पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बीएसई को बीएसई के एक अलग खंड के रूप में एक सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इससे सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को बाजार से पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2019-2020 के बजट भाषण में एसएसईकी अवधारणा का प्रस्ताव रखा।
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सामाजिक क्षेत्र के उद्यम क्या हैं?
- सेबी के अनुसार सामाजिक उद्यम जो एसएसई में सूचीबद्ध होना चाहते हैं, उन्हें निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना चाहिए;
यह एक गैर-लाभकारी संगठन होना चाहिए जो कम से कम तीन वर्षों के लिए एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हो और पंजीकरण के समय कम से कम अगले 12 महीनों के लिए वैध प्रमाण पत्र हो। - कॉरपोरेट फ़ाउंडेशन, राजनीतिक या धार्मिक संगठन या गतिविधियाँ, पेशेवर या व्यापार संघ, और बुनियादी ढाँचा और आवास कंपनियाँ, किफायती आवास को छोड़कर, एक सामाजिक उद्यम के रूप में पहचाने जाने के योग्य नहीं होंगी।
पिछले वित्तीय वर्ष में इकाई द्वारा वार्षिक खर्च कम से कम 50 लाख रुपये होना चाहिए और चालू वित्त वर्ष में कम से कम 10 लाख रुपये का वित्त पोषण होना चाहिए। - गैर-लाभकारी संगठनके पास आयकर विभाग द्वारा जारी एक वैध स्थायी खाता संख्या (पैन) होना चाहिए।
एसएसई के माध्यम से धन जुटाने वाले सामाजिक उद्यमों को वित्तीय वर्ष के अंत से 90 दिनों के भीतर एक लेखा परीक्षित वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (एआईआर) प्रदान करनी होगी।
बीएसई के बारे में
इसे 1875 में बॉम्बे (अब मुंबई) में ‘द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स’ एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कर दिया गया और अब इसे बीएसई के नाम से जाना जाता है। यह एशिया में स्थापित होने वाला पहला स्टॉक एक्सचेंज है।
साल 2017 में बीएसई भारत का पहला सूचीबद्ध स्टॉक एक्सचेंज बन गया। बीएसई ने अहमदाबाद में गिफ्ट सिटी आईएफएससी में स्थित भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज इंडिया आईएनएक्स लॉन्च किया है। बीएसई का लोकप्रिय इक्विटी इंडेक्स – एस एंड पी बीएसई सेंसेक्स – भारत का सबसे व्यापक रूप से ट्रैक किया जाने वाला स्टॉक मार्केट बेंचमार्क इंडेक्स है।