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पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत चार तीर्थस्थलों का चयन किया

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पर्यटन मंत्रालय ने ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान (PRASHAD)’ की अपनी योजनाओं के तहत विकास के लिए चार तीर्थ केंद्रों की पहचान की है। वे देश में पर्यटन अवसंरचना के विकास के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों आदि को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।

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पर्यटन मंत्रालय ने स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए अपनी स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (SD2.0) के रूप में नया रूप दिया है। SD2.0 के तहत, मंत्रालय ने विकास के लिए गंतव्य के रूप में ‘हम्पी’ और ‘मैसूर’ की पहचान की है।

 

कर्नाटक में पर्यटन मंत्रालय द्वारा चिन्हित तीर्थयात्री केंद्र

 

(i) मां चामुंडेश्वरी देवी मंदिर, मैसूर, कर्नाटक का विकास

(ii) श्री माधव वन, कुंजारुगिरी, उडुपी जिला

(iii) पापनाश मंदिर, बीदर जिला

(iv) श्री रेणुका यल्लम्मा मंदिर, सौदत्ती, बेलगावी जिला

 

‘प्रसाद’ (PRASHAD) योजना के बारे में

 

पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन पर राष्ट्रीय मिशन (PRASAD)’ शुरू किया गया था। अक्तूबर 2017 में योजना का नाम बदलकर ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ (PRASHAD) राष्ट्रीय मिशन कर दिया गया। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की हृदय (HRIDAY) योजना के बंद होने के बाद विरासत स्थलों के विकास को प्रसाद (PRASHAD) योजना में शामिल किया गया। यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने के लिए पूरे भारत में तीर्थ स्थलों को विकसित करने और पहचान करने पर केंद्रित है।

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FAQs

प्रसाद योजना कब शुरू हुई?

भारत सरकार ने पर्यटन मंत्रालय के तहत वर्ष 2014-2015 में प्रसाद योजना की शुरुआत की थी। प्रसाद योजना का पूर्ण रूप 'तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन ड्राइव' है।

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