भारत ने अपनी स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए महत्वाकांक्षी न्यूक्लियर मिशन की शुरुआत की है, जो टिकाऊ ऊर्जा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित और डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा विस्तृत इस पहल का उद्देश्य 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करना है। इस कदम के तहत, अब तक सरकार के नियंत्रण में रहा परमाणु क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए भी खोला गया है। मिशन का मुख्य फोकस स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) और स्वदेशी परमाणु तकनीक के विकास पर होगा, जिससे भारत 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ सकेगा।
भारत के न्यूक्लियर मिशन की प्रमुख बातें
| सारांश/स्थिर विवरण | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | परमाणु ऊर्जा वृद्धि: भारत का 100 गीगावाट लक्ष्य |
| मिशन उद्देश्य | 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन |
| निजी क्षेत्र की भागीदारी | परमाणु ऊर्जा को निजी कंपनियों के लिए खोला गया |
| प्रौद्योगिकी फोकस | स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) का विकास |
| बजट वृद्धि | 2014 से परमाणु ऊर्जा फंडिंग में 170% की वृद्धि |
| 2024-25 बजट आवंटन | ₹20,000 करोड़ से पाँच ‘भारत SMRs’ विकसित किए जाएंगे |
| वैश्विक सहयोग | फ्रांस, अमेरिका के साथ परमाणु प्रौद्योगिकी साझेदारी |
| स्वदेशी विकास | थोरियम-आधारित रिएक्टर्स और स्थानीय अनुसंधान को बढ़ावा |
| जलवायु लक्ष्य | 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करना |
| परियोजनाओं का पुनरुद्धार | भवानी रिएक्टर, कुडनकुलम संयंत्र का कार्य तेज़ी से आगे बढ़ाना |
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