जानें कि कैसे भारत धनुष, बोफोर्स और ATAGS तोपों के साथ अपने तोपखाने का आधुनिकीकरण कर रहा है। उनके अंतर, विशेषताओं और भारत की सेना के लिए उनके महत्व को समझें।
भारत अपनी सेना की तोपखाना प्रणालियों को और अधिक आधुनिक, शक्तिशाली और सटीक बनाने के लिए उन्हें उन्नत कर रहा है। कई वर्षों तक भारतीय सेना ने बोफोर्स तोप का इस्तेमाल किया, जिसने कारगिल युद्ध के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन अब भारत धनुष और ATAGS जैसी नई स्वदेशी तोपों का विकास और उपयोग कर रहा है।
यह लेख बताता है कि ये तीन महत्वपूर्ण तोपखाना प्रणालियाँ एक दूसरे से किस प्रकार तुलना करती हैं तथा ये भारत की रक्षा में क्या योगदान देती हैं।
पृष्ठभूमि: भारत को आधुनिक तोपखाने की आवश्यकता क्यों थी?
लंबे समय तक भारत को आधुनिक तोपखाना प्राप्त करने में निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा:
- नये हथियार खरीदने में देरी
- बोफोर्स घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मामले
- विदेशी देशों पर निर्भरता
अब, “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत, भारत घर पर ही हथियार बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। धनुष और ATAGS दो ऐसी ही भारतीय निर्मित तोपखाना प्रणालियाँ हैं।
बोफोर्स एफएच-77बी: पुरानी लेकिन विश्वसनीय तोप
बोफोर्स एक स्वीडिश निर्मित तोप है जिसे भारत ने 1980 के दशक में खरीदा था।
यह 1999 के कारगिल युद्ध में अपने प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हुआ।
बोफोर्स के बारे में महत्वपूर्ण बातें:
- इसमें 155 मिमी के गोले का उपयोग किया गया है।
- यह 30 किलोमीटर तक मार कर सकता है।
- इसे चलाने के लिए 6 से 8 लोगों की जरूरत होती है।
- यह आंशिक रूप से स्वचालित है और पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी तरह से काम करता है।
हालांकि यह तोप अब पुरानी हो चुकी है, लेकिन अतीत में इसने भारतीय सेना की बहुत मदद की थी। यह तोप अभी भी इस्तेमाल में है, लेकिन इसे बदलने की जरूरत है।
धनुष: भारत की पहली स्वदेशी हॉवित्जर तोप
धनुष एक भारतीय तोप है जिसे ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने विकसित किया है। यह बोफोर्स डिज़ाइन पर आधारित है लेकिन यह ज़्यादा उन्नत है और भारत में ही बना है।
धनुष की मुख्य विशेषताएं:
- 155 मिमी गोले का उपयोग करता है।
- 38 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य को भेद सकता है।
- बेहतर सटीकता और डिजिटल लक्ष्यीकरण प्रणाली है।
- उच्च ऊंचाई जैसे कठिन इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
धनुष का इस्तेमाल भारतीय सेना पहले से ही कर रही है। इससे पता चलता है कि भारत अपने दम पर आधुनिक हथियार सफलतापूर्वक बना सकता है।
एटीएजीएस: भारत की सबसे उन्नत तोप
ATAGS का मतलब है एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम। इसे भारत के DRDO ने टाटा और भारत फोर्ज जैसी भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर बनाया है।
यह भारत द्वारा अब तक निर्मित सबसे शक्तिशाली तोपखाना प्रणाली है।
एटीएजीएस की महत्वपूर्ण विशेषताएं:
- 155 मिमी गोले का उपयोग करता है।
- 48 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार कर सकता है।
- पूर्णतः स्वचालित लोडिंग सिस्टम है।
- जीपीएस ट्रैकिंग और डिजिटल फायर कंट्रोल के लिए आधुनिक सिस्टम के साथ आता है।
ATAGS का अभी भी परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन उम्मीद है कि यह भारत की सैन्य शक्ति के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। इसकी एकमात्र चुनौती यह है कि यह भारी है, जिससे पहाड़ों में इसे ले जाना मुश्किल हो सकता है।
तुलना तालिका (सरल सारांश)
बोफोर्स, धनुष और एटीएजीएस की तुलना इस प्रकार है:
- बोफोर्स : पुरानी तोप, 30 किमी तक मारक क्षमता वाली, अर्द्ध-स्वचालित, कारगिल में प्रयुक्त
- धनुष : बोफोर्स का उन्नत भारतीय संस्करण, 38 किमी तक की मारक क्षमता, डिजिटल प्रणाली, अब उपयोग में
- एटीएजीएस : सबसे आधुनिक भारतीय तोप, 48 किमी से अधिक की रेंज, पूरी तरह से स्वचालित, परीक्षण चरण में
ये तोपें क्यों महत्वपूर्ण हैं?
ये तोपखाना प्रणालियाँ कई कारणों से भारत की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं:
- वे भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं।
- वे सेना को लंबी दूरी से दुश्मन के लक्ष्यों पर हमला करने की अनुमति देते हैं।
- वे उच्च ऊंचाई और सीमा युद्ध में भारत की संभावनाओं को बेहतर बनाते हैं।
- वे विश्व स्तरीय सैन्य प्रौद्योगिकी के निर्माण में भारत की प्रगति को दर्शाते हैं।


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