

  • पहला राजनीतिक उपयोग: 7 अगस्त 1905, बंगाल विभाजन-विरोधी आंदोलन के दौरान

श्री अरबिंदो ने 1907 में कहा था कि बंकिमचंद्र ने यह गीत 32 वर्ष पूर्व रचा था, जब बंगाल ने अपनी खोई हुई अस्मिता की खोज आरम्भ की थी।

आनंदमठ और देशभक्ति का धर्म

बंकिमचंद्र के आनंदमठ ने मातृभूमि को देवी के रूप में चित्रित किया — भारत के आध्यात्मिक और राजनीतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनाते हुए।

मठ के संन्यासी (संतान) अपनी “माँ” — अर्थात भारतमाता — की मुक्ति के लिए समर्पित रहते हैं। उनके मंदिर में माँ की तीन रूपों में पूजा होती है —

  1. जो थी (The Mother That Was): गौरवशाली और भव्य

  2. जो है (The Mother That Is): दासता में पीड़ित

  3. जो होगी (The Mother That Will Be): स्वतंत्र और उज्ज्वल

श्री अरबिंदो के शब्दों में —

“उसकी दृष्टि की माता के सत्तर करोड़ हाथों में तलवार थी, भिक्षा का कटोरा नहीं।”

इस प्रकार, वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं रहा — बल्कि देशभक्ति का धर्म बन गया।

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय: एक दूरद्रष्टा

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (1838–1894) आधुनिक बंगाली साहित्य के जनक माने जाते हैं।

मुख्य योगदान:

  • आधुनिक बंगाली गद्य के प्रवर्तक

  • प्रमुख उपन्यास: दुर्गेशनंदिनी (1865), कपालकुंडला (1866), आनंदमठ (1882), देवी चौधुरानी (1884)

  • वंदे मातरम् के माध्यम से भारत को “माँ” के रूप में मानवीकृत किया

  • युवाओं में मातृभूमि के प्रति भक्ति और राष्ट्रचेतना का संचार किया

वंदे मातरम्: प्रतिरोध का गीत

20वीं सदी के आरम्भ तक, वंदे मातरम् राष्ट्रीय आंदोलन का नारा बन गया।

  • अक्टूबर 1905: बंदे मातरम् संप्रदाय की स्थापना, कलकत्ता

  • मई 1906: बारीसाल में 10,000 लोगों की “वंदे मातरम्” यात्रा

  • अगस्त 1906: बंदे मातरम् अंग्रेज़ी दैनिक का प्रकाशन, बिपिनचंद्र पाल व श्री अरबिंदो द्वारा

ब्रिटिश दमन

ब्रिटिश सरकार ने “वंदे मातरम्” के जनांदोलन से घबराकर इसके सार्वजनिक गायन पर प्रतिबंध लगा दिया।

  • बंगाल (रंगपुर, 1905) में छात्रों को दंडित किया गया

  • धुलिया (1906), बेलगाम (1908) आदि में प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी फिर भी, “वंदे मातरम्!” का उद्घोष पूरे भारत में एकता और साहस का प्रतीक बन गया।

स्वतंत्रता संग्राम का युद्धघोष

यह गीत भारत के स्वाधीनता संघर्ष का समानार्थी बन गया —सभा, जुलूस और जेलों में “वंदे मातरम्” गूंजता रहा।

मुख्य क्षण:

  • 1896: कांग्रेस अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा गायन

  • 7 अगस्त 1905: स्वदेशी आंदोलन में नारा

  • 1906–1908: बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब में विरोध प्रदर्शन

  • 1914: लोकमान्य तिलक की रिहाई पर जनता का “वंदे मातरम्” से स्वागत

विदेशों में भारतीय क्रांतिकारियों पर प्रभाव

“वंदे मातरम्” की गूंज विदेशों तक पहुँची —

  • 1907: स्टटगार्ट (जर्मनी) में मदाम भीकाजी कामा ने तिरंगा फहराया, जिस पर “वंदे मातरम्” अंकित था

  • 1909: मदनलाल धींगरा के अंतिम शब्द — “बंदे मातरम्”

  • 1909: जिनेवा से Bande Mataram पत्रिका का प्रकाशन

  • 1912: दक्षिण अफ्रीका में गोपालकृष्ण गोखले का “वंदे मातरम्” से स्वागत

राष्ट्रीय सम्मान और संवैधानिक मान्यता

24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की —

“वंदे मातरम्, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, उसे जन गण मन के समान ही सम्मान प्राप्त होगा।”

इस प्रकार, वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।

150वीं वर्षगाँठ का राष्ट्रीय उत्सव (7 नवम्बर 2025)

भारत सरकार इस ऐतिहासिक अवसर को वर्षभर मनाने जा रही है।

मुख्य आयोजन:

  • उद्घाटन समारोह: इंदिरा गांधी स्टेडियम, नई दिल्ली

  • राष्ट्रव्यापी जनभागीदारी (जिला और तहसील स्तर तक)

  • स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी

  • वंदे मातरम् पर प्रदर्शनी और लघु फिल्म

  • प्रसिद्ध गायकों द्वारा क्षेत्रीय संस्करणों की प्रस्तुति

वर्षभर की गतिविधियाँ:

  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर विशेष कार्यक्रम

  • पीआईबी द्वारा चर्चा सत्र (टियर-2 व 3 शहरों में)

  • भारतीय मिशनों में वैश्विक सांस्कृतिक संध्या

  • “वंदे मातरम्: सलाम मदर अर्थ” वृक्षारोपण अभियान

  • देशभर में भित्तिचित्र, एलईडी प्रदर्शन और जनजागरूकता

  • बंकिमचंद्र और “वंदे मातरम्” पर 25 लघु फिल्में

यह अभियान “हर घर तिरंगा” आंदोलन के साथ जुड़ा रहेगा, जो एकता, गौरव और राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है।

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबसे बड़ा सर्वे शिप ‘इक्षक’, जानें इसकी खासियत

भारतीय नौसेना ने 6 नवम्बर 2025 को कोच्चि नौसैनिक अड्डे पर सर्वे वेसल लार्ज (SVL) श्रेणी के तीसरे पोत आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया। यह भारत की समुद्री अवसंरचना और आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण क्षमताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) पहल के अंतर्गत डिजाइन और निर्मित यह पोत नौसेना की हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण (Hydrographic Surveys), आपदा राहत (Disaster Relief) और रणनीतिक समुद्री अभियानों (Strategic Maritime Operations) में क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाता है।

एसवीएल श्रेणी : एक रणनीतिक संपत्ति

एसवीएल (Survey Vessel Large) परियोजना वर्ष 2018 में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता के साथ हुए अनुबंध के तहत शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य चार बड़े सर्वे पोतों का निर्माण करना है। ये जहाज़ गहरे समुद्री और तटीय सर्वेक्षण (Deep-water and Coastal Surveys) करने, नौवहन मार्गों का मानचित्रण (Mapping Navigational Routes) तथा रक्षा और नागरिक उपयोग के लिए आवश्यक महासागरीय डेटा (Oceanographic Data) एकत्रित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

आईएनएस संध्याक (INS Sandhayak) और आईएनएस निर्देशाक (INS Nirdeshak) इस श्रेणी के पहले दो पोत हैं जिन्हें पहले ही नौसेना में सम्मिलित किया जा चुका है। आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) के शामिल होने से नौसेना अपने नियोजित एसवीएल बेड़े (SVL Fleet) को पूरा करने के और निकट पहुँच गई है, जिससे समुद्री मार्गों की सुरक्षा और समुद्री अवसंरचना के विकास में उसकी क्षमता और अधिक सुदृढ़ हुई है।

आईएनएस इक्षक की प्रमुख विशेषताएँ

आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) अपनी उन्नत क्षमताओं और आधुनिक डिजाइन के कारण विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो भारतीय नौसेना की बदलती समुद्री आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह पोत नौसैनिक अभियानों में उच्च दक्षता, सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करता है।

तकनीकी विनिर्देश 

  • विस्थापन (Displacement): लगभग 3,400 टन

  • लंबाई (Length): 110 मीटर

  • गति (Speed): 18 नॉट्स से अधिक, जो डीज़ल इंजनों और द्वि-शाफ्ट प्रणोदन प्रणाली (Dual-shaft Propulsion System) द्वारा संचालित है

  • नियंत्रण क्षमता (Maneuverability): बो (Bow) और स्टर्न (Stern) थ्रस्टर्स से सुसज्जित, जिससे सर्वेक्षण के दौरान सटीक दिशा नियंत्रण संभव होता है

परिचालन क्षमताएँ

  • द्वि-भूमिका कार्य (Dual-role Function):
    यह पोत सर्वे वेसल के रूप में कार्य करने के साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief – HADR) प्लेटफ़ॉर्म या अस्पताल पोत (Hospital Ship) में परिवर्तित किया जा सकता है।

  • प्रौद्योगिकी प्रणाली (Technology Suite):
    इसमें अत्याधुनिक स्वायत्त जल-नीचे वाहन (Autonomous Underwater Vehicles – AUVs), दूर से संचालित वाहन (Remotely Operated Vehicles – ROVs), साइड-स्कैन सोनार (Side-scan Sonar) तथा महासागरीय प्रणालियाँ (Oceanographic Systems) शामिल हैं, जो समुद्र तल का सटीक मानचित्रण करने में सक्षम बनाती हैं।

  • दल-सुविधा (Crew Comfort):
    यह पहला SVL पोत है जिसमें महिला नौसैनिकों के लिए समर्पित आवास (Dedicated Accommodation) की व्यवस्था की गई है, जिससे नौसेना में लैंगिक समावेशन (Gender Inclusivity) को प्रोत्साहन मिलता है।

एनएचपीसी लिमिटेड की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में 50 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया गया

विद्युत, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने 6 नवंबर 2025 को भारत की अग्रणी जलविद्युत कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC) की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ₹50 का स्मारक सिक्का जारी किया। नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में एक विशेष कॉमिक पुस्तक “छोटा भीम और बड़ा बाँध” भी लॉन्च की गई, जिसका उद्देश्य बच्चों और आम जनता में जलविद्युत के महत्व और इसके लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह उपलब्धि राष्ट्रीय सम्मान, ऊर्जा क्षेत्र की उपलब्धियों और युवा सहभागिता—इन तीनों को एक साथ जोड़ती है, जिससे यह विषय समसामयिक घटनाओं और सिविल सेवा परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनता है।

एनएचपीसी की यात्रा

  • स्थापना: 7 नवंबर 1975

  • प्रारंभिक भूमिका: जलविद्युत परियोजनाओं पर केंद्रित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी

  • विकास: पिछले पाँच दशकों में एनएचपीसी ने देश के दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक जटिल एवं महत्त्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाएँ सफलतापूर्वक विकसित कीं।

  • वर्तमान स्वरूप: अब एनएचपीसी सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है, और स्वयं को 100% ग्रीन एनर्जी कंपनी के रूप में स्थापित कर चुकी है।

  • स्वर्ण जयंती एनएचपीसी की नवाचार, धैर्य और भारत के सतत ऊर्जा लक्ष्यों में उसके योगदान का उत्सव है।

स्वर्ण जयंती समारोह की प्रमुख झलकियाँ

  • ₹50 का स्मारक सिक्का केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल द्वारा जारी किया गया, जो एनएचपीसी की पाँच दशकों की उपलब्धियों का प्रतीक है।

  • सिक्का जलविद्युत विकास और हरित ऊर्जा में एनएचपीसी के नेतृत्व की राष्ट्रीय सराहना को दर्शाता है।

  • “छोटा भीम और बड़ा बाँध” शीर्षक से कॉमिक बुक का विमोचन — लोकप्रिय बाल पात्र छोटा भीम के माध्यम से बच्चों को जलविद्युत की अवधारणा को सरल और रोचक तरीके से समझाने का प्रयास।

  • समारोह में एनएचपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) तथा निर्देशकों की उपस्थिति रही, जिससे यह आयोजन भारत के विद्युत क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन गया।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
कार्यक्रम एनएचपीसी की 50वीं वर्षगांठ (स्वर्ण जयंती)
शुभारंभकर्ता केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल
मुख्य आकर्षण ₹50 का स्मारक सिक्का एवं कॉमिक पुस्तक “छोटा भीम और बड़ा बाँध”
एनएचपीसी की क्षमता 8,333 मेगावाट स्थापित, 9,704 मेगावाट निर्माणाधीन
रणनीतिक दिशा सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन में विविधीकरण
महत्त्व सतत विकास, सार्वजनिक क्षेत्र में नवाचार और युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन

महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, प्रश्न और उत्तर

आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 एक ऐतिहासिक टूर्नामेंट था जिसने प्रतिभा, टीम वर्क और महिला क्रिकेट की बढ़ती ताकत का जश्न मनाया। 30 सितंबर से 2 नवंबर 2025 तक भारत द्वारा आयोजित इस आयोजन में दुनिया भर की आठ शीर्ष टीमें शामिल हुईं। भारत ने एक रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपना पहला विश्व कप खिताब जीता। आइए इस रोमांचक टूर्नामेंट पर आधारित कुछ रोचक सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी देखें।

महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

इस सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी के साथ 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप के बारे में अपने ज्ञान का परीक्षण करें। इस रोमांचक वैश्विक क्रिकेट टूर्नामेंट के मैचों, खिलाड़ियों, आयोजन स्थलों और भारत की ऐतिहासिक जीत के बारे में रोचक तथ्य जानें।

प्रश्न 1. आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 की मेजबानी किस देश ने की?
a) ऑस्ट्रेलिया
b) इंग्लैंड
c) भारत
d) न्यूज़ीलैंड

S1. उत्तर (c)

प्रश्न 2. महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 में कितनी टीमों ने भाग लिया?
a) 10
b) 8
c) 12
d) 6

S2. उत्तर (b)

प्रश्न 3. आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 किस टीम ने जीता?
a) इंग्लैंड
b) दक्षिण अफ्रीका
c) भारत
d) ऑस्ट्रेलिया

S3. उत्तर (c)

प्रश्न 4. विश्व कप 2025 का फाइनल मैच कहाँ आयोजित किया गया था?
a) गुवाहाटी
b) कोलंबो
c) बेंगलुरु
d) नवी मुंबई

S4. उत्तर (d)

प्रश्न 5. उद्घाटन समारोह में आधिकारिक गान “ब्रिंग इट होम” किसने गाया?
a) श्रेया घोषाल
b) अरिजीत सिंह
c) नेहा कक्कड़
d) सुनिधि चौहान

S5. उत्तर (a)

प्रश्न 6. 2025 में ICC महिला क्रिकेट विश्व कप का कौन सा संस्करण आयोजित किया गया था?
a) 10वां
b) 11वां
c) 12वां
d) 13वां

S6. उत्तर (d)

प्रश्न 7. महिला विश्व कप 2025 का उद्घाटन समारोह कहाँ आयोजित किया गया था?
a) वानखेड़े स्टेडियम
b) डीवाई पाटिल स्टेडियम
c) असम क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, गुवाहाटी
d) एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम

S7. उत्तर (c)

प्रश्न 8. टूर्नामेंट के दौरान कौन सी भारतीय क्रिकेटर कप्तान थी?
a) स्मृति मंधाना
b) हरमनप्रीत कौर
c) जेमिमा रोड्रिग्स
d) मिताली राज

S8. उत्तर (b)

प्रश्न 9. 2025 के बाद भारत के पास कुल कितने महिला विश्व कप खिताब होंगे?
a) एक
b) दो
c) तीन
d) चार

S9. उत्तर: (a)

प्रश्न: 10. 2025 ICC महिला क्रिकेट विश्व कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट किसे चुना गया?
a) हरमनप्रीत कौर
b) स्मृति मंधाना
c) दीप्ति शर्मा
d) जेमिमा रोड्रिग्स

S10. उत्तर: (c)

ट्रम्प ने संकेत दिया कि कज़ाख़स्तान अब्राहम समझौते में शामिल होगा

कज़ाख़स्तान (Kazakhstan) अब्राहम समझौते (Abraham Accords) में शामिल होने जा रहा है — यह अमेरिका की मध्यस्थता में तैयार एक ढांचा है, जिसका उद्देश्य इज़राइल और मुस्लिम-बहुल देशों के बीच संबंधों का सामान्यीकरण करना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 नवम्बर 2025 को इस घोषणा के साथ कज़ाख़स्तान को इस रणनीतिक साझेदारी में शामिल होने वाला नवीनतम देश बताया, जिसने 2020 से मध्य पूर्व की कूटनीति को नया रूप दिया है।

अब्राहम समझौता क्या है?

  • अब्राहम समझौते की शुरुआत 2020 में ट्रम्प प्रशासन के दौरान हुई थी।

  • इसके प्रारंभिक हस्ताक्षरकर्ता देश थे — संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, मोरक्को और सूडान।

  • इन समझौतों ने अरब–इज़राइल संबंधों में एक ऐतिहासिक बदलाव लाया, जहाँ पुराने राजनीतिक टकरावों की जगह कूटनीतिक, व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग ने ले ली।

  • अब कज़ाख़स्तान की भागीदारी से यह समझौता अरब दुनिया से आगे बढ़कर मध्य एशिया में प्रवेश कर रहा है, जो भू-राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

कज़ाख़स्तान की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है

  • यद्यपि कज़ाख़स्तान के पहले से ही इज़राइल के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन अब्राहम समझौते में शामिल होना एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक कदम है।

  • इससे कज़ाख़स्तान अमेरिका समर्थित क्षेत्रीय पहल के और निकट आ जाएगा और मौजूदा सदस्य देशों के साथ बहुपक्षीय सहयोग बढ़ेगा।

  • कज़ाख़ सरकार ने कहा कि यह कदम उसके संवाद, पारस्परिक सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित विदेश नीति का “स्वाभाविक विस्तार” है।

  • अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसे “केवल कूटनीति से परे एक उन्नत साझेदारी” बताया, जो आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा सहयोग को नए स्तर पर ले जाएगी।

अमेरिका की रणनीति और क्षेत्रीय प्रभाव

  • राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह घोषणा C5+1 समूह (कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान) के नेताओं की व्हाइट हाउस में बैठक के बाद की।

  • यह अमेरिका की मध्य एशिया के देशों से बढ़ते जुड़ाव की रणनीति का हिस्सा है, जहाँ अब तक रूस और चीन का प्रभाव प्रमुख रहा है।

  • यह निर्णय ऐसे समय आया है जब गाज़ा संघर्ष के कारण अब्राहम समझौते का विस्तार ठहरा हुआ था।

  • कज़ाख़स्तान की भागीदारी से इस पहल को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है, और अमेरिका अब उज़्बेकिस्तान व अज़रबैजान जैसे अन्य मुस्लिम-बहुल देशों से भी संपर्क बढ़ाने की योजना बना रहा है।

व्यापक भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  • अब्राहम समझौते का विस्तार इस बात का प्रतीक है कि मुस्लिम-बहुल देशों की कूटनीति में नया युग शुरू हो रहा है, जहाँ आर्थिक विकास, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद-रोधी सहयोग अब फलस्तीनी मुद्दे से जुड़ी पारंपरिक आपत्तियों पर भारी पड़ रहे हैं।

  • हालांकि, सऊदी अरब जैसे बड़े खिलाड़ी अब भी सतर्क हैं। उसने स्पष्ट किया है कि जब तक फलस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का ठोस मार्ग नहीं बनता, वह सामान्यीकरण पर सहमत नहीं होगा।

  • बताया गया है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) 18 नवम्बर को वॉशिंगटन की यात्रा पर जाएंगे, जिससे यह अटकलें बढ़ गई हैं कि क्या अब्राहम समझौते का और विस्तार संभव है।

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