राष्ट्रीय संविधान दिवस, या संविधान दिवस (Samvidhan Divas), हर वर्ष 26 नवंबर को उस ऐतिहासिक दिन की स्मृति में मनाया जाता है, जब 1949 में संविधान सभा ने भारत का संविधान अपनाया था। यह दिवस नागरिकों को संविधान निर्माताओं के अद्वितीय योगदान की याद दिलाता है और उन संवैधानिक मूल्यों को पुन: पुष्ट करता है जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और शासन प्रणाली का आधार हैं।
संविधान दिवस का उद्देश्य छात्रों, सरकारी कर्मचारियों और आम नागरिकों में संवैधानिक साक्षरता बढ़ाना और उन्हें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों से जोड़ना है। संविधान दिवस 2025 में भारत संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होने का गौरव मनाता है।
संविधान दिवस का अर्थ और उद्देश्य
संविधान दिवस, संविधान सभा के उन सदस्यों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद एक नए भारत के लिए शासन और अधिकारों का व्यापक ढांचा तैयार किया।
भारत का संविधान बनने में कुल 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे — जो विश्व के सबसे विस्तृत संविधान-निर्माण प्रयासों में से एक है।
इस दिन विशेष रूप से डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर — संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष — के योगदान को स्मरण किया जाता है। संविधान दिवस नागरिकों को मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और लोकतांत्रिक जीवन के नैतिक आधारों की ओर पुनः उन्मुख करता है।
भारत में संविधान दिवस का इतिहास
हालाँकि संविधान 1949 में अपनाया गया था, लेकिन संविधान दिवस को आधिकारिक रूप से 2015 में घोषित किया गया।
मुख्य ऐतिहासिक तथ्य
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संविधान दिवस को 19 नवंबर 2015 को सरकारी अधिसूचना के माध्यम से घोषित किया गया।
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26 नवंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यही संविधान अंगीकरण का दिन है।
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यह घोषणा डॉ. भी.रा. अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।
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2015 से पहले, यह दिन विधि समुदायों द्वारा Law Day के रूप में मनाया जाता था।
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नए नामकरण का उद्देश्य संविधान के सामाजिक–राजनीतिक प्रभाव को रेखांकित करना और डॉ. अंबेडकर के योगदान का सम्मान करना था।
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें याद दिलाता है कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं बल्कि एक जीवंत मार्गदर्शिका है जो शासन, अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करती है।
संविधान दिवस के प्रमुख महत्व
संविधान दिवस —
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मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और नीति निदेशक सिद्धांतों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।
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मनमानी के विरुद्ध संवैधानिक सर्वोच्चता को रेखांकित करता है।
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डॉ. अंबेडकर और संविधान निर्माताओं के योगदान का सम्मान करता है।
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धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे मूल्यों के प्रति जन-भागीदारी सुनिश्चित करता है।
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नागरिकों में लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।
भारतीय संविधान का निर्माण: समय-रेखा
भारत का संविधान तैयार करना एक ऐतिहासिक और बौद्धिक रूप से समृद्ध प्रक्रिया थी, जिसमें व्यापक बहस, विचार-विमर्श और सहमति शामिल थी।
मुख्य घटनाओं की कालानुक्रमिक सूची
| घटना | तिथि |
|---|---|
| संविधान सभा का गठन | 9 दिसंबर 1946 |
| संविधान सभा की पहली बैठक | 9 दिसंबर 1946 |
| डॉ. राजेंद्र प्रसाद का अध्यक्ष के रूप में चयन | 11 दिसंबर 1946 |
| डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में मसौदा समिति का गठन | 29 अगस्त 1947 |
| संविधान के मसौदे का प्रस्तुतीकरण | 4 नवंबर 1948 |
| संविधान का अंगीकरण | 26 नवंबर 1949 |
| संविधान का लागू होना (गणतंत्र दिवस) | 26 जनवरी 1950 |
संविधान पर खुले सत्रों में कुल 165 दिन बहस हुई — जिसमें विविध विचारों ने आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक संरचना को आकार दिया।
संविधान दिवस पर मनाए जाने वाले संवैधानिक मूल्य
भारतीय संविधान की मूल आत्मा प्रस्तावना में व्यक्त होती है। यह भारत की राजनीतिक और सामाजिक दर्शन को परिभाषित करती है।
मुख्य संवैधानिक मूल्य
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न्याय — सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय
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स्वतंत्रता — विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना
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समानता — अवसरों की समानता, गरिमा और अधिकार
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बंधुत्व — राष्ट्रीय एकता, अखंडता और आपसी सम्मान
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धर्मनिरपेक्षता — सभी धर्मों के प्रति राज्य की समान दूरी
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लोकतंत्र — जन-भागीदारी, प्रतिनिधित्व और जवाबदेही
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कानून का शासन — मनमानी पर कानून की सर्वोच्चता
संविधान दिवस बनाम गणतंत्र दिवस: मुख्य अंतर
| विशेषता | संविधान दिवस (26 नवंबर) | गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) |
|---|---|---|
| महत्व | संविधान का अंगीकरण | संविधान का लागू होना |
| घोषित | संविधान दिवस (2015) | राष्ट्रीय त्योहार |
| अवकाश | सार्वजनिक अवकाश नहीं | राष्ट्रीय अवकाश |
| फोकस | संवैधानिक जागरूकता | भारत के गणराज्य का उत्सव |
| गतिविधियाँ | प्रस्तावना वाचन, चर्चाएँ, व्याख्यान | परेड, पुरस्कार, सांस्कृतिक समारोह |
स्थिर तथ्य (Static Facts)
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अंगीकरण की तिथि: 26 नवंबर 1949
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लागू होने की तिथि: 26 जनवरी 1950
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संविधान दिवस की आधिकारिक घोषणा: 19 नवंबर 2015
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निर्माण अवधि: 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिन
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मसौदा समिति के अध्यक्ष: डॉ. बी.आर. अंबेडकर
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अंगीकरण के समय कुल अनुच्छेद: 395
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वर्तमान अनुच्छेद (2025): 448
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संविधान की लंबाई: विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान
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अनुसूचियों की संख्या: 12


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