भारत की समुद्री रक्षा क्षमता (Maritime Defence Capabilities) को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Ltd – MDL) और स्वान डिफेन्स एंड हेवी इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (Swan Defence and Heavy Industries Ltd – SDHI) ने एक एक्सक्लूसिव टीमिंग एग्रीमेंट (Teaming Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत दोनों संस्थान मिलकर भारतीय नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (Landing Platform Docks – LPDs) का संयुक्त डिज़ाइन और निर्माण करेंगे।
यह समझौता 28 अक्टूबर 2025 को मुंबई में आयोजित इंडिया मॅरिटाइम वीक 2025 के दौरान औपचारिक रूप से किया गया — ठीक एक सप्ताह बाद जब रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council – DAC) ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी।
लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPDs) क्या हैं?
LPDs बड़े एम्फीबियस युद्धपोत (Amphibious Warfare Ships) होते हैं, जो सैनिकों, वाहनों, उपकरणों और विमानन संसाधनों को एक साथ ले जाने में सक्षम होते हैं।
ये पोत नौसेनाओं को निम्नलिखित सामरिक क्षमताएँ प्रदान करते हैं —
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शत्रु तटों पर शक्ति प्रक्षेपण (Power Projection Ashore)
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एम्फीबियस लैंडिंग और विशेष अभियानों का संचालन (Special Operations)
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मानवीय सहायता व आपदा राहत (HADR) मिशनों में सहयोग
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संयुक्त और अभियान-स्तरीय (Joint & Expeditionary) अभियानों का समर्थन
➡ ऐसे पोत भारत जैसी ब्लू-वॉटर नेवी (Blue-water Navy) के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) में बदलती सामरिक परिस्थितियों और समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए।
समझौते का विवरण
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मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) — रक्षा मंत्रालय के अधीन भारत की प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी है, जो जटिल नौसैनिक प्लेटफॉर्म निर्माण में अपनी सिद्ध क्षमता रखती है।
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स्वान डिफेन्स एंड हेवी इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (SDHI) — पूर्व में रिलायंस नेवल इंजीनियरिंग लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, और गुजरात के पिपावाव शिपयार्ड का संचालन करती है, जो भारत की सबसे बड़ी शिपबिल्डिंग और फैब्रिकेशन सुविधा है।
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टिमिंग एग्रीमेंट (TA) दोनों संस्थानों को अपनी सुविधाएँ, विशेषज्ञता और संसाधन साझा करने की अनुमति देता है, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले LPDs का निर्माण किया जा सके।
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हस्ताक्षर MDL के निदेशक (शिपबिल्डिंग) बीजू जॉर्ज और SDHI के निदेशक विवेक मर्चेंट की उपस्थिति में किए गए।
➡ यह साझेदारी रक्षा निर्माण में सार्वजनिक-निजी सहयोग (Public-Private Synergy) की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाती है और “आत्मनिर्भर भारत” (Atmanirbhar Bharat) के उद्देश्यों से मेल खाती है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्वीकृति
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रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने इस परियोजना को ₹33,000 करोड़ की अनुमानित लागत पर कई LPDs की खरीद के लिए औपचारिक स्वीकृति प्रदान की।
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यह स्वीकृति —
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एम्फीबियस क्षमता को सामरिक प्राथमिकता के रूप में रेखांकित करती है।
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देश की सबसे बड़ी स्वदेशी नौसैनिक खरीद परियोजनाओं में से एक है।
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रोजगार सृजन और शिपबिल्डिंग उद्योग में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि को प्रोत्साहन देगी।
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➡ सभी LPDs का निर्माण भारत में किया जाएगा, जिसमें उच्च स्तर की स्वदेशीकरण (indigenisation) और स्थानीय तकनीक एवं आपूर्तिकर्ताओं का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।


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