GIFT सिटी और GTU ने IFSC शिक्षा और फिनटेक नवाचार को आगे बढ़ाने हेतु सहयोग किया

भारत की शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक वित्तीय रुझानों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) ने गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC) और फिनटेक के क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है। यह भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने और गुजरात को एक वैश्विक वित्तीय शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित करने की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

साझेदारी के मुख्य उद्देश्य

गिफ्ट सिटी और जीटीयू के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) का फोकस विशेष शैक्षणिक पाठ्यक्रम, प्रमाणपत्र कार्यक्रम और प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करना है। ये कार्यक्रम खास तौर पर अंतरराष्ट्रीय वित्त और वित्तीय प्रौद्योगिकी के उभरते रुझानों के अनुरूप होंगे। इस सहयोग का एक प्रमुख परिणाम “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” की स्थापना होगा, जो गिफ्ट IFSC और वैश्विक फिनटेक इकोसिस्टम से जुड़े अकादमिक अनुसंधान, नवाचार और उद्योग सहभागिता का केंद्र बनेगा।

यह साझेदारी उद्योग की आवश्यकताओं और शैक्षणिक ज्ञान के बीच की खाई को पाटने का लक्ष्य रखती है, ताकि छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव और अत्याधुनिक वित्तीय प्रथाओं में भाग लेने के अवसर मिल सकें।

नवाचार और प्रतिभा विकास को बढ़ावा

गिफ्ट सिटी के प्रबंध निदेशक और समूह सीईओ संजय कौल के अनुसार, यह पहल भविष्य के लिए तैयार प्रतिभा समूह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुशल मानव संसाधन वैश्विक वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करने के लिए आवश्यक होंगे।

जीटीयू की कुलपति राजुल के गज्जर ने भी अकादमिक और उद्योग के बीच तालमेल पर प्रकाश डाला। जीटीयू की शैक्षणिक गहराई और गिफ्ट सिटी की वैश्विक उद्योग उपस्थिति को मिलाकर, छात्रों और पेशेवरों को वैश्विक बाजारों और वित्त के भविष्य को आकार देने वाली उन्नत तकनीकों की सीधी समझ प्राप्त होगी।

यह क्यों महत्वपूर्ण है

गिफ्ट सिटी भारत का पहला परिचालित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) है, जो सिंगापुर और दुबई जैसे वैश्विक केंद्रों के समान नियामक और वित्तीय माहौल प्रदान करता है। भारत में फिनटेक क्षेत्र की तेज़ी से बढ़ती प्रगति के साथ, ऐसे सहयोग सुनिश्चित करते हैं कि शैक्षणिक संस्थान उद्योग की आवश्यकताओं के साथ कदमताल कर सकें।

यह पहल विशेष रूप से गुजरात के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य की वैश्विक वित्तीय केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा को मजबूत करती है। साथ ही, यह आत्मनिर्भर भारत के व्यापक लक्ष्य को भी समर्थन देती है, जिसमें स्वदेशी प्रतिभा को निखारना और वित्तीय तथा फिनटेक विशेषज्ञता के लिए विदेशी संस्थानों पर निर्भरता कम करना शामिल है।

जियोफाइनेंस ऐप का नया टैक्स फाइलिंग मॉड्यूल: किफायती, स्मार्ट और टैक्सबड्डी-संचालित

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (JFSL) ने अपने जियोफाइनेंस ऐप में एक नया और शक्तिशाली फीचर लॉन्च किया है—टैक्स प्लानिंग और फाइलिंग मॉड्यूल, जिसे टैक्सबड्डी के सहयोग से विकसित किया गया है। 11 अगस्त 2025 को लॉन्च हुआ यह मॉड्यूल आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग की जटिलताओं को आसान, स्मार्ट, किफायती और हर भारतीय करदाता के लिए सुलभ बनाने का उद्देश्य रखता है।

फ़ीचर ओवरव्यू

1. टैक्स प्लानर
एक ऐसा टूल जो सक्रिय वित्तीय योजना के लिए खासतौर पर डिज़ाइन किया गया है:

  • डिडक्शन मैपिंग: स्वतः ही 80C, 80D जैसी आम कटौतियों का सुझाव देता है।

  • रेजीम तुलना: पुराने और नए टैक्स रेजीम की तुलना कर अधिकतम बचत के लिए सही विकल्प चुनने में मदद करता है।

  • टैक्स प्रोजेक्शन: भविष्य की टैक्स देनदारियों का अनुमान लगाकर वित्त प्रबंधन के लिए बेहतर दृष्टिकोण देता है।

2. टैक्स फाइलिंग
दो प्राइसिंग विकल्प के साथ:

  • सेल्फ-सर्विस: पूरी तरह गाइडेड प्रोसेस, सिर्फ ₹24 से शुरू—जैसे सरल ITR-1 फाइलिंग के लिए आदर्श।

  • एक्सपर्ट-असिस्टेड: प्रोफेशनल रिव्यू और पर्सनलाइज्ड सलाह सहित, ₹999 से शुरू।

अतिरिक्त सुविधाएं

  • रिटर्न स्टेटस ट्रैकर: ऐप में ही फाइलिंग की प्रगति और रिफंड की स्थिति देखें।

  • टैक्स अलर्ट्स: पेंडिंग कार्यों और टैक्स से जुड़ी सूचनाओं के लिए समय-समय पर नोटिफिकेशन।

फ़ायदे

  • अत्यंत किफायती: ₹24 में फाइलिंग—पारंपरिक सीए सेवाओं से कहीं सस्ता।

  • यूज़र-फ्रेंडली: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड, नए उपयोगकर्ताओं के लिए भी आसान।

  • तेज़ और त्रुटि-रहित: ऑटोमेटेड चेक्स से कटौतियों और सबमिशन में गलतियों से बचाव।

  • सालभर की योजना के लिए टेक-ड्रिवन: केवल फाइलिंग टूल ही नहीं—पूरे वर्ष टैक्स प्लानिंग का साथी।

ध्यान देने योग्य बातें

  • ₹24 पैकेज की सीमाएं: यह केवल सरल ITR-1 (सैलरी इनकम, केवल फॉर्म 16) जैसे मामलों के लिए है; इसमें पूंजीगत लाभ, किराये की आय जैसे जटिल तत्व शामिल नहीं होते।

  • डेटा प्राइवेसी: संवेदनशील जानकारी डिजिटल रूप में साझा करते समय डेटा सुरक्षा का ध्यान रखें।

  • जटिल मामलों में सीए की जरूरत: अगर आपकी टैक्स स्थिति में कई प्रकार की आय, ऑडिट या जांच का जोखिम है, तो एक्सपर्ट-असिस्टेड प्लान या पारंपरिक सेवाएं बेहतर हो सकती हैं।

हर घर तिरंगा 2025: कैसे भाग लें और प्रमाण पत्र प्राप्त करें

हर घर तिरंगा एक राष्ट्रीय अभियान है, जो प्रत्येक भारतीय को अपने घर, स्कूल, कार्यालय या सार्वजनिक स्थान पर तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित करता है, ताकि 15 अगस्त 2025 को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया जा सके। यह अभियान 2 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा और आजादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा है। इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जाता है तथा इसमें राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों का सहयोग होता है।

भाग कैसे लें?

  1. तिरंगा फहराएँ: 2 अगस्त से 15 अगस्त 2025 के बीच अपने घर, कार्यालय या किसी भी स्थान पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराएँ।

  2. तिरंगे के साथ सेल्फ़ी लें: तिरंगे के साथ अपनी फोटो या सेल्फ़ी क्लिक करें।

  3. सेल्फ़ी अपलोड करें:

    • वेबसाइट harghartiranga.com पर जाएँ।

    • अपना नाम और मोबाइल नंबर दर्ज करें, फोटो अपलोड करें और सबमिट करें।

  4. प्रमाणपत्र डाउनलोड करें: फोटो अपलोड करने के बाद “Download Certificate” पर क्लिक करके हर घर तिरंगा भागीदारी प्रमाणपत्र PDF प्रारूप में डाउनलोड करें।

तिरंगा प्रतिज्ञा लें (वैकल्पिक)

  • pledge.mygov.in पर जाएँ।

  • तिरंगा प्रतिज्ञा पढ़ें और हस्ताक्षर करें।

  • अपना नाम पंजीकृत करें।

  • अपने नाम और बारकोड वाला तिरंगा प्रतिज्ञा प्रमाणपत्र डाउनलोड करें।

ई-कार्ड (डिजिटल बैज) प्राप्त करें

  • सेल्फ़ी अपलोड करने के बाद आपको हर घर तिरंगा ई-कार्ड डाउनलोड करने का विकल्प मिल सकता है।

  • इसे सोशल मीडिया पर साझा करके अपनी भागीदारी दिखा सकते हैं।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

यह अभियान देशभर के लोगों को—

  • राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गर्व और सम्मान व्यक्त करने,

  • स्वतंत्रता दिवस को व्यक्तिगत रूप से मनाने,

  • डिजिटल माध्यम से दूसरों को प्रेरित करने,

  • स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव महसूस करने का अवसर देता है।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

  • अभियान अवधि: 2 अगस्त से 15 अगस्त 2025

  • प्रमाणपत्र डाउनलोड: सेल्फ़ी अपलोड करने के तुरंत बाद उपलब्ध

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रसिद्ध नारे

भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई को प्रेरणादायक नारों ने बल दिया, जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को जगाया और लाखों लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया। साहसी नेताओं और क्रांतिकारियों द्वारा रचे गए ये नारे विरोध और आशा की सशक्त आवाज़ बन गए। उन्होंने लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और आज भी हमें उन वीरों की बहादुरी और बलिदान की याद दिलाते हैं, जिन्होंने राष्ट्र के लिए संघर्ष किया।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रसिद्ध नारे

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारों ने देश की आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भगत सिंह, महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं द्वारा गढ़े गए ये सशक्त शब्द लाखों लोगों को ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए प्रेरित करते थे। “इंकलाब ज़िंदाबाद”, “सुराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” और “करो या मरो” जैसे नारे आंदोलन के दौरान गूंजते रहे, लोगों को स्वतंत्रता की राह पर एकजुट किया और भारत के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ गए।

नारा स्वतंत्रता सेनानी
“वन्दे मातरम्” बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
“जय हिन्द” नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
“इंकलाब ज़िंदाबाद” मौलाना हसरत मोहानी
“सत्यमेव जयते” पंडित मदन मोहन मालवीय
“करो या मरो” महात्मा गांधी
“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” राम प्रसाद बिस्मिल
“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा” बाल गंगाधर तिलक
“पूर्ण स्वराज” जवाहरलाल नेहरू
“भारत छोड़ो” महात्मा गांधी
“दिल्ली चलो” सुभाष चन्द्र बोस
“मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” सुभाष चन्द्र बोस
“क्विट इंडिया” (भारत छोड़ो) महात्मा गांधी
“जय जवान, जय किसान” लाल बहादुर शास्त्री
“आराम हराम है” जवाहरलाल नेहरू
“दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही रहेंगे” चंद्रशेखर आज़ाद

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारे (संक्षेप में):

इंकलाब ज़िंदाबाद – शहीद भगत सिंह

अर्थ “क्रांति ज़िंदाबाद” है। यह नारा मौलाना हसरत मोहानी ने दिया था, जिसे भगत सिंह ने 1929 में दिल्ली की केंद्रीय असेंबली बम कांड के दौरान लोकप्रिय बनाया।

जय हिन्द – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

ज़ैन-उल-अबिदीन हसन द्वारा गढ़ा गया यह नारा, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एकता और देशभक्ति को प्रेरित करने के लिए अपनाया।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

नेताजी ने आज़ाद हिंद फ़ौज का नेतृत्व करते हुए लोगों से स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और बलिदान देने का आह्वान किया।

सत्यमेव जयते – पंडित मदन मोहन मालवीय

अर्थ “सत्य की ही विजय होती है”। यह नारा हिंदू धर्मग्रंथ मुण्डक उपनिषद से लिया गया और 1950 में भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बना।

सरफ़रोशी की तमन्ना – राम प्रसाद बिस्मिल

बिस्मिल अज़ीमाबादी की कविता से प्रेरित यह नारा राम प्रसाद बिस्मिल ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई के आह्वान के रूप में दिया।

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा – मुहम्मद इक़बाल

1904 में मुहम्मद इक़बाल द्वारा लिखित “तराना-ए-हिन्द” में दिया गया यह नारा भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बताता है।

आराम हराम है – जवाहरलाल नेहरू

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह नारा निरंतर संघर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ सक्रियता के लिए दिया।

जय जवान, जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री

1965 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया यह नारा देश की शक्ति में सैनिकों और किसानों के महत्व को रेखांकित करता है।

साइमन गो बैक – लाला लाजपत राय

1928 में साइमन कमीशन के विरोध के दौरान यह नारा ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ जनाक्रोश का प्रतीक बना।

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा – बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज को अपना जन्मसिद्ध अधिकार बताते हुए भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता की मांग के लिए प्रेरित किया।

वन्दे मातरम् – बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय

1870 में लिखी गई बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की यह कविता स्वतंत्रता आंदोलन का शक्तिशाली नारा बनी, जो मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

दिल्ली चलो – नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना को ब्रिटिश शासन से देश को मुक्त कराने के लिए दिल्ली की ओर बढ़ने का आह्वान किया।

करो या मरो – महात्मा गांधी

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी ने यह नारा देकर किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी।

भारत में सबसे ऊँचा ध्वज स्तंभ कौन सा है? भारत के सबसे ऊँचे ध्वज स्तंभों की सूची देखें

पूरे भारत में, ऊंचे-ऊंचे ध्वज स्तंभ गर्व से राष्ट्रीय तिरंगा प्रदर्शित करते हैं, जो एकता, गौरव और देशभक्ति का प्रतीक है। विभिन्न शहरों और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित ये भव्य संरचनाएँ न केवल नागरिकों को प्रेरित करती हैं बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करती हैं। हर ध्वज स्तंभ भारत की शक्ति और राष्ट्रीय भावना का संदेश देता है, जिनमें से कुछ ने ऊँचाई के रिकॉर्ड भी बनाए हैं।

भारत का सबसे ऊँचा ध्वज स्तंभ – बेलगावी

भारत का सबसे ऊँचा ध्वज स्तंभ कर्नाटक के बेलगावी में स्थित है, जिसकी ऊँचाई 361 फीट है। फ़ोर्ट लेक के पास स्थित यह भव्य संरचना राष्ट्रीय गर्व और एकता का प्रतीक है। इसे 12 मार्च 2018 को फिरोज़ सैत द्वारा उद्घाटित किया गया था। यह अब शहर का एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है, जो देशभक्ति और इंजीनियरिंग कौशल दोनों का प्रतीक है।

उद्घाटन और समारोह

12 मार्च 2018 को एक भव्य रिबन-कटिंग समारोह के साथ इस विशाल ध्वज स्तंभ का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर तिरंगे का भव्य ध्वजारोहण किया गया, जिसने देश की एकता और गर्व का संदेश पूरे देश में पहुँचाया। यह आयोजन न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम था बल्कि राष्ट्रीय महत्त्व का क्षण भी था।

देशभक्ति की नई लहर

चार साल बाद, बेलगावी में भारत का सबसे ऊँचा तिरंगा एक बार फिर हवा में लहराया। बेलगावी नॉर्थ के विधायक असीफ़ सैत ने 9,600 वर्ग फुट चौड़े तिरंगे को 361 फीट ऊँचे ध्वज स्तंभ पर फहराने का गौरव प्राप्त किया। यह ऐतिहासिक पल शहर के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गया।

नवाचार और ध्वज का घुमाव

इस तकनीकी चमत्कार के पीछे मुंबई की एक कंपनी ने चार विशेष ध्वज तैयार किए, जिन्हें रोटेशन सिस्टम के साथ लगाया गया। इन विशाल ध्वजों को फहराने के लिए 10 एचपी मोटर का उपयोग किया जाता है, जो इंजीनियरिंग की श्रेष्ठता को दर्शाता है।

एकता और गर्व का प्रतीक

जब ध्वज स्तंभ को पुनः स्थापित किया गया, तो नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और नागरिकों ने मिलकर इसे एक विशेष अवसर बनाया। यह केवल एक ऊँची संरचना नहीं है, बल्कि यह हमारे देश के प्रति प्रेम, गर्व और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाने वाला प्रतीक है। जब तिरंगा हवा में लहराता है, तो यह हमें एकजुट होकर देश की सेवा करने की प्रेरणा देता है।

भारत के शीर्ष 10 सबसे ऊँचे ध्वज स्तंभ

उत्तर की सीमाओं से लेकर दक्षिण के सिरे तक, भारत अपने ऊँचे ध्वज स्तंभों के माध्यम से देशभक्ति का प्रदर्शन करता है।

यह रहा भारत के शीर्ष 10 सबसे ऊँचे ध्वज स्तंभों की सूची हिंदी में सारणीबद्ध रूप में –

क्रम संख्या शहर राज्य ऊँचाई (फीट में)
1 बेलगावी कर्नाटक 361
2 अटारी-वाघा सीमा पंजाब 360
3 पुणे महाराष्ट्र 360
4 रांची झारखंड 293
5 फरीदाबाद हरियाणा 250
6 नवी मुंबई महाराष्ट्र 225
7 कनॉट प्लेस नई दिल्ली 207
8 तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु 207
9 रायपुर छत्तीसगढ़ 207
10 जमशेदपुर झारखंड 200

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका इतिहास

भारत का स्वतंत्रता दिवस हमारे इतिहास के सबसे विशेष दिनों में से एक है। 15 अगस्त 1947 को भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन में रहने के बाद अंततः आज़ाद हुआ। पहले भारत पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (1757–1857) का शासन था, और उसके बाद ब्रिटिश सरकार (1858–1947) ने नियंत्रण किया।

यह आज़ादी आसानी से नहीं मिली। स्वतंत्रता सेनानियों और आम लोगों ने स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष किया, विरोध प्रदर्शन किए और अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन सवाल यह है कि आज़ादी 15 अगस्त को ही क्यों मिली, किसी और दिन क्यों नहीं? इसका कारण राजनीति, इतिहास और यहाँ तक कि द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़े घटनाक्रम का मिला-जुला परिणाम है।

भारत की आज़ादी की लड़ाई

कई वर्षों तक भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के अत्याचार सहे। लोगों के साथ अन्याय हुआ, किसानों का शोषण हुआ और भारतीय उद्योगों को नष्ट कर दिया गया। इसके खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलन शुरू हुए, जैसे:

  • स्वदेशी आंदोलन (1905): ब्रिटिश वस्तुओं के बजाय भारतीय वस्तुओं का उपयोग।

  • असहयोग आंदोलन (1920): ब्रिटिश स्कूलों, कार्यालयों और कानूनों का बहिष्कार।

  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942): ब्रिटिशों से तुरंत भारत छोड़ने की मांग।

इन आंदोलनों ने धीरे-धीरे ब्रिटिशों को यह समझा दिया कि वे भारत पर अब और शासन नहीं कर सकते।

26 जनवरी – पहला स्वतंत्रता दिवस

1947 से पहले, 26 जनवरी को भारत का स्वतंत्रता दिवस माना जाता था। 1929 में, जब जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे, कांग्रेस ने “पूर्ण स्वराज” – यानी ब्रिटिश शासन से पूरी आज़ादी – की घोषणा की। 1930 से, कांग्रेस हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाती थी।

बाद में, जब 1947 में भारत को आज़ादी मिली, 26 जनवरी को 1950 से गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया, क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बना।

ब्रिटिशों का भारत छोड़ने का निर्णय

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन कमजोर हो चुका था और भारत पर शासन जारी नहीं रख सकता था। ब्रिटिश संसद ने भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुई माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र करने का आदेश दिया।

लेकिन भारतीय नेता जल्दी आज़ादी चाहते थे क्योंकि उन्हें दंगों और हिंसा के बढ़ने का डर था। इसलिए माउंटबेटन ने तय किया कि तय समय से पहले ही स्वतंत्रता दी जाए।

माउंटबेटन ने 15 अगस्त क्यों चुना?

लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 की तारीख इसलिए चुनी क्योंकि यह द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।

जापान ने 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण किया था, जब अमेरिका ने हिरोशिमा (6 अगस्त) और नागासाकी (9 अगस्त) पर परमाणु बम गिराए थे। माउंटबेटन को लगा कि भारत को आज़ादी देने का यह दिन भी ऐतिहासिक और सार्थक रहेगा।

वह कानून जिसने भारत को आज़ाद किया

भारतीय स्वतंत्रता विधेयक 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में पारित हुआ। इसने दो नए देशों – भारत और पाकिस्तान – को जन्म दिया, और दोनों को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली।

पाकिस्तान 14 अगस्त को क्यों मनाता है?

शुरुआत में पाकिस्तान भी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस मनाता था। यहाँ तक कि उनके पहले डाक टिकट पर भी यही तारीख छपी थी। लेकिन 1948 से पाकिस्तान ने 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।

इसके पीछे कारण हो सकते हैं:

  • कराची में सत्ता हस्तांतरण का समारोह 14 अगस्त को हुआ था।

  • 14 अगस्त 1947 रमज़ान के 27वें दिन था, जो मुसलमानों के लिए पवित्र दिन है।

भारत के लिए 15 अगस्त का महत्व

भारत के लिए 15 अगस्त सिर्फ एक तारीख नहीं है। इसका मतलब है:

  • ब्रिटिश शासन का अंत।

  • स्वशासन और लोकतंत्र की शुरुआत।

  • अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का परिणाम।

हर साल, भारत इस दिन को ध्वजारोहण, देशभक्ति गीतों, परेड और लाल किले से प्रधानमंत्री के भाषण के साथ मनाता है – ठीक वैसे ही जैसे नेहरू ने 14-15 अगस्त 1947 की रात “नियति से tryst” (Tryst with Destiny) भाषण दिया था।

भारतीय स्वतंत्रता की समयरेखा: 1857 से 1947 तक

स्वतंत्रता दिवस भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है, जिसे हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। यह वह ऐतिहासिक दिन है जब वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली। इसी दिन भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ। यह लेख भारत की स्वतंत्रता की ओर ले जाने वाली प्रमुख घटनाओं को प्रस्तुत करता है, जिसमें आज़ादी के आंदोलन के संघर्ष, बलिदान और महत्वपूर्ण क्षणों पर प्रकाश डाला गया है।

स्वतंत्रता दिवस 2025

साल 2025 में भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, जो ब्रिटिश शासन से आज़ादी और भारत-पाकिस्तान विभाजन के 78 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले के लाहौरी गेट पर तिरंगा फहराया, जो औपनिवेशिक शासन के अंत का प्रतीक बना। यह ऐतिहासिक दिन लंबे संघर्ष के बाद आया और आज भी गर्व और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

1857 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता की समयरेखा

भारतीय स्वतंत्रता दिवस की संपूर्ण समयरेखा 1857 के विद्रोह से लेकर 1947 की स्वतंत्रता तक के प्रमुख घटनाक्रमों को दर्शाती है। इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना, गांधीजी के नेतृत्व में हुए प्रमुख आंदोलनों, और वे महत्वपूर्ण सुधार व अधिनियम शामिल हैं, जिन्होंने भारत को आज़ादी की राह पर अग्रसर किया। प्रत्येक घटना उस संघर्ष और उपलब्धियों का प्रमाण है, जो अंततः देश की मुक्ति का कारण बनी।

यह रहा 1857 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता की समयरेखा का संपूर्ण हिन्दी सारणी रूप:

वर्ष घटनाएँ
1857 1857 का विद्रोह
1875 इंडियन लीग की स्थापना
1876 वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट
1882 हंटर कमीशन
1883 लॉर्ड रिपन द्वारा इल्बर्ट बिल का प्रस्ताव
1884 इल्बर्ट बिल पारित
1885 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना
1885 पहली कांग्रेस अधिवेशन 28–31 दिसम्बर, बंबई में आयोजित
1897 स्वामी विवेकानंद द्वारा रामकृष्ण मिशन की स्थापना
जुलाई 1905 लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल विभाजन की घोषणा
16 अक्टूबर 1905 बंगाल विभाजन
31 दिसम्बर 1906 ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना
1907 कांग्रेस का सूरत विभाजन
11 अगस्त 1908 खुदीराम बोस को फाँसी
1909 मिंटो-मॉर्ले सुधार या भारतीय परिषद अधिनियम 1909
1910 भारतीय प्रेस अधिनियम
1911 बंगाल विभाजन रद्द
अप्रैल 1916 बाल गंगाधर तिलक द्वारा होम रूल लीग की शुरुआत
दिसम्बर 1916 लखनऊ पैक्ट
1917 चंपारण सत्याग्रह
1918 मद्रास मज़दूर संघ की स्थापना
1919 मोंटैग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
16 फरवरी 1919 रॉलेट एक्ट पारित
13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड
1920–22 असहयोग आंदोलन
5 फरवरी 1922 चौरी-चौरा कांड
1922–23 स्वराज्य पार्टी का गठन
1925 काकोरी कांड
1927 साइमन कमीशन की स्थापना
1928 भगत सिंह द्वारा सॉन्डर्स की हत्या
1928 नेहरू रिपोर्ट
3 फरवरी 1928 साइमन कमीशन का भारत आगमन
दिसम्बर 1929 लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की घोषणा
8 अप्रैल 1929 भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधान सभा में बम फेंका गया
18 अप्रैल 1930 चिटगांव शस्त्रागार कांड
12 मार्च 1930 दांडी मार्च की शुरुआत
6 अप्रैल 1930 दांडी मार्च समाप्त
30 नवम्बर 1930 प्रथम गोलमेज सम्मेलन
5 मार्च 1931 गांधी–इरविन समझौता
5 मार्च 1931 कांग्रेस का कराची अधिवेशन
7 सितम्बर 1931 द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
1932 पूना पैक्ट
1932 तृतीय गोलमेज सम्मेलन
1935 भारत शासन अधिनियम
22 जून 1939 अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना
18–22 अगस्त 1940 लॉर्ड लिनलिथगो का अगस्त प्रस्ताव
1942 भारत छोड़ो आंदोलन
1942 क्रिप्स मिशन
1942 भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना
1942 आज़ाद हिंद फौज का गठन
1945 शिमला सम्मेलन में वेवेल योजना की घोषणा
1946 कैबिनेट मिशन
जून 1947 माउंटबेटन योजना
1947 भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम
14 अगस्त 1947 भारत और पाकिस्तान का विभाजन
15 अगस्त 1947 भारत को औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, प्रश्न और उत्तर

भारत की आज़ादी अनेक महान नेताओं और क्रांतिकारियों की कड़ी मेहनत, साहस और बलिदान का परिणाम थी। महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों से लेकर भगत सिंह की वीरता तक, हर एक ने हमारे देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (जीके क्विज़) स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित है, जो आपके ज्ञान की परीक्षा लेगी और आपको उन नायकों के बारे में रोचक तथ्य सिखाएगी, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

भारत के स्वतंत्रता सेनानी

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति के संघर्ष में अहम भूमिका निभाई। प्रमुख हस्तियों में महात्मा गांधी शामिल हैं, जिन्होंने अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व किया, और भगत सिंह, जो अपने क्रांतिकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध थे। अन्य प्रमुख सेनानियों में जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस का नाम आता है। इनके सामूहिक प्रयासों और बलिदानों ने 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाई और देश के इतिहास को आकार दिया।

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (जीके क्विज़)

अपना ज्ञान परखें इस प्रश्नोत्तरी के साथ! इसमें महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे प्रमुख नेताओं से जुड़े प्रश्न हैं, जो आपको भारत की आज़ादी के संघर्ष के बारे में और गहराई से जानने का मौका देंगे।

प्रश्न 1. जलियांवाला बाग हत्याकांड के बदले के लिए प्रसिद्ध कौन से स्वतंत्रता सेनानी थे?
(a) लाला लाजपत राय
(b) भगत सिंह
(c) उधम सिंह
(d) राजगुरु
उत्तर: (c)
व्याख्या: शहीद उधम सिंह गदर पार्टी के क्रांतिकारी थे, जिन्होंने 13 मार्च 1940 को माइकल ओ’ड्वायर की हत्या की थी। ओ’ड्वायर उस समय पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे, जब जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था।

प्रश्न 2. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक और ‘बंदी जीवन’ पुस्तक के लेखक कौन थे?
(a) भगत सिंह
(b) सी. गोपालाचारी
(c) खुदीराम बोस
(d) सचिंद्र नाथ सान्याल
उत्तर: (d)
व्याख्या: सचिंद्र नाथ सान्याल ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की। वे गदर षड्यंत्र में शामिल थे और उन्हें कालापानी की सजा हुई, जहां उन्होंने 1922 में ‘बंदी जीवन’ पुस्तक लिखी।

प्रश्न 3. काकोरी कांड में शामिल होने के कारण काला पानी (सेलुलर जेल) भेजे गए स्वतंत्रता सेनानी कौन थे?
(a) राम प्रसाद बिस्मिल
(b) जतिन दास
(c) सचिंद्र बख्शी
(d) बटुकेश्वर दत्त
उत्तर: (c)
व्याख्या: काकोरी कांड में सचिंद्र बख्शी समेत कई क्रांतिकारियों को अंडमान-निकोबार स्थित सेलुलर जेल में भेजा गया था।

प्रश्न 4. किसने लाहौर जेल में राजनीतिक कैदियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अनशन किया और प्राण त्याग दिए?
(a) जतिन दास
(b) बटुकेश्वर दत्त
(c) महात्मा गांधी
(d) खुदीराम बोस
उत्तर: (a)
व्याख्या: जतिन दास ने 63 दिन लंबा अनशन किया और 13 सितंबर 1929 को उनका निधन हो गया। यह अनशन उन्होंने भगत सिंह और अन्य राजनीतिक कैदियों के साथ किया था।

प्रश्न 5. 1925 के काकोरी कांड में फांसी पाए तीन क्रांतिकारी कौन थे?
(a) रोशन सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान
(b) भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु
(c) उधम सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान
(d) राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, अशफाकुल्ला खान
उत्तर: (a)
व्याख्या: 19 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफाकुल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को काकोरी कांड में फांसी दी गई।

प्रश्न 6. ‘लोकहितवादी’ के नाम से कौन प्रसिद्ध थे?
(a) गोपाल हरि देशमुख
(b) गोपाल कृष्ण गोखले
(c) फिरोजशाह मेहता
(d) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (a)
व्याख्या: गोपाल हरि देशमुख ने ‘प्रभाकर’ पत्र में ‘लोकहितवादी’ नाम से सामाजिक सुधार संबंधी लेख लिखे, जिसके कारण वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए।

प्रश्न 7. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा प्रारंभ किया गया ‘केसरी’ समाचार पत्र किस भाषा में प्रकाशित होता था?
(a) बंगाली
(b) हिंदी
(c) अंग्रेज़ी
(d) मराठी
उत्तर: (d)
व्याख्या: ‘केसरी’ एक मराठी समाचार पत्र है, जिसकी स्थापना 4 जनवरी 1881 को बाल गंगाधर तिलक ने की थी।

प्रश्न 8. उधम सिंह ने किस ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी थी?
(a) कर्नल रेजिनाल्ड डायर
(b) जॉन सॉन्डर्स
(c) सर माइकल ओ’डायर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
व्याख्या: 13 मार्च 1940 को उधम सिंह ने लंदन में सर माइकल ओ’डायर की हत्या की, जो जलियांवाला बाग नरसंहार के समय पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे।

प्रश्न 9. 1919 में मोतीलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया समाचार पत्र कौन सा था?
(a) यंग इंडिया
(b) द इंडिपेंडेंट
(c) वॉयस ऑफ इंडिया
(d) द लीडर
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार मोतीलाल नेहरू ने 5 फरवरी 1919 को इलाहाबाद से प्रारंभ किया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे दो साल बाद बंद कर दिया।

प्रश्न 10. ‘पंजाब केसरी’ के नाम से कौन जाने जाते थे?
(a) भगत सिंह
(b) लाला लाजपत राय
(c) चंद्रशेखर आज़ाद
(d) राजगुरु
उत्तर: (b)
व्याख्या: लाला लाजपत राय को ‘पंजाब केसरी’ कहा जाता है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और समाज सुधारक थे।

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित पुस्तकें और जीवनी – सूची देखें

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने साहस, बलिदान और दृढ़ संकल्प के साथ ब्रिटिश शासन से आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रेरणादायक जीवन को अनेक पुस्तकों और जीवनी में संजोया गया है, जो हमें उनके संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में बताती हैं। इन रचनाओं को पढ़ना न केवल इतिहास सिखाता है, बल्कि हमें स्वतंत्रता के मूल्य को समझने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित भी करता है।

इन पुस्तकों का महत्व

स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित पुस्तकें और जीवनी हमें:

  • भविष्य की पीढ़ियों के लिए इतिहास संरक्षित करने में मदद करती हैं।

  • नेताओं के विचार और दर्शन को समझने का अवसर देती हैं।

  • उनके साहस और संघर्ष से सीखने की प्रेरणा देती हैं।

  • औपनिवेशिक भारत की राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों की झलक दिखाती हैं।

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित पुस्तकें और जीवनी – सूची

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आज़ाद कराने के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए और जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया। उनके प्रेरणादायक सफ़र को विभिन्न पुस्तकों और जीवनी में अमर कर दिया गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को साहस, देशभक्ति और लंबी स्वतंत्रता की लड़ाई के बारे में सिखाती हैं।

यह रहा आपका दिया हुआ स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी पुस्तकों व जीवनी की सूची हिंदी सारणी में —

स्वतंत्रता सेनानी पुस्तकें / जीवनी
मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) यंग इंडिया, हरिजन, नवजीवन, हिन्द स्वराज्य, सत्य के साथ मेरे प्रयोग
बाल गंगाधर तिलक केसरी, द मराठा, गीता रहस्य / कर्मयोग शास्त्र, द ओरियन: वेदों की प्राचीनता पर शोध, द आर्कटिक होम इन द वेदास
जवाहरलाल नेहरू डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्प्सेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री, मेरी कहानी
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद अल हिलाल, इंडिया विंस फ्रीडम, ग़ुबारे खातिर
लाला लाजपत राय अनहैप्पी इंडिया, इंग्लैंड्स डेट टू इंडिया, द आर्य समाज, द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका: ए हिंदूज़ इम्प्रेशन एंड ए स्टडी, द स्टोरी ऑफ माई डिपोर्टेशन, द प्रॉब्लम्स ऑफ नेशनल एजुकेशन इन इंडिया
डॉ. राजेंद्र प्रसाद इंडिया डिवाइडेड, एट द फीट ऑफ महात्मा गांधी, सत्याग्रह इन चंपारण
लाला हरदयाल हिंट्स फॉर सेल्फ कल्चर
सुरेंद्रनाथ बनर्जी बंगाली, ए नेशन इन मेकिंग
वीर सावरकर द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, हिंदू पाद पादशाही, हिन्दुत्व: हू इज़ ए हिंदू?
भगत सिंह व्हाई आई एम एन एथीस्ट?
रवींद्रनाथ ठाकुर गीतांजलि, होम एंड द वर्ल्ड, गोरा, हंगरी स्टोन्स, चांडालिका, विसर्जन, द पोस्ट ऑफिस, चोखेर बाली, काबुलीवाला, माई रेमिनिसेंसेस, द क्रेसेंट मून, लेटर्स फ्रॉम रशिया
मदन मोहन मालवीय अभ्युदय, हिन्दुस्तान, लीडर
गोपाल कृष्ण गोखले नेशन
केशव चंद्र सेन इंडियन मिरर, वाम बोधिनी
दीनबंधु मित्र नील दर्पण
मोहम्मद इक़बाल तराना-ए-हिन्द, बांग-ए-दरा
एनी बेसेन्ट कॉमनवील, न्यू इंडिया, द एंशिएंट विजडम, माई पाथ टू एथीइज़्म
सुभाष चंद्र बोस इंडियन स्ट्रगल, एन इंडियन पिलग्रिम
परांजपे काल
मोहम्मद अली कॉमरेड, हमदर्द
राजा राममोहन राय तुहफ़त-उल-मुवाहिद्दीन, वेदांत ग्रंथ, वेदांत सार का संक्षिप्त अनुवाद, केनोपनिषद, ईशोपनिषद, कठोपनिषद, मुण्डक उपनिषद, ए डिफ़ेंस ऑफ़ हिंदू थीइज़्म, द प्रीसेप्ट्स ऑफ़ जीसस – द गाइड टू पीस एंड हैपिनेस, बांग्ला व्याकरण, द यूनिवर्सल रिलिजन, हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन फ़िलॉसफ़ी, गौड़ीय व्याकरण, संवाद कौमुदी, सती प्रथा पर वाद-विवाद (बांग्ला और अंग्रेज़ी)
ईश्वरचंद्र विद्यासागर सोम प्रकाश
मोतीलाल नेहरू इंडिपेंडेंट
दादाभाई नौरोजी रस्त गुफ़्तगू, पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया
शिशिर कुमार घोष अमृत बाजार पत्रिका
तारक नाथ दास फ्री हिन्दुस्तान
शचिंद्रनाथ सान्याल द रेवोल्यूशनरी, बंदी जीवन
दयानंद सरस्वती सत्यार्थ प्रकाश
भोगराजू पत्ताभि सीतारमैया हिस्ट्री ऑफ़ कांग्रेस
वेलेंटाइन चीरोले इंडियन अनरेस्ट
चित्तरंजन दास इंडिया फॉर इंडियंस
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बांग दर्शन, आनंद मठ, देवी चौधरानी, कपालकुंडला, मृणालिनी, दुर्गेश नंदिनी
भारतेंदु हरिश्चंद्र भारत दुर्दशा
शिवानंद डिवाइन लाइफ़
नयंतारा सहगल ए वॉइस ऑफ़ फ़्रीडम
सरोजिनी नायडू द गोल्डन थ्रेशोल्ड, द बर्ड ऑफ़ टाइम, द फ़ेदर ऑफ़ द डॉन
भीमराव अंबेडकर एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट, द बुद्धा एंड हिज धम्मा, पाकिस्तान ऑर द पार्टिशन ऑफ़ इंडिया, रिडल्स इन हिंदुइज़्म, हू वेयर द शूद्राज़?
श्री अरविंद (अरविंद घोष) लव एंड डेथ, द लाइफ़ डिवाइन, एसेज़ ऑन द गीता, कलेक्टेड पोएम्स एंड प्लेज़, द सिंथेसिस ऑफ़ योगा, द ह्यूमन साइकिल, द आइडियल ऑफ़ ह्यूमन यूनिटी, सावित्री: ए लीजेंड एंड ए सिम्बल, ऑन द वेदा
लाला हरदयाल हिंट्स फॉर सेल्फ कल्चर, ग्लिम्प्सेस ऑफ़ वर्ल्ड रिलीज़न्स
महादेव गोविंद रानाडे रिलीजियस एंड सोशल रिफॉर्म, ए कलेक्शन ऑफ़ एसेज़ एंड स्पीचेज़, एसेज़ ऑन इंडियन इकोनॉमिक्स, राइज़ ऑफ़ द मराठा पावर
रोमेश चंद्र दत्त इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया, द सिविलाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया, पीज़ेंट्री ऑफ़ बंगाल
राम मनोहर लोहिया गिल्टी मेन ऑफ़ इंडिया’स पार्टिशन
जयप्रकाश नारायण व्हाई सोशलिज़्म
भगवती चरण वोहरा फ़िलॉसफ़ी ऑफ़ द बॉम्ब
ताराशंकर बंद्योपाध्याय गणदेवता
एम. एन. राय इंडिया इन ट्रांज़िशन

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका, जानें उनके योगदान के बारे में

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी महिलाओं के योगदान के बिना अधूरी है। उन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन चलाए, जागरूकता फैलाई, और ज़रूरत पड़ने पर हथियार भी उठाए। प्रेरणादायक भाषणों से लेकर अदम्य साहस के कारनामों तक, महिलाओं ने राष्ट्र को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई और यह साबित किया कि आज़ादी की लड़ाई सभी की ज़िम्मेदारी थी।

रूढ़ियाँ तोड़ते हुए – स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका

शुरुआत में महिलाओं की भागीदारी अधिकतर प्रतीकात्मक थी—नेताओं को उनसे आंदोलन का समर्थन तो चाहिए था, लेकिन नेतृत्व नहीं सौंपा जाता था। पर धीरे-धीरे यह स्थिति बदलने लगी, जब विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों और सामाजिक पृष्ठभूमि की महिलाएं स्वतंत्रता के लिए एकजुट हुईं।

कुछ प्रमुख महिला नेता:

  • सरोजिनी नायडू – भारत कोकिला के नाम से प्रसिद्ध, उन्होंने नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में मजबूत नेतृत्व किया।

  • विजयलक्ष्मी पंडित – भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किया और महिलाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।

  • कमलादेवी चट्टोपाध्याय – महिलाओं को आंदोलनों में शामिल होने और सामाजिक सुधारों के लिए प्रेरित किया।

  • मृदुला साराभाई – अपने निडर और सक्रिय आंदोलनकारी स्वभाव के लिए जानी जाती थीं।
    यहां तक कि विदेशी महिलाएं जैसे एनी बेसेन्ट और मार्गरेट कज़िन्स भी इस आंदोलन से जुड़ीं, जिन्होंने आयरलैंड में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अनुभव का उपयोग भारत के समर्थन में किया।

गांधीजी का समर्थन क्यों था अहम?

महात्मा गांधी के नेतृत्व ने महिलाओं की भागीदारी को नई दिशा दी। उनका अहिंसा का सिद्धांत (अहिंसा) उन गुणों से मेल खाता था जिनके लिए महिलाएं पहले से जानी जाती थीं—धैर्य, साहस और सहनशीलता।

  • गांधीजी ने महिलाओं को सत्याग्रह (अहिंसक विरोध) अभियानों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।

  • महिलाओं में गिरफ्तारी, जन-प्रदर्शन और पुलिस की हिंसा का सामना करने का साहस आया।

  • इस आंदोलन ने मध्यम वर्ग की महिलाओं को उच्च वर्ग और ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर लड़ने का अवसर दिया।

वे प्रमुख आंदोलन जिनमें महिलाएं चमकीं

असहयोग आंदोलन (1920)

  • ब्रिटिश वस्तुओं, स्कूलों और संस्थाओं का बहिष्कार।

  • विरोध मार्च और रैलियों में भागीदारी।

  • कई महिलाओं ने पहली बार जेल की सज़ा काटी।

नमक सत्याग्रह (1930)

  • सरोजिनी नायडू और कमला नेहरू ने गांधीजी के साथ मार्च निकाले।

  • नमक डिपो का घेराव और ब्रिटिश नमक एकाधिकार तोड़ना।

  • शुरुआत में गांधीजी महिलाओं को शामिल करने में झिझकते थे, लेकिन सरोजिनी नायडू ने उन्हें मनाया।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

  • महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन, जन सभाएं और भूमिगत गतिविधियां आयोजित कीं।

  • आंदोलन का संदेश फैलाने के लिए कांग्रेस रेडियो चलाया।

  • पुरुष नेताओं के जेल जाने के बाद भी संघर्ष जारी रखा।

क्षेत्रीय महिला नेता

देश के हर कोने से महिलाएं आज़ादी के आंदोलन में जुड़ीं:

  • ए.वी. कुट्टिमालुआम्मा और एनी मास्करीन – केरल

  • दुर्गाबाई देशमुख – मद्रास प्रेसीडेंसी

  • रामेश्वरी नेहरू – उत्तर प्रदेश
    इन नेताओं ने स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन, हड़तालें और जागरूकता अभियान चलाए, जिससे आंदोलन गांव-गांव तक पहुंचा।

महिलाओं की भूमिका क्यों थी खास?

महिलाओं की भागीदारी ने भारतीय समाज पर गहरा असर डाला:

  • एकता में विविधता – रानी लक्ष्मीबाई और बेगम हज़रत महल जैसी नेता अलग-अलग क्षेत्रों और धर्मों से थीं, लेकिन उद्देश्य एक था।

  • सामाजिक बंधन तोड़ना – महिलाएं घरेलू भूमिकाओं से निकलकर नेतृत्व तक पहुंचीं।

  • सशक्तिकरण – आंदोलनों में भाग लेने से महिलाओं में राजनीति, शासन और शिक्षा में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास आया।

  • भारत माता का प्रतीक – महिलाएं राष्ट्र की जीवंत छवि बन गईं, जिसने एकता और देशभक्ति को प्रेरित किया।

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