इस्पात मंत्रालय ने ‘इस्पात आयात निगरानी प्रणाली’ 2.0 पोर्टल लॉन्च किया

केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने उन्नत इस्पात आयात निगरानी प्रणाली सिम्स 2.0 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, इस्पात मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा तथा भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

SIMS 2.0 पोर्टल के बारे में

2019 में शुरू की गई एसआईएमएस ने घरेलू उद्योग को विस्तृत इस्पात आयात डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उद्योग जगत से प्राप्त फीडबैक के आधार पर मंत्रालय ने एसआईएमएस 2.0 को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए पोर्टल को नया रूप दिया है, जो इस्पात आयात की निगरानी करने और घरेलू इस्पात उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के विस्तृत डेटा की उपलब्धता, न केवल नीति निर्माण के लिए इनपुट प्रदान करती है, बल्कि घरेलू इस्पात उद्योग को उत्पादन और विकास के क्षेत्रों के बारे में भी संकेत देती है।

SIMS 2.0 की विशेषताएं

एसआईएमएस 2.0 में कई सरकारी पोर्टलों के साथ एपीआई एकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ाने तथा बेहतर दक्षता और प्रभावशीलता के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की सुविधा है। पोर्टल में एक मजबूत डेटा प्रविष्टि प्रणाली है, जो सुसंगत और प्रामाणिक डेटा सुनिश्चित करती है तथा पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है। विभिन्न डेटाबेस का एकीकरण हितधारकों को जोखिम वाले क्षेत्रों का पता लगाने में सक्षम बनाता है और इस तरह, बेहतर जोखिम प्रबंधन की सुविधा देता है, उदाहरण के लिए, यदि कोई आयात खेप आयात के किसी विशेष स्रोत की घोषणा करती है, जो बीआईएस द्वारा लाइसेंस प्राप्त नहीं है, तो मंत्रालय इसके आयात की अनुशंसा नहीं करने में सक्षम होगा। विस्तृत डेटा, सीमा शुल्क को इस्पात आयात का बेहतर विश्लेषण और जोखिम प्रबंधन करने में सक्षम करेगा।

SIMS 2.0 का विकास

एसआईएमएस 2.0 का विकास एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसमें डीजीएफटी, बीआईएस और इस्पात मंत्रालय के तहत सीपीएसई, एमएसटीसी लिमिटेड का योगदान है। केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने इस बात पर जोर दिया कि एसआईएमएस 2.0 का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत सरकार के 100-दिवसीय एजेंडे में इसके शामिल होने को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि घरेलू इस्पात उद्योग को बढ़ावा देने और इस्पात उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के राष्ट्र के प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक

इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि यह उन्नत पोर्टल हितधारकों को कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा, जिससे अधिक प्रभावी निर्णय लेने और रणनीतिक योजना बनाने में मदद मिलेगी। इस्पात मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने बताया कि भारत वैश्विक स्तर पर दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखता है, लेकिन देश का तैयार इस्पात आयात 2023-24 में लगभग आठ मिलियन टन पर महत्वपूर्ण बना हुआ है, जो घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

इस्पात आयात की निगरानी

स्वस्थ व्यापार संतुलन बनाए रखने, विकास को गति देने और भारत के इस्पात उद्योग में निरंतर निवेश आकर्षित करने के लिए इस्पात आयात की सटीक निगरानी महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उन्नत SIMS 2.0 इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

पुस्तक का दूसरा खंड

केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने “इस्पात क्षेत्र के लोहा के लिए सुरक्षा दिशानिर्देश” पुस्तक के दूसरे खंड का भी विमोचन किया, जिसमें लोहा और इस्पात क्षेत्र द्वारा उपयोग की जा रही 16 विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए दिशानिर्देश हैं। यह 2020 में विशिष्ट जोखिमों को कवर करते हुए 25 सुरक्षा दिशानिर्देश प्रकाशित करने के इस्पात मंत्रालय के कार्य का विस्तार है।

स्वैच्छिक प्रकृति

हालाँकि ये दिशा-निर्देश वर्तमान में स्वैच्छिक प्रकृति के हैं, लेकिन उद्योग ने ऐसे दिशा-निर्देशों का स्वागत किया है, क्योंकि इन्हें परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किया गया है। सुरक्षा को संबोधित करने के अलावा, इन दिशा-निर्देशों का उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

FAQs

इस्पात कैसे बनता है?

तांबे और टीन के विपरीत, कार्बन तरह लोहे में आसानी से घुल जाता है। इस तरह से लोहे में कार्बन के मिश्रण से इस्पात बनाया जाता है।

vikash

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