मशहूर गुजराती गायक पुरूषोत्तम उपाध्याय का निधन

पुरुषोत्तम उपाध्याय, प्रसिद्ध गुजराती गायक और संगीतकार, का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके मधुर स्वरों और कालजयी रचनाओं ने गुजराती संगीत को अद्वितीय ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से गुजराती समुदाय और प्रवासी भारतीयों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। उपाध्याय का निधन संगीत जगत के एक युग का अंत है, और उनके योगदान को लाखों लोग संजोकर रखेंगे।

मुख्य बिंदु

पूरा नाम: पुरुषोत्तम उपाध्याय
जन्म तिथि: 15 अगस्त 1934, खेड़ा, गुजरात
निधन: 90 वर्ष की आयु में, मुंबई स्थित निवास पर

प्रारंभिक जीवन और करियर

  • बचपन से ही संगीत के प्रति जुनून।
  • संगीत के लिए मुंबई गए, पर शुरुआती संघर्षों का सामना किया।
  • गुजरात लौटकर रंगमंच कंपनियों में प्रदर्शन शुरू किया।
  • नूरजहां के गाए गीत के प्रदर्शन के बाद प्रमुख कलाकारों के साथ सहयोग का अवसर मिला।

मुख्य उपलब्धियां

  • 20 से अधिक फिल्मों और 30 नाटकों के लिए संगीत की रचना।
  • प्रसिद्ध गुजराती गीत जैसे “हे रंगलो जम्यो”, “दिवसो जुदाइना जाय छे”, “ऐ जाशे जरूर मिलन सुधी”, और “कहूं छु जवानिनें” के लिए प्रसिद्ध।
  • गुजरात गौरव पुरस्कार और पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित।

गुजराती संगीत में योगदान

  • उनकी रचनाएँ गुजरात से बाहर, प्रवासी गुजराती समुदाय में भी लोकप्रिय रहीं।
  • गुजराती भाषा को जीवित रखने में उनके सरल लेकिन प्रभावशाली संगीत का महत्वपूर्ण योगदान।

सार्वजनिक व्यक्तियों की संवेदनाएँ

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया और उपाध्याय को “महान गायक” बताते हुए उनके गुजराती संगीत के संरक्षण में योगदान की प्रशंसा की।

विरासत

  • उपाध्याय का संगीत आज भी प्रेरणा देता है और उनकी रचनाएँ श्रोताओं के दिलों में जीवित रहेंगी।
  • उनका निधन कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।
समाचार में क्यों? महान गुजराती गायक पुरुषोत्तम उपाध्याय का 90 वर्ष की आयु में निधन।
जन्म तिथि 15 अगस्त 1934, खेड़ा, गुजरात।
प्रारंभिक करियर संगीत के लिए मुंबई गए, चुनौतियों का सामना किया, फिर गुजरात लौटे और रंगमंच कंपनियों में प्रदर्शन किया।
महत्वपूर्ण क्षण अभिनेता अशरफ खान की उपस्थिति में नूरजहां का गाया गीत गाकर ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई के साथ अनुबंध।
मुख्य उपलब्धियां 20+ फिल्मों और 30+ नाटकों के लिए संगीत रचना; प्रसिद्ध गीत: “हे रंगलो जम्यो”, “दिवसो जुदाइना जाय छे”, “ऐ जाशे जरूर मिलन सुधी”, “कहूं छु जवानिनें”।
पुरस्कार गुजरात गौरव पुरस्कार, पद्म श्री।
संगीत में योगदान गुजरात से परे, प्रवासी गुजराती समुदाय तक संगीत का प्रभाव; गुजराती भाषा को अपने संगीत से जीवित रखा।
संवेदनाएँ प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें “महान गायक” कहा और गुजराती संगीत में योगदान की सराहना की।
विरासत उपाध्याय का संगीत आज भी कालजयी है और भविष्य की पीढ़ियों और प्रशंसकों को प्रेरित करता रहेगा।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

गीता जयंती 2024: भोपाल और कुरुक्षेत्र ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड

गीता जयंती 2024 पर भोपाल और कुरुक्षेत्र ने धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में अद्वितीय उपलब्धियां…

2 hours ago

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक तीन गुना हो जाएगी: केंद्र सरकार

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2014 में 4,780 मेगावाट…

2 hours ago

केंद्र सरकार नई शहर योजना के तहत 8 नए स्मार्ट शहर विकसित करेगी

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने स्मार्ट सिटी मिशन का विस्तार करते हुए…

2 hours ago

शाहीन अफरीदी 100 विकेट लेने वाले सबसे युवा गेंदबाज बने

पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी ने क्रिकेट इतिहास में अपनी जगह पक्की कर…

3 hours ago

आईआईटी मद्रास ने 410 मीटर हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पूरा किया

भारत के परिवहन भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण विकास में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास…

3 hours ago

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2024: ग्रामीण शासन और सतत विकास का जश्न

राष्ट्रीय पंचायती राज पुरस्कार 2024 ने भारत के ग्रामीण विकास क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षण…

4 hours ago