उनमें से एक विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 में एक संशोधन था जो विदेशी कंपनियों को राजनीतिक दलों के वित्तपोषण से रोकता है. यह 2000 से केवल तीसरी बार है जब संसद ने बहस के बिना बजट को मंजूरी दी है.
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