भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नवीनतम बुलेटिन के अनुसार मई 2025 में भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में 98% की गिरावट दर्ज की गई, जो घटकर मात्र 35 मिलियन डॉलर रह गया। इस तीव्र गिरावट का मुख्य कारण विदेशी निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में मुनाफ़ा निकालना (repatriation) और सकल FDI प्रवाह में कमी बताया गया है। हालांकि, इस गिरावट के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 696.7 अरब डॉलर पर बना हुआ है, जो आयात कवर और ऋण स्थिरता के लिहाज से संतोषजनक स्थिति दर्शाता है।
पृष्ठभूमि
FDI यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वह दीर्घकालिक निवेश होता है जो कोई विदेशी इकाई किसी अन्य देश की उत्पादक परिसंपत्तियों में करती है। इसमें इक्विटी निवेश, पुनर्निवेशित लाभ और अन्य पूंजी निवेश शामिल होते हैं। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं जैसे भारत के लिए FDI को स्थिर और गैर-ऋण आधारित पूंजी का स्रोत माना जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक हर महीने FDI रुझानों पर डेटा जारी करता है, जिससे पूंजी खाता (capital account) की स्थिति और नीति के प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके।
प्रमुख प्रवृत्तियाँ और आंकड़े (मई 2025)
शुद्ध FDI प्रवाह में वर्ष दर वर्ष (YoY) 98% की गिरावट, जो मई 2024 के $2 अरब से घटकर मई 2025 में सिर्फ $35 मिलियन रह गया।
सकल FDI प्रवाह में 11% की कमी, जो घटकर $7.2 अरब रहा।
FDI की वापसी (Repatriation) में 24% की वृद्धि, जो $5 अरब तक पहुंची।
बाह्य FDI (Outward FDI) बढ़कर $2.1 अरब हो गया, जो पिछले वर्ष $1.8 अरब था।
अप्रैल 2025 की तुलना में शुद्ध FDI 99% कम रहा, जो दर्शाता है कि महीने-दर-महीने भी तेज गिरावट आई है।
स्रोत और गंतव्य का विश्लेषण
FDI प्रवाह के शीर्ष स्रोत देश: सिंगापुर, मॉरीशस, यूएई और अमेरिका, जिनका कुल मिलाकर 75% से अधिक योगदान रहा।
FDI के शीर्ष क्षेत्र: निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग), वित्तीय सेवाएं और कंप्यूटर सेवाएं प्रमुख आकर्षण बने।
बाह्य FDI के प्रमुख क्षेत्र: परिवहन, निर्माण, वित्तीय, बीमा और व्यवसाय सेवाएं।
बाह्य निवेश के प्रमुख गंतव्य: मॉरीशस, अमेरिका और यूएई भारतीय कंपनियों के पसंदीदा निवेश केंद्र बने रहे।
डेटा का महत्त्व
शुद्ध FDI में तेज गिरावट से विदेशी मुद्रा खाते (BoP) पर दबाव पड़ सकता है और निवेशक विश्वास पर भी प्रश्न उठ सकते हैं।
हालांकि, $1.6 अरब का शुद्ध पोर्टफोलियो निवेश एक सकारात्मक संकेत है।
FDI Repatriation में वृद्धि से संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक या तो मुनाफा निकाल रहे हैं या बाजार से बाहर हो रहे हैं — संभावित कारण वैश्विक अनिश्चितताएँ या घरेलू नीतिगत बदलाव हो सकते हैं।
फिर भी, $696.7 अरब के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत के पास 11 महीनों से अधिक का आयात कवर और 95% बाहरी ऋण कवरेज है, जो आर्थिक स्थिरता का संकेत है।
नीतिगत और आर्थिक प्रभाव
नीति निर्माताओं को निवेशकों के भरोसे को बढ़ाने के लिए सुधारों, कर पारदर्शिता और व्यापार में सुगमता पर काम करना होगा।
भारत को स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक माहौल बनाए रखना होगा ताकि स्थायी FDI प्रवाह सुनिश्चित हो सके।
पूंजी खाता रुझानों पर करीबी निगरानी आवश्यक होगी ताकि रुपये की विनिमय दर, महंगाई और ब्याज दरों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके।
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