केरल सरकार ने नयनामृतम 2.0 नामक एक एआई-संचालित नेत्र जांच पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य गंभीर नेत्र रोगों का प्रारंभिक चरण में पता लगाना है। हेल्थ-टेक कंपनी रेमिडियो (Remidio) के सहयोग से शुरू किया गया यह कार्यक्रम ग्लूकोमा (काला मोतिया), डायबिटिक रेटिनोपैथी (DR), और उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) जैसी बीमारियों की पहचान करने वाला दुनिया का पहला सरकारी एआई-सहायता प्राप्त जांच कार्यक्रम है। इस पहल के माध्यम से केरल सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत कर रही है, जिससे राज्यभर में लोगों को उन्नत नेत्र जांच की सुविधा मिलेगी।
नयनामृतम 2.0 ने केरल में नेत्र जांच को कैसे सुधारा?
पहला संस्करण: नयनामृतम की पहली पहल फैमिली हेल्थ सेंटर्स (FHCs) में डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच पर केंद्रित थी। संभावित रोगियों को माध्यमिक एवं तृतीयक चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया जाता था, जहां नेत्र रोग विशेषज्ञ आगे की जांच करते थे।
नया संस्करण (2.0):
- अब जांच का दायरा बढ़ा – ग्लूकोमा और AMD जैसी बीमारियों की पहचान भी की जाएगी।
- एआई-सक्षम फंडस कैमरे – तुरंत मामलों को “रेफरेबल” या “नॉन-रेफरेबल” वर्गीकृत कर सकते हैं, जिससे तेजी से निदान और उपचार संभव होगा।
- स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार – अब यह सेवा केवल FHCs तक सीमित नहीं, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, तालुक अस्पतालों और जिला अस्पतालों में भी उपलब्ध होगी।
केरल का यह एआई-समेकित नेत्र जांच कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर क्यों महत्वपूर्ण है?
- इस पहल के साथ, केरल पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में एआई-आधारित नेत्र जांच को एकीकृत किया है।
- रेमिडियो की एआई तकनीक को स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल कर सुविधा, दक्षता और लागत-प्रभावशीलता को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
- उद्देश्य: निवारणीय अंधत्व को कम करना और उच्च जोखिम वाले मामलों की शीघ्र पहचान कर उचित उपचार प्रदान करना।
विशेषज्ञों की राय: सार्वजनिक नेत्र स्वास्थ्य में एआई का महत्व
- डॉ. बिपिन गोपाल (केरल स्वास्थ्य सेवा विभाग के उप निदेशक) के अनुसार, एआई डॉक्टरों की जगह नहीं ले रहा, बल्कि उन्हें सशक्त बना रहा है।
- ऑप्टोमेट्रिस्ट अब सामान्य मामलों की पहचान एआई-सक्षम कैमरों से कर सकते हैं, जिससे नेत्र रोग विशेषज्ञ जटिल मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- यह पहल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की दक्षता को बढ़ाएगी, जिससे सभी वर्गों के लोगों के लिए नेत्र जांच अधिक सुलभ और प्रभावी होगी।
केरल का कदम: अन्य राज्यों और देशों के लिए उदाहरण
- नयनामृतम 2.0 के माध्यम से, केरल ने दिखाया है कि एआई कैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य जांच कार्यक्रमों को बदल सकता है।
- सरकार की इस रणनीति से नेत्र रोगों की शीघ्र पहचान, बेहतर उपचार और सभी वर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित होगी।
- यह पहल अन्य राज्यों और देशों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है, जिससे वैश्विक स्तर पर एआई-सक्षम स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
विषय | विवरण |
क्यों चर्चा में? | केरल सरकार ने नयनामृतम 2.0 लॉन्च किया, जो दुनिया का पहला सरकारी एआई-संचालित नेत्र जांच कार्यक्रम है। |
पहल द्वारा | केरल सरकार ने रेमिडियो (Remidio) हेल्थ-टेक कंपनी के सहयोग से इसे शुरू किया। |
उद्देश्य | डायबिटिक रेटिनोपैथी (DR), ग्लूकोमा और उम्र-संबंधी मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) जैसी बीमारियों की प्रारंभिक पहचान। |
प्रयोग की गई तकनीक | एआई-सक्षम फंडस कैमरे, जो मामलों को रेफरेबल या नॉन-रेफरेबल के रूप में वर्गीकृत करते हैं। |
विस्तारित दायरा | अब यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, तालुक अस्पतालों और जिला अस्पतालों में भी लागू किया गया है। |
वैश्विक महत्व | केरल एआई-आधारित नेत्र रोग जांच को अपनाने वाला पहला सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र बन गया। |
विशेषज्ञों की राय | एआई चिकित्सा सेवा प्रदाताओं को सशक्त बनाता है, जिससे तेजी से जांच और निवारणीय अंधत्व को कम करने में मदद मिलती है। |