निंगोल चाकोबा (Ningol Chakouba) — मणिपुर का एक संवेदनशील और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व — विवाहित महिलाओं (निंगोल) और उनके भाइयों तथा पैतृक परिवारों के बीच मजबूत पारिवारिक बंधन का उत्सव है। यह त्योहार मैतेई चंद्र कैलेंडर के “हियांग्गेई” (Hiyangei) महीने के दूसरे दिन हर वर्ष मनाया जाता है। साल 2025 में निंगोल चाकौबा बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है, जब महिलाएँ पारंपरिक मणिपुरी परिधान पहनकर अपने मायके लौटती हैं, उपहार लेकर आती हैं, और स्नेहभरे मिलन तथा सामूहिक भोज में भाग लेती हैं।
“निंगोल चाकोबा” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है —
निंगोल: विवाहित बेटियाँ या महिलाएँ
चाकोबा: साथ में भोज करना
यह पर्व मणिपुरी परंपराओं में गहराई से निहित है और विवाह के बाद भी भाई-बहन के प्रेमपूर्ण संबंध तथा बेटियों के अपने पैतृक घर से अटूट जुड़ाव को दर्शाता है।
यह परंपरा परिवारों के बीच भावनात्मक संबंधों को मजबूत करती है, और समाज को यह याद दिलाती है कि बेटियाँ विवाह के बाद भी अपने परिवार की समान रूप से प्रिय सदस्य होती हैं।
यह उत्सव लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन के संदेश को भी सुदृढ़ करता है।
पर्व के दिन विवाहित महिलाएँ अपने मायके (पैतृक घर) जाती हैं, पारंपरिक मणिपुरी पोशाक पहनकर, प्रायः अपने बच्चों के साथ।
वे अपने साथ फल, सब्जियाँ, मिठाइयाँ और अन्य पकवान प्रेम और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में लाती हैं।
ये सभी वस्तुएँ परिवार के साथ साझा की जाती हैं और फिर सामूहिक भोज (feast) आयोजित होता है, जो उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है।
भोज का मुख्य व्यंजन मछली की करी (Fish Curry) होती है, जो इस दिन का प्रतीकात्मक पकवान है।
भोज के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, जो स्नेह, आभार और मंगलकामना का प्रतीक है।
यह उपहार और प्रेम का आदान-प्रदान पारिवारिक बंधनों को और गहरा बनाता है तथा बेटियों की भूमिका को पुनः प्रतिष्ठित करता है।
निंगोल चाकोबा से पहले मणिपुर मत्स्य विभाग (Department of Fisheries, Manipur) द्वारा हर वर्ष वार्षिक मछली मेला cum फिश क्रॉप प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
2025 में यह आयोजन इंफाल के हप्ता कांगजेइबुंग (Hapta Kangjeibung) में मुख्य उत्सव से एक दिन पूर्व हुआ।
इस मेले का उद्देश्य है —
आम जनता को सस्ती दरों पर विभिन्न प्रकार की मछलियाँ उपलब्ध कराना, ताकि पारंपरिक मछली करी हर घर की थाली तक पहुँच सके।
स्थानीय मछुआरों और मत्स्य उत्पादकों को प्रोत्साहन देना और उनके उत्पादों को प्रदर्शित करना।
इस प्रकार, यह मेला न केवल सांस्कृतिक उत्सव बल्कि आर्थिक और कृषि दृष्टि से भी महत्वपूर्ण आयोजन बन जाता है।
सारांश:
निंगोल चाकोबा केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं है — यह प्रेम, सम्मान और पारिवारिक एकता का प्रतीक है।
यह मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक सामंजस्य का उज्ज्वल उदाहरण है, जो हर वर्ष बेटियों के स्नेहिल आगमन के साथ परिवारों में नई ऊर्जा और आनंद का संचार करता है।
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