भारत के केरल में जवाहरलाल नेहरू उष्णकटिबंधीय वनस्पति उद्यान एवं अनुसंधान संस्थान (जेएनटीबीजीआरआई) के शोधकर्ताओं ने पश्चिमी घाट में जेएनटीबीजीआरआई परिसर में पाई जाने वाली कैंडोलेमाइसेस अल्बोस्क्वामोसस नामक मशरूम की एक नई प्रजाति की पहचान की है। यह खोज क्षेत्र की उल्लेखनीय जैव विविधता पर प्रकाश डालती है और क्षेत्र में कवक विविधता की और खोज को प्रोत्साहित करती है।
मुख्य विवरण
जाति की पहचान
- नई प्रजाति जीनस कैंडोलेओमाइसेस से संबंधित है, जो विश्व स्तर पर केवल 35 मान्यता प्राप्त प्रजातियों वाला एक छोटा जीनस है।
- यह खोज जेएनटीबीजीआरआई के माइक्रोबायोलॉजी डिवीजन के शोधकर्ताओं सी.के. प्रदीप और पी.के. नयना द्वारा वैज्ञानिक पत्रिका फाइटोटैक्सा में प्रकाशित की गई थी।
विशिष्ट विशेषताएं
- कैंडोलेमाइसेस अल्बोस्क्वामोसस की विशेषता इसकी नाजुक उपस्थिति और शहद-पीली टोपी है।
- मशरूम में सफेद ऊनी स्केल जैसी संरचनाओं के साथ एक घंटी के आकार की टोपी होती है, जो इसे एक अद्वितीय रूप देती है।
- परिपक्व नमूनों की टोपी का व्यास 12 मिमी से 38.5 मिमी तक होता है, और ऊंचाई लगभग 58 मिमी होती है।
पर्यावास और रूपात्मक अध्ययन
- जेएनटीबीजीआरआई परिसर में प्राकृतिक जंगलों से नमूने एकत्र किए गए, विशेष रूप से मृत लॉग और बांस के डंठल से।
- विस्तृत रूपात्मक और आणविक अध्ययनों ने इन नमूनों के कैंडोलेमाइसेस की एक अघोषित प्रजाति के रूप में वर्गीकरण की पुष्टि की।
पारिस्थितिक महत्व
- कैंडोलेमाइसेस अल्बोस्क्वामोसस जैसे मशरूम उष्णकटिबंधीय जंगलों में पौधों के कूड़े को विघटित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के पोषक चक्र में योगदान करते हैं।
- यह खोज वन पारिस्थितिकी तंत्र में द्वितीयक सैप्रोफाइटिक कवक के पारिस्थितिक महत्व पर प्रकाश डालती है।
पश्चिमी घाट में जैव विविधता
- केरल में पश्चिमी घाट क्षेत्र अपनी समृद्ध कवक विविधता के लिए जाना जाता है, जिसमें कई प्रजातियाँ इस क्षेत्र के लिए स्थानिक हैं।
- यह खोज पश्चिमी घाट के विविध वनस्पतियों और जीवों की निरंतर खोज और अध्ययन की आवश्यकता पर जोर देती है।
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