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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025: भारत के शिक्षा और एकता के अग्रदूत को श्रद्धांजलि

भारत में हर वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है — जो आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली के प्रमुख शिल्पकारों में से एक थे। यह दिवस शिक्षा, ज्ञान और राष्ट्रनिर्माण के प्रति उनके समर्पण को सम्मानित करता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की घोषणा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने सितम्बर 2008 में की थी।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस?

हर वर्ष 11 नवम्बर को मौलाना आज़ाद के जन्मदिन पर यह दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देशभर के विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं —

  • शिक्षा सुधारों पर सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ

  • निबंध लेखन और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएँ, ताकि साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सके

  • कार्यशालाएँ और जन-जागरूकता रैलियाँ, जो शिक्षा के अधिकार पर बल देती हैं

इस दिवस का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार, आधुनिक चुनौतियों पर विचार और सभी के लिए शिक्षा के संवैधानिक अधिकार को दोहराना है।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: ज्ञान और दृष्टि के प्रतीक

  • जन्म: 11 नवम्बर 1888, मक्का (सऊदी अरब)

  • आज़ाद न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षाविद, पत्रकार और चिंतक भी थे।

  • उन्होंने उर्दू साप्ताहिक “अल-हिलाल” (1912) और “अल-बलाघ” की स्थापना की, जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी विचारों के सशक्त माध्यम बने।

  • केवल 35 वर्ष की आयु में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्षों में से एक बने (1923)।

  • स्वतंत्रता के बाद (1947–1958) उन्होंने भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और देश की शिक्षा नीति की नींव रखी।

मौलाना आज़ाद के प्रमुख योगदान

मौलाना आज़ाद ने स्वतंत्र भारत की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उनके कुछ प्रमुख योगदान —

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को प्रोत्साहन

  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को सशक्त किया

  • वयस्क साक्षरता, वैज्ञानिक शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा दिया

  • साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी की स्थापना कर भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित किया

उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 1992 में मरणोपरांत “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस क्यों मौलाना आज़ाद के नाम पर मनाया जाता है?

मौलाना आज़ाद का मानना था कि सच्ची स्वतंत्रता तभी संभव है जब हर नागरिक शिक्षित हो। वे शिक्षा को केवल अकादमिक उपलब्धि नहीं, बल्कि रचनात्मकता, चिंतनशीलता और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से राष्ट्र की प्रगति का आधार मानते थे।

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस बनाम राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

  • राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (भारत): 11 नवम्बर

  • अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस (UN): 24 जनवरी
    (संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित)

2025 का वैश्विक विषय:
AI and Education: Preserving Human Agency in a World of Automation
(“कृत्रिम बुद्धिमत्ता और शिक्षा: स्वचालन के युग में मानवीय स्वतंत्रता की रक्षा”)

दोनों दिवसों का उद्देश्य समान है — सभी के लिए समान, गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करना, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4 (SDG 4) से जुड़ा है।

मुख्य तथ्य: राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025

विवरण जानकारी
तिथि 11 नवम्बर 2025
अवसर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
समर्पित व्यक्तित्व मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (जन्म: 11 नवम्बर 1888)
प्रथम आयोजन वर्ष 2008
आयोजक मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
मुख्य उद्देश्य मौलाना आज़ाद के योगदान को सम्मानित करना और सबके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना
प्रमुख संस्थान UGC, IITs, IISc, AICTE, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी
सम्मान भारत रत्न (1992, मरणोपरांत)
अंतरराष्ट्रीय दिवस 24 जनवरी (UN द्वारा घोषित)
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