खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष मनोज कुमार ने 28 नवंबर 2022 को उत्तराखंड, के जिला नैनीताल के वन परिक्षेत्र फतेहपुर, हल्द्वानी के गांव चौसला में खादी और ग्रामोद्योग आयोग की महत्वाकांक्षी आरई-एचएबी परियोजना (मधुमक्खियों का उपयोग कर मानव हमलों को कम करना) का उद्घाटन किया। उन्होंने चौसला गांव में ग्रामीण हितग्राहियों को 330 मधुमक्खी बक्सों, मधुमक्खी कालोनियों और टूलकिट के साथ-साथ शहद निकालने वालों का वितरण भी किया। मानव बस्तियों पर जंगली हाथियों के हमलों को हतोत्साहित करने के लिए सरकार मधुमक्खियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। केवीआईसी ने असम, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों में री-हब परियोजना शुरू की है।
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आरई-एचएबी परियोजना के तहत मानवीय बस्तियों में हाथियों के प्रवेश को अवरुद्ध करने के लिए उनके मार्ग में मधुमक्खी पालन के बक्से स्थापित करके “मधुमक्खियों की बाड़” लगाई जाती है। इन बक्सों को एक तार से जोड़ा जाता है ताकि जब हाथी वहां से गुजरने का प्रयास करता है, तो एक खिंचाव या दबाव के कारण मधुमक्खियां हाथियों के झुंड की तरफ चली आती हैं और उन्हें आगे बढ़ने से रोकती हैं। यह परियोजना जानवरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ही मानव और जंगली जानवरों के बीच संघर्षों को कम करने का एक किफ़ायती तरीका है। यह वैज्ञानिक रूप से सही पाया गया है कि हाथी मधुमक्खियों से चिढ़ जाते हैं। उनको इस बात का भी भय होता है कि मधुमक्खियां उनकी सूंड और आंखों के अन्य संवेदनशील अंदरूनी हिस्सों में काट सकती हैं। मधुमक्खियों के सामूहिक कोलाहल से हाथी परेशान हो जाते हैं और वे वापस लौटने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
प्रोजेक्ट आरई-एचएबी केवीआईसी के राष्ट्रीय शहद मिशन का एक उप-मिशन है। यह अभियान मधुमक्खियों की आबादी, शहद उत्पादन और मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम है, जबकि प्रोजेक्ट आरई-एचएबी हाथी के हमलों को रोकने के लिए मधुमक्खी के बक्से को बाड़ के रूप में उपयोग करता है। एक नई पहल के रूप में, री-हैब परियोजना केवीआईसी द्वारा चयनित स्थानों पर एक वर्ष की अवधि के लिए चलाई जाएगी।
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