मध्य प्रदेश के इंदौर में 2.18 लाख मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में ‘इनमें से कोई नहीं’ विकल्प चुनकर नोटा का रिकॉर्ड बनाया। कुल मतदाताओं में से 14.01 प्रतिशत ने ‘इनमें से कोई नहीं’ विकल्प चुना, जिसे 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू किया गया था।
मध्य प्रदेश की सबसे प्रमुख सीटों में से एक इंदौर में भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला किसी उम्मीदवार से नहीं, बल्कि नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) से था। यहां भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। शंकर लालवाणी को इंदौर लोकसभा सीट पर 10 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। यहां दूसरे नंबर पर नोटा है जिसे 2.18 लाख वोट हासिल हुए हैं। इसके साथ ही इंदौर में ‘नोटा’ (उपरोक्त में से कोई नहीं) ने बिहार के गोपालगंज का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
गोपालगंज में नोटा को 51 हजार 660 वोट मिले थे। दूसरे क्रम पर पश्चिम चंपारण में 45,609 वोट नोटा को मिले थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में शामिल किया गया था।
भारत में पीयूसीएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर नोटा लागू करने की मांग की थी। हमारे देश में 2013 नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का प्रावधान लागू हुआ था। मत देना भी है, और उसे कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह यह विकल्प चुन सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में शामिल किया गया था। वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प का बटन जोड़ा गया। नोटा का विकल्प लागू करने वाला भारत विश्व का 14वां देश था।
शंकर लालवाणी ने इंदौर लोकसभा सीट से 11,75,092 वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की है। लालवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में इंदौर की जनता ने 12 लाख 26 हजार से ज्यादा वोट दिए हैं, वहीं दूसरे नंबर पर नोटा है जिसे 2 लाख 6,224 वोट मिले हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार संजय सोलंकी को 50,000 तो अखिल भारतीय परिवार पार्टी के पवन कुमार को लगभग साढ़े 14 हजार वोट हासिल हुए हैं।
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