भारत के रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने तीन प्रमुख रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) – म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एवीएनएल) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) को “मिनीरत्न” श्रेणी-I का दर्जा देने को मंजूरी दे दी है। यह मान्यता तीन वर्षों की छोटी अवधि के भीतर लाभ कमाने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं में उनके तेजी से परिवर्तन को मान्यता देती है।
आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड से रणनीतिक परिवर्तन
इन तीनों कंपनियों की स्थापना 1 अक्टूबर 2021 को आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) के कॉर्पोरेटाइजेशन के बाद की गई थी। भारत सरकार ने रक्षा उत्पादन में स्वायत्तता, दक्षता और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से OFB को सात DPSUs में पुनर्गठित किया था।
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MIL और AVNL को शेड्यूल ‘A’ DPSU के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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IOL को शेड्यूल ‘B’ श्रेणी में रखा गया है।
सभी कंपनियाँ रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) के अंतर्गत कार्यरत हैं।
म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL): गोला-बारूद का वैश्विक निर्यातक
प्रमुख उपलब्धियाँ:
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विक्रय वृद्धि: ₹2,571.6 करोड़ (FY 2021–22, H2) से बढ़कर ₹8,282 करोड़ (FY 2024–25, अनंतिम)
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निर्यात: ₹22.55 करोड़ से बढ़कर ₹3,081 करोड़ (FY 2024–25, अनंतिम)
उत्पाद पोर्टफोलियो:
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छोटे, मध्यम और भारी कैलिबर के गोला-बारूद
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मोर्टार, रॉकेट और हैंड ग्रेनेड
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स्वदेशी रचना के तहत विस्फोटक, प्रोपेलेंट्स आदि का निर्माण
MIL ने खुद को वैश्विक रक्षा म्यूनिशन निर्यातक के रूप में स्थापित किया है।
आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL): स्वदेशी लड़ाकू वाहन निर्माण में अग्रणी
प्रमुख उपलब्धियाँ:
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विक्रय वृद्धि: ₹2,569.26 करोड़ से ₹4,986 करोड़ (FY 2024–25, अनंतिम)
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100% स्वदेशीकरण:
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T-72
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T-90
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BMP-II के इंजनों का पूर्ण स्वदेशी निर्माण
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उत्पाद पोर्टफोलियो:
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मुख्य युद्धक टैंक (T-90, अर्जुन), BMP-II सरथ
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MPV, AERV जैसे सहायक वाहन
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स्टालियन और LPTA जैसे रक्षा प्लेटफॉर्म
AVNL भारत को रक्षा वाहनों में आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) की दिशा में तेजी से आगे ले जा रहा है।
इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL): रक्षा के लिए उन्नत ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स
प्रमुख उपलब्धियाँ:
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विक्रय वृद्धि: ₹562.12 करोड़ से ₹1,541.38 करोड़ (FY 2024–25, अनंतिम)
उत्पाद पोर्टफोलियो:
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ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स
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दृष्टि संवर्धन उपकरण (T-90, T-72, BMP-II के लिए)
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तोपों व नौसेना हथियारों के लिए लक्ष्य अधिग्रहण प्रणाली
IOL भारत की रात में लड़ने की क्षमता और टारगेट एक्विजीशन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मिनीरत्न दर्जा: रणनीतिक प्रभाव
मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा इन DPSUs को वित्तीय व संचालन संबंधी अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है, जिससे:
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निर्णय लेने की गति तेज होगी
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निवेश और विस्तार की संभावनाएँ बढ़ेंगी
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निर्यात क्षमताओं में वृद्धि होगी
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निजी व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ R&D सहयोग सुलभ होगा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन तीनों कंपनियों के प्रबंधन को बधाई देते हुए स्वदेशीकरण, कारोबार वृद्धि और संगठनात्मक प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया।
निष्कर्ष
इस मान्यता से यह स्पष्ट है कि भारत की रक्षा सार्वजनिक कंपनियाँ अब न केवल लाभकारी व्यवसायिक संस्थान बन चुकी हैं, बल्कि वे देश को रक्षा आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से ले जा रही हैं। मिनीरत्न का दर्जा इनकी कार्यक्षमता और नवाचार को और सशक्त करेगा।