सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम-एमएसएमई मंत्रालय के अंतर्गत एक संवैधानिक निकाय, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में आईएनए के दिल्ली हाट में एक स्फूर्ति मेले का आयोजन कर रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्फूर्ति समूह के पारंपरिक उत्पादों की पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है।
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स्फूर्ति मेले का उद्देश्य
इस स्फूर्ति मेले का उद्देश्य त्यौहारों के मौजूदा समय में नागरिकों के बीच देश भर के पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, यह मेला इन समुदायों के उत्पादों के विपणन और बिक्री के लिए कारीगरों के लिए नए रास्ते भी खोलेगा। इस मेले के थीम पवेलियन में पारंपरिक उत्पादों की निर्माण प्रक्रियाओं का सजीव प्रदर्शन भी आयोजित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- स्फूर्ति के अंतर्गत पारंपरिक कारीगरों को उनकी आय बढ़ाने के लिए मूल्य वर्धित पारंपरिक उत्पादों के निर्माण के लिए समूहों में संगठित किया जाता है।
- ये समूह पारंपरिक क्षेत्रों जैसे हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी, जूट उद्योग, कृषि-उत्पाद आदि को शामिल करते हैं। भारत सरकार बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण, विपणन और डिजाइन को बढ़ावा देने आदि के लिए सहायता प्रदान करती है।
- अब तक, 498 समूहों को स्फूर्ति के अंतर्गत सहायता प्रदान की गई है। इस पहल से सीधे तौर पर देश के लगभग 3 लाख कारीगरों को लाभ हो रहा है।
- स्फूर्ति मेले के दौरान, 28 राज्यों के 50 स्फूर्ति समूहों के 100 कारीगर हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी, जूट से बने और कृषि प्रसंस्करण के अपने पारंपरिक उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे।
- इन समुदायों में सोजनी कढ़ाई समुदाय, मेघालय का बेत और बांस समुदाय, कर्नाटक का चन्नापटना खिलौना समूह, राजस्थान का प्राकृतिक डाई समूह, बिहार का मधुबनी चित्रकारी समूह, महाराष्ट्र का कोल्हापुरी पारंपरिक ज्वैलरी समूह, केरल का नारियल समूह, उत्तर प्रदेश का कालीन और दरी समूह, ओडिशा का मोटा अनाज समूह, अरुणाचल प्रदेश के एरी सिल्क खादी समूह सहित कई अन्य समूह शामिल हैं।
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