केरल एक ऐतिहासिक अवसंरचनात्मक (infrastructure) परियोजना की दिशा में कदम बढ़ा रहा है — राज्य का पहला अंडरवाटर टनल (जलमग्न सुरंग), जो वैपिन (Vypin) और फोर्ट कोच्चि (Fort Kochi) को जोड़ेगा। यह सुरंग केरल के तटीय राजमार्ग विकास परियोजना (Coastal Highway Project) का हिस्सा है।
इस इंजीनियरिंग चमत्कार के पूरा होने पर मौजूदा 16 किमी की दूरी घटकर मात्र 3 किमी की समुद्र-तल यात्रा रह जाएगी, जिससे कोच्चि — भारत के सबसे व्यस्त बंदरगाह शहरों में से एक — की कनेक्टिविटी एक नई परिभाषा पाएगी।
इस अंडरवाटर टनल का विकास केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) द्वारा किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,672 करोड़ होगी।
कुल लंबाई: 2.75 किमी
(1.75 किमी बोर टनल + 1 किमी कट-एंड-कवर सेक्शन)
संरचना: ट्विन-ट्यूब डिज़ाइन (प्रत्येक दिशा के लिए अलग सुरंग)
आकार: 12.5 मीटर बाहरी व्यास, 11.25 मीटर आंतरिक चौड़ाई
गहराई: समुद्र तल से लगभग 35 मीटर नीचे
हर 250 मीटर पर आपातकालीन रुकने के स्थान (Emergency Stops)
हर 500 मीटर पर एस्केप पैसेज (Escape Passage)
उन्नत वेंटिलेशन और अग्नि सुरक्षा प्रणाली
यह परियोजना केरल में अपनी तरह की पहली जलमग्न सड़क सुरंग होगी — जो केवल कोलकाता की हुगली नदी मेट्रो सुरंग से तुलना की जा सकती है, जो भारत की पहली अंडरवाटर रेल टनल है।
टनल के निर्माण से वैपिन और फोर्ट कोच्चि के बीच यात्रा समय में क्रांतिकारी बदलाव आएगा —
अब जहां यात्रा में 2 घंटे से अधिक समय लगता है, वहीं सुरंग के माध्यम से यह सिर्फ 30 मिनट में पूरी हो सकेगी।
वर्तमान में लोग या तो भीड़भाड़ वाले फेरी मार्गों का उपयोग करते हैं या 16 किमी लंबे गोश्री ब्रिज (Goshree Bridge) के रास्ते से घूमकर जाते हैं।
टनल टोल शुल्क: ₹50–₹100 (वर्तमान औसत ₹300 की तुलना में काफी कम)
मासिक बचत: लगभग ₹1,500 तक
पर्यटकों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए समय और धन की बचत
इससे पहले कोचिन पोर्ट चैनल पर पुल बनाने की योजना थी, लेकिन विशेषज्ञों ने कई तकनीकी चुनौतियाँ बताईं —
पुल को बहुत अधिक ऊँचाई पर बनाना पड़ता ताकि बड़े मालवाहक जहाज़ निकल सकें।
भूमि अधिग्रहण और लागत बहुत अधिक होती।
स्थानीय परिवेश और यातायात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता।
दोनों सिरों पर केवल 100 मीटर भूमि की आवश्यकता
शिपिंग यातायात और बंदरगाह संचालन पर कोई असर नहीं
पर्यावरणीय और शहरी प्रभाव न्यूनतम
KRDCL के प्रबंध निदेशक वी. अजित कुमार ने पुष्टि की कि यह सुरंग तकनीकी और वित्तीय दोनों दृष्टियों से अधिक व्यवहार्य और दीर्घकालिक समाधान है।
संक्षेप में:
केरल की यह अंडरवाटर टनल परियोजना न केवल राज्य की पहली समुद्र-तल सड़क सुरंग होगी, बल्कि यह भारत की तटीय कनेक्टिविटी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी — जो तकनीकी नवाचार, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और आर्थिक दक्षता का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है।
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