नासा ने पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सौर तूफानों और अंतरिक्ष मौसम से ग्रह की रक्षा कैसे करता है, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए TRACERS मिशन (टेंडम रीकनेक्शन एंड कस्प इलेक्ट्रोडायनामिक्स रीकॉनिसेंस सैटेलाइट्स) लॉन्च किया है। इस मिशन का उद्देश्य चुंबकीय पुनर्संयोजन का अध्ययन करना है—एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय कवच के साथ क्रिया करता है, जिससे ऊर्जा विस्फोट होता है जो उपग्रहों, पावर ग्रिड और संचार को प्रभावित कर सकता है।
पृष्ठभूमि
TRACERS मिशन को कैलिफ़ोर्निया के वैंडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया गया। इस मिशन में दो छोटे उपग्रह शामिल हैं, जो एक-दूसरे के क़रीब उड़ते हुए पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के पास स्थित “पोलर कस्प” क्षेत्र का अध्ययन करेंगे — यह वह क्षेत्र है जहाँ सूर्य की गतिविधियों का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
उद्देश्य
TRACERS मिशन का मुख्य उद्देश्य पोलर कस्प क्षेत्र में चुंबकीय पुनः संयोजन (magnetic reconnection) और ऊर्जा हस्तांतरण (energy transfer) का अवलोकन और मापन करना है। इस अध्ययन से वैज्ञानिक यह समझ सकेंगे कि सूर्य से आने वाले कण और ऊर्जा पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में कैसे प्रवेश करते हैं, जिससे पृथ्वी और अंतरिक्ष की महत्वपूर्ण प्रणालियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
मुख्य विशेषताएँ
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दो उपग्रह मात्र 10 सेकंड के अंतराल पर एक साथ उड़ान भर रहे हैं।
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एक वर्ष में 3,000 से अधिक माप एकत्र किए जाएंगे।
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पृथ्वी के वायुमंडल पर सौर ऊर्जा के प्रभाव की रीयल-टाइम निगरानी।
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संचार प्रणाली, GPS नेविगेशन और विद्युत ग्रिड पर अंतरिक्ष मौसम के प्रभाव का अध्ययन।
उसी प्रक्षेपण में अन्य पेलोड
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Athena EPIC: भविष्य के उपग्रहों की लागत कम करने और पृथ्वी की विकिरण प्रणाली के अध्ययन पर केंद्रित।
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PExT: ड्यूल-नेटवर्क सैटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए एक नए रोविंग-सिग्नल सिस्टम का प्रदर्शन करता है।
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REAL: वैन एलेन विकिरण पट्टियों से हानिकारक इलेक्ट्रॉनों के निकलने की प्रक्रिया का अध्ययन करने वाला एक छोटा क्यूबसैट।
वैश्विक और भारतीय महत्व
भारत जैसे देशों के लिए, जो नेविगेशन, संचार और मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रहों पर निर्भर हैं, अंतरिक्ष मौसम को समझना अत्यंत आवश्यक है। TRACERS मिशन सौर तूफ़ानों से ISRO मिशनों, राष्ट्रीय अवसंरचना और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण को होने वाले जोखिम को कम करने में सहायक होगा।
सहयोग
यह मिशन आयोवा विश्वविद्यालय के डेविड माइल्स के नेतृत्व में है और इसमें NASA गोडार्ड स्पेस सेंटर, UCLA, UC बर्कले और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे साझेदार शामिल हैं। अन्य सहयोगियों में U.S. स्पेस फोर्स, डार्टमाउथ कॉलेज और मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी भी हैं।


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