राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट ने मणिपुर के लिए चिंताजनक आंकड़े उजागर किए हैं, जिससे यह राज्य पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में सबसे अधिक हिंसक अपराधों और दंगों का केंद्र बन गया है।
जातीय संघर्ष के कारण अपराधों में उछाल
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मई 2023 में इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी जिलों के कुकी जनजातीय समुदायों के बीच भड़के जातीय संघर्ष ने अपराधों में तेज़ बढ़ोतरी की।
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इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं।
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इसके चलते मणिपुर गंभीर कानून-व्यवस्था संकट में फंस गया।
NCRB के मुख्य निष्कर्ष (मणिपुर – 2023)
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हिंसक अपराध: 14,427 मामले (2022 में केवल 631, 2021 में 545)
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दंगे: 5,421 मामले – पूर्वोत्तर में सबसे अधिक
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आगजनी: 6,203 घटनाएँ दर्ज
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अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध: 3,339 मामले (2022 में केवल 1 मामला)
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डकैती और लूटपाट: 1,213 डकैती और 330 लूटपाट के मामले
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हत्या और हत्या के प्रयास: 151 हत्याएँ, 818 हत्या के प्रयास
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अपहरण व यौन अपराध: 89 अपहरण और 27 बलात्कार के मामले
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महिलाओं के खिलाफ अपराध: 201 मामले (2022 में 248 और 2021 में 302 से कमी)
अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से तुलना
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मणिपुर के बाद असम 11,552 हिंसक अपराधों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
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लेकिन मणिपुर के मामलों में अचानक आए विस्फोटक उछाल ने अन्य राज्यों से बड़ा अंतर पैदा कर दिया।
महत्व
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आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता ने मणिपुर की कानून-व्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है।
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सिर्फ एक साल में हिंसक अपराधों का बढ़ना – 631 (2022) से 14,000+ (2023) – गंभीर चिंता का विषय है।
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यह स्थिति शांति बहाली, न्याय और प्रभावित समुदायों के पुनर्वास की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।


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