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कथक लीजेंड कुमुदिनी लाखिया का निधन

कुमुदिनी लाखिया, प्रख्यात कथक नृत्यांगना जिन्होंने परंपराओं को चुनौती दी और इस शास्त्रीय नृत्य रूप को नए रूप में गढ़ा, का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने कथक की पारंपरिक कथा (कथा) और साहित्य (साहित्य) पर निर्भरता पर प्रश्न उठाए और उसमें अमूर्तन, समूह-नृत्य और समकालीन विषयों को शामिल किया। सात दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने कई पीढ़ियों के नृत्यकारों को प्रशिक्षित किया और अपने साहसी दृष्टिकोण व निर्भीक प्रयोगों से कथक को नया आयाम दिया।

मुख्य बिंदु

प्रारंभिक जीवन और प्रशिक्षण 

  • जन्म: 1930 में, मुंबई के एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ।

  • प्रारंभिक प्रशिक्षण: जयपुर घराने के पं. सुंदर प्रसाद से कथक की शिक्षा ली।

  • आगे का प्रशिक्षण: लखनऊ घराने के राधे लाल मिश्रा और पं. शंभू महाराज से किया; पं. बिरजू महाराज के साथ भी सहयोग किया।

  • 18 वर्ष की उम्र में नृत्याचार्य राम गोपाल के साथ यूरोप का दौरा किया, जिससे उनका दृष्टिकोण वैश्विक बना।

कदंब की स्थापना 

  • अहमदाबाद में “कदंब सेंटर फॉर डांस” की स्थापना की।

  • परंपरा में जड़ें रखते हुए भी आधुनिक दृष्टिकोण से कथक सिखाया।

  • सामाजिक भ्रांतियों के बावजूद सीमित साधनों में निरंतर अभ्यास किया।

परंपरा को चुनौती 

  • मूल प्रश्न उठाया: “क्या कथक को हमेशा कहानी और साहित्य पर निर्भर रहना चाहिए?”

  • कथा और साहित्यिक तत्वों को हटाकर शुद्ध गति, आंतरिक संघर्ष और अमूर्त अभिव्यक्ति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आलोचना का सामना किया।

पथ-प्रदर्शक रचनाएँ 

  • दुविधा (1971): एक महिला की मानसिक उथल-पुथल को दर्शाने वाली रचना; इसमें इलेक्ट्रॉनिक संगीत का प्रयोग हुआ।

  • धबकार (Pulse): नृत्य की स्वतंत्रता के लिए दुपट्टा हटाकर पोशाक की रूढ़ियों को तोड़ा।

  • एकल से समूह-नृत्य की ओर कथक को ले जाने में अग्रणी रहीं।

गुरु और मार्गदर्शक 

  • अदिति मंगलदास जैसी प्रसिद्ध शिष्याओं को प्रशिक्षित किया और अनेकों को प्रेरणा दी।

  • उन्हें एक “नृत्य दिग्गज” माना गया जिन्होंने दूसरों को नवाचार का साहस दिया।

पुरस्कार और सम्मान 

  • पद्म श्री – 1987

  • पद्म भूषण – 2010

  • पद्म विभूषण – 2024 में घोषित

  • सरकार और कला जगत दोनों से उनके साहसी योगदानों के लिए व्यापक मान्यता मिली।

निधन पर प्रतिक्रियाएँ 

  • 13 अप्रैल, 2025 को 94 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और “असाधारण सांस्कृतिक प्रतीक” बताया।

  • शोवना नारायण और अदिति मंगलदास जैसी कथक कलाकारों ने उन्हें एक दृष्टिवान कलाकार बताया जिन्होंने कथक को नए रूप में परिभाषित किया।

सारांश/स्थायी विवरण जानकारी
क्यों चर्चा में? कुमुदिनी लाखिया (1930–2025) — प्रख्यात कथक गुरु का निधन
पूरा नाम कुमुदिनी लाखिया
क्षेत्र कथक (भारतीय शास्त्रीय नृत्य)
प्रमुख प्रशिक्षण पं. सुंदर प्रसाद, राधे लाल मिश्र, पं. शंभू महाराज, पं. बिरजू महाराज
मुख्य योगदान अमूर्त कोरियोग्राफी, समूह कथक, आधुनिक विषय-वस्तु
प्रसिद्ध रचनाएँ दुविधा, धबकार (Pulse)
स्थापित संस्थान कदंब नृत्य केंद्र (अहमदाबाद)
पद्म पुरस्कार पद्म श्री (1987), पद्म भूषण (2010), पद्म विभूषण (2024 – घोषित)
विरासत कथक का आधुनिकीकरण किया, पीढ़ियों को प्रशिक्षित किया, निर्भीक नवप्रवर्तक रहीं
श्रद्धांजलियाँ प्रधानमंत्री मोदी, अदिति मंगलदास, शोवना नारायण
कथक लीजेंड कुमुदिनी लाखिया का निधन |_3.1

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